القيامة

 

Al-Qiyamah

 

The Resurrection

1 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 001

لَآ أُقۡسِمُ بِيَوۡمِ ٱلۡقِيَٰمَةِ
मैं क़सम खाता हूँ क़ियामत के दिन[1] की।
1. किसी चीज़ की क़सम खाने का अर्थ होता है, उसका निश्चित् होना। अर्थात प्रलय का होना निश्चित् है।

2 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 002

وَلَآ أُقۡسِمُ بِٱلنَّفۡسِ ٱللَّوَّامَةِ
तथा मैं क़सम खाता हूँ निंदा[2] करने वाली अंतरात्मा की।
2. मनुष्य की अंतरात्मा की यह विशेषता है कि वह बुराई करने पर उसकी निंदा करती है।

3 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 003

أَيَحۡسَبُ ٱلۡإِنسَٰنُ أَلَّن نَّجۡمَعَ عِظَامَهُۥ
क्या इनसान समझता है कि हम कभी उसकी हड्डियों को एकत्र नहीं करेंगे?

4 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 004

بَلَىٰ قَٰدِرِينَ عَلَىٰٓ أَن نُّسَوِّيَ بَنَانَهُۥ
क्यों नहीं? हम इस बता का भी सामर्थ्य रखते हैं कि उसकी उंगलियों की पोर-पोर सीधी कर दें।

5 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 005

بَلۡ يُرِيدُ ٱلۡإِنسَٰنُ لِيَفۡجُرَ أَمَامَهُۥ
बल्कि मनुष्य चाहता है कि अपने आगे भी[3] गुनाह करता रहे।
3. अर्थात वह प्रलय तथा ह़िसाब का इनकार इसलिए करता है ताकि वह पूरी आयु कुकर्म करता रहे।

6 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 006

يَسۡـَٔلُ أَيَّانَ يَوۡمُ ٱلۡقِيَٰمَةِ
वह पूछता है कि क़ियामत का दिन कब होगा?

7 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 007

فَإِذَا بَرِقَ ٱلۡبَصَرُ
तो जब आँख चौंधिया जाएगी।

8 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 008

وَخَسَفَ ٱلۡقَمَرُ
और चाँद को ग्रहण लग जाएगा।

9 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 009

وَجُمِعَ ٱلشَّمۡسُ وَٱلۡقَمَرُ
और सूर्य और चाँद एकत्र[4] कर दिए जाएँगे।
4. अर्थात दोनों पश्चिम से अँधेरे होकर निकलेंगे।

10 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 010

يَقُولُ ٱلۡإِنسَٰنُ يَوۡمَئِذٍ أَيۡنَ ٱلۡمَفَرُّ
उस दिन मनुष्य कहेगा कि भागने का स्थान कहाँ है?

11 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 011

كَلَّا لَا وَزَرَ
कदापि नहीं, शरण लेने का स्थान कोई नहीं।

12 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 012

إِلَىٰ رَبِّكَ يَوۡمَئِذٍ ٱلۡمُسۡتَقَرُّ
उस दिन तेरे पालनहार ही की ओर लौटकर जाना है।

13 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 013

يُنَبَّؤُاْ ٱلۡإِنسَٰنُ يَوۡمَئِذِۭ بِمَا قَدَّمَ وَأَخَّرَ
उस दिन इनसान को बताया जाएगा जो उसने आगे भेजा और जो पीछे छोड़ा।[5]
5. अर्थात संसार में जो कर्म किया और जो करना चाहिए था, फिर भी नहीं किया।

14 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 014

بَلِ ٱلۡإِنسَٰنُ عَلَىٰ نَفۡسِهِۦ بَصِيرَةٞ
बल्कि इनसान स्वयं अपने विरुद्ध गवाह[6] है।
6. अर्थात वह अपने अपराधों को स्वयं भी जानता है क्योंकि पापी का मन स्वयं अपने पाप की गवाही देता है।

15 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 015

وَلَوۡ أَلۡقَىٰ مَعَاذِيرَهُۥ
अगरचे वह अपने बहाने पेश करे।

16 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 016

لَا تُحَرِّكۡ بِهِۦ لِسَانَكَ لِتَعۡجَلَ بِهِۦٓ
(ऐ नबी!) आप इसके साथ अपनी ज़ुबान न हिलाएँ[7], ताकि इसे शीघ्र याद कर लें।
7. ह़दीस में है कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) फ़रिश्ते जिब्रील से वह़्य पूरी होने से पहले इस भय से उसे दुहराने लगते कि कुछ भूल न जाएँ। उसी पर यह आयत उतरी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4928, 4929) इसी विषय को सूरत ताहा तथा सूरतुल-आला में भी दुहराया गया है।

17 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 017

إِنَّ عَلَيۡنَا جَمۡعَهُۥ وَقُرۡءَانَهُۥ
निःसंदेह उसको एकत्र करना और (आपका) उसे पढ़ना हमारे ज़िम्मे है।

18 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 018

فَإِذَا قَرَأۡنَٰهُ فَٱتَّبِعۡ قُرۡءَانَهُۥ
अतः जब हम उसे पढ़ लें, तो आप उसके पठन का अनुसरण करें।

