المزمل
Al-Muzzammil
The Enshrouded One
1 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 001
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلۡمُزَّمِّلُ
ऐ कपड़े में लिपटने वाले!
2 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 002
قُمِ ٱلَّيۡلَ إِلَّا قَلِيلٗا
रात्रि के समय (नमाज़ में) खड़े रहें, सिवाय उसके थोड़े भाग के।[1]
1. ह़दीस में है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) रात में इतनी नमाज़ पढ़ते थे कि आपके पैर सूज जाते थे। आपसे कहा गया : ऐसा क्यों करते हैं? जबकि अल्लाह ने आपके पहले और पिछले गुनाह क्षमा कर दिए हैं? आपने कहा : क्या मैं उसका कृतज्ञ बंदा न बनूँ? (बुख़ारी : 1130, मुस्लिम : 2819)
3 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 003
نِّصۡفَهُۥٓ أَوِ ٱنقُصۡ مِنۡهُ قَلِيلًا
आधी रात (नमाज़ पढ़ें) अथवा उससे थोड़ा-सा कम कर लें।
4 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 004
أَوۡ زِدۡ عَلَيۡهِ وَرَتِّلِ ٱلۡقُرۡءَانَ تَرۡتِيلًا
या उससे कुछ अधिक कर लें। और क़ुरआन को ठहर-ठहर कर पढ़ें।
5 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 005
إِنَّا سَنُلۡقِي عَلَيۡكَ قَوۡلٗا ثَقِيلًا
निश्चय हम आपपर (ऐ नबी!) एक भारी वाणी (क़ुरआन) उतारेंगे।
6 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 006
إِنَّ نَاشِئَةَ ٱلَّيۡلِ هِيَ أَشَدُّ وَطۡـٔٗا وَأَقۡوَمُ قِيلًا
निःसंदेह रात की इबादत हृदय में अधिक प्रभावी होती है और बात के लिए अधिक उपयुक्त होती है।
7 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 007
إِنَّ لَكَ فِي ٱلنَّهَارِ سَبۡحٗا طَوِيلٗا
निःसंदेह आपके लिए दिन में बहुत-से कार्य हैं।
8 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 008
وَٱذۡكُرِ ٱسۡمَ رَبِّكَ وَتَبَتَّلۡ إِلَيۡهِ تَبۡتِيلٗا
और अपने पालनहार के नाम का स्मरण करें और सबसे अलग होकर उसी की ओर ध्यान आकर्षित कर लें।
9 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 009
رَّبُّ ٱلۡمَشۡرِقِ وَٱلۡمَغۡرِبِ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ فَٱتَّخِذۡهُ وَكِيلٗا
वह पूर्व तथा पश्चिम का पालनहार है। उसके सिवा कोई पूज्य नहीं। अतः तुम उसी को अपना कार्यसाधक बना लो।
10 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 010
وَٱصۡبِرۡ عَلَىٰ مَا يَقُولُونَ وَٱهۡجُرۡهُمۡ هَجۡرٗا جَمِيلٗا
और जो कुछ वे कह रहे हैं[2], उसपर धैर्य से काम लें और उन्हें अच्छे ढंग से छोड़ दें।
2. अर्थात आपके तथा सत्धर्म के विरुद्ध।
11 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 011
وَذَرۡنِي وَٱلۡمُكَذِّبِينَ أُوْلِي ٱلنَّعۡمَةِ وَمَهِّلۡهُمۡ قَلِيلًا
तथा मुझे और इन झुठलाने वाले संपन्न लोगों को छोड़ दें और उन्हें थोड़ी-सी मोहलत दें।
12 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 012
إِنَّ لَدَيۡنَآ أَنكَالٗا وَجَحِيمٗا
निःसंदेह हमारे पास बेड़ियाँ हैं तथा भड़कती हुई आग।
13 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 013
وَطَعَامٗا ذَا غُصَّةٖ وَعَذَابًا أَلِيمٗا
और गले में फँस जाने वाला भोजन तथा दर्दनाक यातना है।
14 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 014
يَوۡمَ تَرۡجُفُ ٱلۡأَرۡضُ وَٱلۡجِبَالُ وَكَانَتِ ٱلۡجِبَالُ كَثِيبٗا مَّهِيلًا
जिस दिन धरती और पर्वत काँप उठेंगे तथा पर्वत गिराई हुई रेत के ढेर हो जाएँगे।
15 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 015
إِنَّآ أَرۡسَلۡنَآ إِلَيۡكُمۡ رَسُولٗا شَٰهِدًا عَلَيۡكُمۡ كَمَآ أَرۡسَلۡنَآ إِلَىٰ فِرۡعَوۡنَ رَسُولٗا
निःसंदेह हमने तुम्हारी ओर एक रसूल[3] भेजा, जो तुमपर गवाही देने वाला है, जिस प्रकार हमने फ़िरऔन की ओर एक रसूल भेजा।
3. अर्थात मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को। गवाह होने के अर्थ के लिए देखिए : सूरतुल-बक़रा, आयत : 143, तथा सूरतुल-ह़ज्ज, आयत : 78। इसमें चेतावनी है कि यदि तुमने अवज्ञा की, तो तुम्हारी दशा भी फ़िरऔन जैसी होगी।
16 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 016
فَعَصَىٰ فِرۡعَوۡنُ ٱلرَّسُولَ فَأَخَذۡنَٰهُ أَخۡذٗا وَبِيلٗا
चुनाँचे फ़िरऔन ने उस रसूल की अवज्ञा की, तो हमने उसकी बड़ी सख़्त पकड़ की।
17 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 017
فَكَيۡفَ تَتَّقُونَ إِن كَفَرۡتُمۡ يَوۡمٗا يَجۡعَلُ ٱلۡوِلۡدَٰنَ شِيبًا
फिर तुम कैसे बचोगे, यदि तुमने कुफ्र किया, उस दिन से जो बच्चों को बूढ़े कर देगा?
18 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 018
ٱلسَّمَآءُ مُنفَطِرُۢ بِهِۦۚ كَانَ وَعۡدُهُۥ مَفۡعُولًا
उस दिन आकाश फट जाएगा। उसका वादा पूरा होकर रहेगा।
19 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 019
إِنَّ هَٰذِهِۦ تَذۡكِرَةٞۖ فَمَن شَآءَ ٱتَّخَذَ إِلَىٰ رَبِّهِۦ سَبِيلًا
निश्चय यह एक उपदेश है। अतः जो चाहे अपने पालनहार की ओर रास्ता बना ले।[4]
4. अर्थात इन आयतों का पालन करके अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त कर ले।
20 - Al-Muzzammil (The Enshrouded One) - 020