
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ का ढ़ंग एवं तरीका।
صفة صلاة النبي صلى الله عليه وسلم: لوحة مصورة باللغة الهندية، من إعداد فضيلة الشيخ الدكتور هيثم سرحان، فيها ملخص صفة صلاة النبي صلى الله عليه وسلم من التكبير إلى التسليم كأنك تراها مع الصور التوضيحية. नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ का विवरणः आदरणीय...
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ का ढ़ंग एवं तरीका।
صفة صلاة النبي صلى الله عليه وسلم: لوحة مصورة باللغة الهندية، من إعداد فضيلة الشيخ الدكتور هيثم سرحان، فيها ملخص صفة صلاة النبي صلى الله عليه وسلم من التكبير إلى التسليم كأنك تراها مع الصور التوضيحية.
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ का विवरणः आदरणीय शैख़ डॉ हैस़म सरह़ान द्वारा हिंदी भाषा में तैयार किया गया एक सचित्र पट्टिका है, जिसमें संक्षिप्त रूप में तकबीर से लेकर सलाम फेरने तक के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ पढ़ने के तरीकों का सचित्र वर्णन है।
1- इमाम और अकेले नमाज़ पढ़ने वालों का अपने सामने सुत्रह रखना सुन्नत है, और इमाम का सुत्रह ही उन के पीछे नमाज़ पढ़ने वालों का सुत्रह है।
2- अपनी दृष्टि उस स्थान पर रखे जहाँ सज्दा करता (शीश नवाता) है, और इधर-उधर न देखे।
3- दोनों कंधों के मध्य जितनी दूरी है उतनी ही दूरी दोनों पैरों के बीच रखनी चाहिए, न बढ़ाए और न घटाए, और दोनों के बाहरी भाग को बिल्कुल सीधा रखे।
4- नमाज़ की शर्तों को पूर्ण करने के पश्चात, हाथों की उँगलियों को एक दूसरे से मिलाए हुए हाथों को कानों अथवा कंधों के बराबर उठाते हुए (ا لله اكبر “अल्लाहु अकबर”) कहे, तथा हथेलियों के भीतरी भाग को क़िबला की दिशा में रखे।
5- फिर अपनी दाहिनी हथेली के अंदरूनी हिस्से को अपनी बाईं हथेली के बाहरी भाग, अथवा कलाई अथवा बाज़ू पर रखे और हाथों को “छाती पर रखे” या इसे पकड़े रहे।
6- फिर मुस्तहब है कि केवल पहली रकअत में दुआ -ए- इस्तिफ़्ताह़ पढ़े, तथा उत्तम यह है कि इस्तिफ़्ताह़ के विषय में वर्णित दुआओं के मध्य विविधता अपनाए, तथा कहेः (سُبْحَانَكَ اللَّهُمَّ وَبِحَمْدِكَ، وَتَبَارَكَ اسْمُكَ، وَتَعَالَى جَدُّكَ، وَلَا إِلَهَ غَيْرُكَ “सुब्ह़ानका अल्लाहुम्मा व बिह़म्दिका व तबारका इस्मुका व तआला जद्दुका व ला इलाहा ग़ैरुका”)।
7- तत्पश्चात वर्णित इस्तिआज़ा के वाक्यों द्वारा अल्लाह की शरण चाहे, उदाहरणतः यों कहेः (أَعُوذُ بِاللَّهِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّجِيمِ “अऊज़ु बिल्लाहि मिनश्शैत़ानिर्रजीम”।
8- इसके पश्चात (بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ “बिस्मिल्लाहिर्रह़मानिर्रह़ीम”) कहे, और सूरह फ़ातिह़ा का पाठ करे, इस के छंदों, शब्दों, अक्षरों एवं स्वरों को उसी क्रमवार ढ़ंग से कहे जिस प्रकार वो वर्णित हैं।
[بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ، اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِيْنَۙ۰۰۱ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِۙ۰۰۲ مٰلِكِ يَوْمِ الدِّيْنِؕ۰۰۳ اِيَّاكَ نَعْبُدُ وَ اِيَّاكَ نَسْتَعِيْنُؕ۰۰۴ اِهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيْمَۙ۰۰۵ صِرَاطَ الَّذِيْنَ اَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ١ۙ۬ۦ غَيْرِ الْمَغْضُوْبِ عَلَيْهِمْ وَ لَا الضَّآلِّيْنَؒ۰۰۷