19 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 019

ثُمَّ إِنَّ عَلَيۡنَا بَيَانَهُۥ
फिर निःसंदेह उसे स्पषट करना हमारे ही ज़िम्मे है।

20 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 020

كَلَّا بَلۡ تُحِبُّونَ ٱلۡعَاجِلَةَ
कदापि नहीं[8], बल्कि तुम शीघ्र प्राप्त होने वाली चीज़ (संसार) से प्रेम करते हो।
8. यहाँ से बात फिर काफ़िरों की ओर फिर रही है।

21 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 021

وَتَذَرُونَ ٱلۡأٓخِرَةَ
और बाद में आने वाली (आख़िरत) को छोड़ देते हो।

22 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 022

وُجُوهٞ يَوۡمَئِذٖ نَّاضِرَةٌ
उस दिन कई चेहरे तरो-ताज़ा होंगे।

23 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 023

إِلَىٰ رَبِّهَا نَاظِرَةٞ
अपने पालनहार की ओर देख रहे होंगे।

24 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 024

وَوُجُوهٞ يَوۡمَئِذِۭ بَاسِرَةٞ
और कई चेहरे उस दिन बिगड़े हुए होंगे।

25 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 025

تَظُنُّ أَن يُفۡعَلَ بِهَا فَاقِرَةٞ
उन्हें विश्वास होगा कि उनके साथ कमड़ तोड़ देने वाली सख्ती की जाएगी।

26 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 026

كَلَّآ إِذَا بَلَغَتِ ٱلتَّرَاقِيَ
कदापि नहीं[9], जब प्राण हँसलियों तक पहुँच जाएगा।
9. अर्थात यह विचार सह़ीह़ नहीं कि मौत के पश्चात् सड़-गल जाएँगे और दोबारा जीवित नहीं किए जाएँगे। क्योंकि आत्मा रह जाती है, जो मौत के साथ ही अपने पालनहार की ओर चली जाती है।

27 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 027

وَقِيلَ مَنۡۜ رَاقٖ
और कहा जाएगा : कौन है झाड़-फूँक करने वाला?

28 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 028

وَظَنَّ أَنَّهُ ٱلۡفِرَاقُ
और उसे विश्वास हो जाएगा कि यह (संसार से) जुदाई का समय है।

29 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 029

وَٱلۡتَفَّتِ ٱلسَّاقُ بِٱلسَّاقِ
और पिंडली, पिंडली[10] के साथ लिपट जाएगी।
10. अर्थात मौत का समय आ जाएगा जो निरंतर दुःख का समय होगा। (इब्ने कसीर)

30 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 030

إِلَىٰ رَبِّكَ يَوۡمَئِذٍ ٱلۡمَسَاقُ
उस दिन तेरे पालनहार ही की ओर जाना है।

31 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 031

فَلَا صَدَّقَ وَلَا صَلَّىٰ
तो न उसने (सत्य को) माना और न नमाज़ पढ़ी।

32 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 032

وَلَٰكِن كَذَّبَ وَتَوَلَّىٰ
लेकिन उसने झुठलाया तथा मुँह फेरा।

33 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 033

ثُمَّ ذَهَبَ إِلَىٰٓ أَهۡلِهِۦ يَتَمَطَّىٰٓ
फिर अकड़ता हुआ अपने परिजनों की ओर गया।

34 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 034

أَوۡلَىٰ لَكَ فَأَوۡلَىٰ
तेरे लिए विनाश है, फिर तेरे लिए बर्बादी है।

35 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 035

ثُمَّ أَوۡلَىٰ لَكَ فَأَوۡلَىٰٓ
फिर तेरे लिए विनाश है, फिर तेरे लिए बर्बादी है।

36 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 036

أَيَحۡسَبُ ٱلۡإِنسَٰنُ أَن يُتۡرَكَ سُدًى
क्या इनसान समझता है कि उसे यूँ ही बेकार छोड़ दिया जायेगा?[11]
11. अर्थात न उसे किसी बात का आदेश दिया जाएगा और न रोका जाएगा और न उससे कर्मों का ह़िसाब लिया जाएगा।

37 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 037

أَلَمۡ يَكُ نُطۡفَةٗ مِّن مَّنِيّٖ يُمۡنَىٰ
क्या वह वीर्य की एक बूंद नहीं था, जो (गर्भाशय में) गिराई जाती है?

38 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 038

ثُمَّ كَانَ عَلَقَةٗ فَخَلَقَ فَسَوَّىٰ
फिर वह जमे हुए रक्त का टुकड़ा हुआ, फिर अल्लाह ने पैदा किया और दुरुस्त बनाया।

39 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 039

فَجَعَلَ مِنۡهُ ٱلزَّوۡجَيۡنِ ٱلذَّكَرَ وَٱلۡأُنثَىٰٓ
फिर उसने उससे दो प्रकार : नर और मादा बनाए।

40 - Al-Qiyamah (The Resurrection) - 040

أَلَيۡسَ ذَٰلِكَ بِقَٰدِرٍ عَلَىٰٓ أَن يُحۡـِۧيَ ٱلۡمَوۡتَىٰ
क्या वह इसमें समर्थ नहीं कि मुर्दों को जीवित कर दे?

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