المرسلات
Al-Mursalat
The Emissaries
1 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 001
وَٱلۡمُرۡسَلَٰتِ عُرۡفٗا
क़सम है उन हवाओं की जो निरंतर भेजी जाती हैं!
2 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 002
فَٱلۡعَٰصِفَٰتِ عَصۡفٗا
फिर बहुत तेज़ चलने वाली हवाओं की क़सम!
3 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 003
وَٱلنَّـٰشِرَٰتِ نَشۡرٗا
और बादलों को फैलाने वाली हवाओं[1] की क़सम!
1. अर्थात जो हवाएँ अल्लाह के आदेशानुसार बादलों को फैलाती हैं।
4 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 004
فَٱلۡفَٰرِقَٰتِ فَرۡقٗا
फिर सत्य और असत्य के बीच अंतर करने वाली चीज़[2] के साथ उतरने वाले फ़रिश्तों की क़सम!
2. अर्थात सत्यासत्य तथा वैध और अवैध के बीच अंतर करने के लिए आदेश लाते हैं।
5 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 005
فَٱلۡمُلۡقِيَٰتِ ذِكۡرًا
फिर वह़्य[3] लेकर उतरने वाले फ़रिश्तों की क़सम!
3. अर्थात जो वह़्य (प्रकाशना) ग्रहण करके उसे रसूलों तक पहुँचाते हैं।
6 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 006
عُذۡرًا أَوۡ نُذۡرًا
उज़्र (बहाना) समाप्त करने या डराने[4] के लिए।
4. अर्थात ईमान लाने वालों के लिये क्षमा का वचन तथा काफ़िरों के लिये यातना की सूचना लाते हैं।
7 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 007
إِنَّمَا تُوعَدُونَ لَوَٰقِعٞ
निःसंदेह तुमसे जिस चीज़ का वादा किया जाता है, निश्चय वह होकर रहने वाली है।
8 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 008
فَإِذَا ٱلنُّجُومُ طُمِسَتۡ
फिर जब तारे मिटा दिए जाएँगे।
9 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 009
وَإِذَا ٱلسَّمَآءُ فُرِجَتۡ
और जब आकाश फाड़ दिया जाएगा।
10 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 010
وَإِذَا ٱلۡجِبَالُ نُسِفَتۡ
और जब पर्वत उड़ा दिए जाएँगे।
11 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 011
وَإِذَا ٱلرُّسُلُ أُقِّتَتۡ
और जब रसूलों को निर्धारित समय पर एकत्र किया जाएगा।[5]
5. उनके तथा उनके समुदायों के बीच निर्णय करने के लिए, और रसूल गवाही देंगे।
12 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 012
لِأَيِّ يَوۡمٍ أُجِّلَتۡ
किस दिन के लिए वे विलंबित किए गए हैं?
13 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 013
لِيَوۡمِ ٱلۡفَصۡلِ
निर्णय के दिन के लिए।
14 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 014
وَمَآ أَدۡرَىٰكَ مَا يَوۡمُ ٱلۡفَصۡلِ
और आपको किस चीज़ ने अवगत कराया कि निर्णय का दिन क्या है?
15 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 015
وَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ
उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ा विनाश है।
16 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 016
أَلَمۡ نُهۡلِكِ ٱلۡأَوَّلِينَ
क्या हमने पहलों को विनष्ट नहीं किया?
17 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 017
ثُمَّ نُتۡبِعُهُمُ ٱلۡأٓخِرِينَ
फिर हम उनके पीछे बाद वालों को भेजेंगे।[6]
6. अर्थात उन्हीं के समान यातना ग्रस्त कर देंगे।
18 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 018
كَذَٰلِكَ نَفۡعَلُ بِٱلۡمُجۡرِمِينَ
हम अपराधियों के साथ ऐसा ही करते हैं।
19 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 019
وَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ
उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ा विनाश है।
20 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 020
أَلَمۡ نَخۡلُقكُّم مِّن مَّآءٖ مَّهِينٖ
क्या हमने तुम्हें एक तुच्छ पानी से पैदा नहीं किया?
21 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 021
فَجَعَلۡنَٰهُ فِي قَرَارٖ مَّكِينٍ
फिर हमने उसे एक सुरक्षित ठिकाने में रखा।
22 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 022
إِلَىٰ قَدَرٖ مَّعۡلُومٖ
एक ज्ञात अवधि तक।[7]
7. अर्थात गर्भ की अवधि तक।
23 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 023
فَقَدَرۡنَا فَنِعۡمَ ٱلۡقَٰدِرُونَ
फिर हमने अनुमान[8] लगाया, तो हम क्या ही अच्छा अनुमान लगाने वाले हैं।
8. अर्थात मानव शरीर की संरचना और उसके अंगों का।
24 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 024
وَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ
उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ा विनाश है।
25 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 025
أَلَمۡ نَجۡعَلِ ٱلۡأَرۡضَ كِفَاتًا
क्या हमने धरती को समेटने[9] वाली नहीं बनाया?