(बिस्मिल्लाहिर्रह़मानिर्रह़ीम। (1) अल्ह़म्दुलिल्लाहि रब्बिल आलमीन (2) अर्रह़मानिर्रह़ीम (3) मालिकि यौमिद्दीन (4) इय्याका नअबुदु व इय्याका नस्तईन (5) इहदिनस़्स़िरात़ल मुस्तक़ीम (6) स़िरात़ल लज़ीना अन अमता अलैहिम ग़ैरिल मग़ज़ूबि अलैहिम वलज़्ज़ालीन (7))[।
9- फिर मुस्तहब तौर पर बिना इस्तिआज़ा के क़ुरआन से जो कुछ पढ़ना सरल हो उसे पढ़े, तथा बिस्मिल्लाह केवल सूरह के आरंभ मे ही पढ़े।
10- फिर जिस प्रकार से तकबीर -ए- तह़रीमा में “अल्लाहु अकबर” कहा था उसी प्रकार से “अल्लाहु अकबर” कहते हुए अपने दोनों हाथों को उठाए तथा रुकूअ करे, तत्पश्चात अपने घुटनों को पकड़े एवं कोहनियों को मोड़े नहीं, और पीठ को अपने सिर के बराबर में सीधा रखे, तथा एक बार वाजिबी तौर पर (अनिवार्य रूप से) (سُبْحَانَ رَبِّيَ الْعَظِيْم “सुब्ह़ान रब्बियल अज़ीम”) कहे, एवं एक बार से अधिक कहना तथा इस विषय में जो अन्य दुआएं (जाप) वर्णित हैं उन्हें पढ़ना मुस्तहब है।
11- फिर, उठने के साथ और सीधा होने से पहले, कहेः (سَمِعَ اللَّهُ لِمَنْ حَمِدَه “समिअल्लाहु लिमन ह़मिदहु”) अपने दोनों हाथों को कानों के बराबर अथवा कंधों के बराबर उठाते हुए।
12- और जब सीधा हो जाए, तो कहेः (رَبَّنَا وَلَكَ الْحَمْدُ “रब्बना व लकल ह़म्द”), तथा इस के सिवा और भी जो दुआएं (जाप) वर्णित हैं उन्हें पढ़ना मुस्तह़ब (वांछनीय) है।
13- इस के पश्चात बिना हाथ उठाये तकबीर कहे और सात अंगों: पेशानी (ललाट) एवं नाक, दोनों हथेलियों के भीतरी भाग, दोनों घुटने तथा दोनों पंजों के तलवों पर सज्दा करे।
14- तथा बगलों के बीच, पेट और जाँघ के बीच, और जाँघ और पिंडली के बीच दूरी रखे, और अपनी भुजाओं को भूमि से ऊपर उठा कर रखे।
15- तथा एक बार वाजिबी तौर पर (अनिवार्य रूप से) (سُبْحَانَ رَبِّيَ الْأَعْلَى “सुब्ह़ान रब्बियल आला”) कहे, एवं एक बार से अधिक कहना तथा इस विषय में जो अन्य दुआएं (जाप) वर्णित हैं उन्हें पढ़ना मुस्तहब है।
16- फिर तकबीर कहे और अपने बाएं पाँव को बिछा कर बैठे, और दाहिने पाँव को खड़ा रखे, तथा दाहिने पाँव की उँगलियों के तलवों को ज़मीन पर तथा उँगलियों को क़िब्ला की ओर रखे, और हथेलियों के भीतरी भाग को जाँघों के अंतिम सिरा पर रखे, तथा यह दुआ पढ़ेः (رَبِّ اغْفِرْ لِي “रब्बिग़फ़िर ली”), बैठने का यह ढ़ंग नमाज़ की सभी जलसों (बैठने की भंगिमाओं) में होगा, परंतु तीन रकअत अथवा चार रकअत वाली नमाज़ों के अंतिम तशह्हुद में तवर्रुक करेगा, अर्थातः अपने बाएं पाँव को दाहिनी पिंडली के नीचे रखेगा।
17- फिर तकबीर बोले और पहले सज्दे की तरह सज्दा करे, फिर तकबीर कहे और दूसरी रकअत के लिए उठे, और जैसा उसने पहली रकअत में किया था वैसा ही करे, सिवाय इस के कि दूसरी रकअत में तकबीर -ए- तह़रीमा एवं दुआ -ए- इस्तिफ़ताह़ नहीं है।
18- जब दूसरा सज्दा पूरा कर ले तो तशह्हुद के लिए बैठे।
19- अपनी शहादत की ऊँगली (तर्जनी) से इशारा करे तथा मध्यमा और अंगूठे से से गोलाकार बनाए, एवं अपनी उँगली से दुआ करते हुए इसे हिलाए।
