
वो अधिकार जो नैसधगिक रूप से होने चाहहयें तथा शरीअत ने भी उन्हें अनुमोहित ककया है
“वो अधिकार जो नैसर्गिक रूप से होने चाहियें तथा शरीअत ने भी उन्हें अनुमोदित किया है” लेखकः मोह़म्मद बिन स़ालेह़ उस़ैमीन रह़िमहुल्लाह नैसर्गिक एवं प्राकृतिक अधिकारों का सारांशः हिंदी भाषा में...
वो अधिकार जो नैसधगिक रूप से होने चाहहयें तथा शरीअत ने भी उन्हें अनुमोहित ककया है
“वो अधिकार जो नैसर्गिक रूप से होने चाहियें तथा शरीअत ने भी उन्हें अनुमोदित किया है”
लेखकः मोह़म्मद बिन स़ालेह़ उस़ैमीन रह़िमहुल्लाह
नैसर्गिक एवं प्राकृतिक अधिकारों का सारांशः
हिंदी भाषा में अनुवादित एक पुस्तिका ..... जिसका संक्षिप्तकरण डॉक्टर शैख़ हैस़म सरह़ान ने, अल्लामा इब्ने उस़ैमीन रह़िमहुल्लाह की “नैसर्गिक एवं प्राकृतिक अधिकार” नामक पुस्तक से किया है, यह एक बहुमुल्य पुस्तक है जो इस्लामी शरीअत के न्याय की व्याख्या करती है उसके द्वारा दिये गये अधिकारों का वर्णन करते हुये। आरंभ सबसे महान अधिकार अर्थात ख़ालिक़ (रचनाकार, अल्लाह) के अधिकारों के वर्णन द्वारा किया गया है, तत्पश्चात मख़लूक़ के अधिकारों का वर्णन किया गया है जिन में सबसे महत्वपूर्ण एवं महान मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का अधिकार है।
वो अधिकार जो नैसधगिक रूप से होने चाहहयें तथा शरीअत ने भी उन्हें अनुमोहित ककया है
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