9. अर्थात जब तक लोग जीवित रहते हैं, तो उसके ऊपर रहते तथा बसते हैं और मरण के पश्चात उसी में चले जाते हैं।
26 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 026
أَحۡيَآءٗ وَأَمۡوَٰتٗا
जीवित और मृत लोगों को।
27 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 027
وَجَعَلۡنَا فِيهَا رَوَٰسِيَ شَٰمِخَٰتٖ وَأَسۡقَيۡنَٰكُم مَّآءٗ فُرَاتٗا
तथा हमने उसमें ऊँचे पर्वत बनाए और हमने तुम्हें मीठा पानी पिलाया।
28 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 028
وَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ
उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ा विनाश है।
29 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 029
ٱنطَلِقُوٓاْ إِلَىٰ مَا كُنتُم بِهِۦ تُكَذِّبُونَ
(कहा जाएगा 🙂 उस चीज़ की ओर चलो, जिसे तुम झुठलाते थे।
30 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 030
ٱنطَلِقُوٓاْ إِلَىٰ ظِلّٖ ذِي ثَلَٰثِ شُعَبٖ
एक छाया[10] की ओर चलो, जो तीन शाखाओं वाली है।
10. छाया से अभिप्राय नरक के धुँवे की छाया है, जो तीन दिशाओं में फैली होगी।
31 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 031
لَّا ظَلِيلٖ وَلَا يُغۡنِي مِنَ ٱللَّهَبِ
जो न छाया देगी और न ज्वाला से बचाएगी।
32 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 032
إِنَّهَا تَرۡمِي بِشَرَرٖ كَٱلۡقَصۡرِ
निःसंदेह वह (आग) भवन के समान चिंगारियाँ फेंकेगी।
33 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 033
كَأَنَّهُۥ جِمَٰلَتٞ صُفۡرٞ
जैसे वे पीले ऊँट हों।
34 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 034
وَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ
उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ा विनाश है।
35 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 035
هَٰذَا يَوۡمُ لَا يَنطِقُونَ
यह वह दिन है कि वे बोल[11] नहीं सकेंगे।
11. अर्थात उनके विरुद्ध ऐसे तर्क प्रस्तुत कर दिए जाएँगे कि वे अवाक रह जाएँगे।
36 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 036
وَلَا يُؤۡذَنُ لَهُمۡ فَيَعۡتَذِرُونَ
और न उन्हें अनुमति दी जाएगी कि वे उज़्र (कारण) पेश करें।
37 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 037
وَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ
उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ा विनाश है।
38 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 038
هَٰذَا يَوۡمُ ٱلۡفَصۡلِۖ جَمَعۡنَٰكُمۡ وَٱلۡأَوَّلِينَ
यह निर्णय का दिन है। हमने तुम्हें और पहलों को एकत्र कर दिया है।
39 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 039
فَإِن كَانَ لَكُمۡ كَيۡدٞ فَكِيدُونِ
तो यदि तुम्हारे पास कोई चाल[12] हो, तो मेरे विरुद्ध चलो।
12. अर्थात मेरी पकड़ से बचने की।
40 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 040
وَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ
उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ा विनाश है।
41 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 041
إِنَّ ٱلۡمُتَّقِينَ فِي ظِلَٰلٖ وَعُيُونٖ
निश्चय डरने वाले लोग छाँवों तथा स्रोतों में होंगे।
42 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 042
وَفَوَٰكِهَ مِمَّا يَشۡتَهُونَ
तथा फलों में, जिसमें से वे चाहेंगे।
43 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 043
كُلُواْ وَٱشۡرَبُواْ هَنِيٓـَٔۢا بِمَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ
(तथा उनसे कहा जाएगा 🙂 मज़े से खाओ और पियो, उसके बदले जो तुम किया करते थे।
44 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 044
إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجۡزِي ٱلۡمُحۡسِنِينَ
हम सदाचारियों को इसी तरह बदला प्रदान करते हैं।
45 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 045
وَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ
उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ा विनाश है।
46 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 046
كُلُواْ وَتَمَتَّعُواْ قَلِيلًا إِنَّكُم مُّجۡرِمُونَ
(ऐ झुठलाने वालो!) तुम खा लो तथा थोड़ा-सा[13] आनंद ले लो। निश्चय तुम अपराधी हो।
13. अर्थात सांसारिक जीवन में।
47 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 047
وَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ
उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ा विनाश है।
48 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 048
وَإِذَا قِيلَ لَهُمُ ٱرۡكَعُواْ لَا يَرۡكَعُونَ
तथा जब उनसे कहा जाता है कि (अल्लाह के आगे) झुको, तो वे नहीं झुकते।
49 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 049
وَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ
उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ा विनाश है।
50 - Al-Mursalat (The Emissaries) - 050