20- इस के पश्चात तशह्हुद पढ़े, फिर दरूद -ए- इब्राहीमी पढ़ेः (التَّحِيَّاتُ لِلَّهِ وَالصَّلَوَاتُ وَالطَّيِّبَاتُ، السَّلَامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا النَّبِيُّ وَرَحْمَةُ اللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ، السَّلَامُ عَلَيْنَا وَعَلَى عِبَادِ اللَّهِ الصَّالِحِينَ، أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ، وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ अत्तहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातु, अस्सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल्लाही व बरकातुहू, अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस्सालिहीन, अशहदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाहु व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुहु)।
(اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ، وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ، كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ، وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ، إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ، اللَّهُمَّ بَارِكْ عَلَى مُحَمَّدٍ، وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ، كَمَا بَارَكْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ، وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ، إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मद, व अला आले मुहम्मद, कमा सल्लैता अला इब्राहीमा व अला आले इब्राहीम, इन्नका हमीदुन मजीद, अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मद, व अला आले मुहम्मद, कमा बारक्ता अला इब्राहीमा व अला आले इब्राहीम, इन्नका हमीदुन मजीद)।
21- फिर चार चीजों से अल्लाह की पनाह माँगेः (اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنْ عَذَابِ جَهَنَّمَ، وَ أَعُوذُ بِكَ مِنْ عَذَابِ الْقَبْرِ، وَ أَعُوذُ بِكَ مِنْ فِتْنَةِ الدَّجَّالِ، وَ أَعُوذُ بِكَ مِنْ فِتْنَةِ الْمَحْيَا وَالْمَمَاتِ अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ुबिका मिन अज़ाबि जहन्नम, व अऊज़ुबिका मिन अज़ाबिल क़ब्र, व अऊज़ुबिका मिन फ़ितनतिद्दज्जाल, व अऊज़ुबिका मिन फ़ितनतिल मह़्या वलममात)। तथा उसे जो प्रिय हो वह दुआ करे, एवं उत्तम यह है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रमाणित दुआएं पढ़े एवं उनके साथ इस दुआ को मिलाएः (اللَّهُمَّ أَعِنِّي عَلَى ذِكْرِكَ وَشُكْرِكَ وَحُسْنِ عِبَادَتِكَ अल्लाहुम्मा अ,इन्नी अला ज़िक्रिका व शुक्रिका व ह़ुस्नि इबादतिका)।
22- फिर अपनी दायीं ओर और बाईं ओर दो सलाम फेरे, और इस प्रकार से कहेः (السَّلَامُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ اللهُ अस्सलामु अलैकुम व रह़मतुल्लाह), एवं अपने सिर को केवल कंधे के बराबर तक घुमाए, और अपने सिर को ऊपर नीचे न घुमाए, तथा न ही अपने हाथों से इशारा करे।
23- संकलन: डॉ. हैस़म सरहान, शिक्षक मस्जिद -ए- नबवी एवं “मअहद अल-सुन्नह सुन्नत संस्थान: https://mahadsunnah.com” के पर्यवेक्षक।
24- कॉपीराइट और वितरण अधिकार उपलब्ध हैं।
25- ब्रोशर के अनुवाद के लिए: https://sarhaan.com पर जाएं अथवा बारकोड को स्कैन करें।
26- नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ का ढ़ंग एवं तरीका।

नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ का ढ़ंग एवं तरीका।
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