المعارج

 

Al-Ma'arij

 

The Ascending Stairways

1 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 001

سَأَلَ سَآئِلُۢ بِعَذَابٖ وَاقِعٖ
एक माँगने वाले[1] ने वह यातना माँगी, जो घटित होने वाली है।
1. कहा जाता है नज़्र पुत्र ह़ारिस अथवा अबू जह्ल ने यह माँग की थी कि "ऐ अल्लाह! यदि यह सत्य है तेरी ओर से तो तू हमपर आकाश से पत्थर बरसा दे।" (देखिए : सूरतुल-अन्फाल, आयतः 32)

2 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 002

لِّلۡكَٰفِرِينَ لَيۡسَ لَهُۥ دَافِعٞ
काफ़िरों पर। उसे कोई टालने वाला नहीं।

3 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 003

مِّنَ ٱللَّهِ ذِي ٱلۡمَعَارِجِ
ऊँचाइयों वाले अल्लाह की ओर से।

4 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 004

تَعۡرُجُ ٱلۡمَلَـٰٓئِكَةُ وَٱلرُّوحُ إِلَيۡهِ فِي يَوۡمٖ كَانَ مِقۡدَارُهُۥ خَمۡسِينَ أَلۡفَ سَنَةٖ
फ़रिश्ते और रूह[2] उसकी ओर चढ़ेंगे, एक ऐसे दिन में जिसकी मात्रा पचास हज़ार वर्ष है।
2. रूह़ से अभिप्राय फ़रिश्ता जिबरील (अलैहिस्सलाम) हैं।

5 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 005

فَٱصۡبِرۡ صَبۡرٗا جَمِيلًا
अतः (ऐ नबी!) आप अच्छे धैर्य से काम लें।

6 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 006

إِنَّهُمۡ يَرَوۡنَهُۥ بَعِيدٗا
निःसंदेह वे उसे दूर समझ रहे हैं।

7 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 007

وَنَرَىٰهُ قَرِيبٗا
और हम उसे निकट देख रहे हैं।

8 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 008

يَوۡمَ تَكُونُ ٱلسَّمَآءُ كَٱلۡمُهۡلِ
जिस दिन आकाश पिघली हुई धातु के समान हो जाएगा।

9 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 009

وَتَكُونُ ٱلۡجِبَالُ كَٱلۡعِهۡنِ
और पर्वत धुने हुए ऊन के समान हो जाएँगे।[3]
3. देखिए : सूरतुल-क़ारिआ।

10 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 010

وَلَا يَسۡـَٔلُ حَمِيمٌ حَمِيمٗا
और कोई मित्र किसी मित्र को नहीं पूछेगा।

11 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 011

يُبَصَّرُونَهُمۡۚ يَوَدُّ ٱلۡمُجۡرِمُ لَوۡ يَفۡتَدِي مِنۡ عَذَابِ يَوۡمِئِذِۭ بِبَنِيهِ
हालाँकि वे उन्हें दिखाए जा रहे होंगे। अपराधी चाहेगा कि काश उस दिन की यातना से बचने के लिए छुड़ौती में दे दे अपने बेटों को।

12 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 012

وَصَٰحِبَتِهِۦ وَأَخِيهِ
तथा अपनी पत्नी और अपने भाई को।

13 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 013

وَفَصِيلَتِهِ ٱلَّتِي تُـٔۡوِيهِ
तथा अपने परिवार (कुटुंब) को, जो उसे शरण देता था।

14 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 014

وَمَن فِي ٱلۡأَرۡضِ جَمِيعٗا ثُمَّ يُنجِيهِ
और उन सभी लोगों[4] को जो धरती में हैं। फिर अपने आपको बचा ले।
4. ह़दीस में है कि जिस नारकी को सबसे सरल यातना दी जाएगी, उससे अल्लाह कहेगा : क्या धरती का सब कुछ तुम्हें मिल जाए तो उसे इसके दंड में दे दोगे? वह कहेगा : हाँ। अल्लाह कहेगा : तुम आदम की पीठ में थे, तो मैंने तुमसे इससे सरल की माँग की थी कि मेरा किसी को साझी न बनाना, पर तुमने इनकार किया और शिर्क किया। (सह़ीह़ बुख़ारी : 6557, सह़ीह़ मुस्लिम : 2805)

15 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 015

كَلَّآۖ إِنَّهَا لَظَىٰ
कदापि नहीं! निःसंदेह वह (जहन्नम) भड़कने वाली आग है।

16 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 016

نَزَّاعَةٗ لِّلشَّوَىٰ
जो खाल उधेड़ देने वाली है।

17 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 017

تَدۡعُواْ مَنۡ أَدۡبَرَ وَتَوَلَّىٰ
वह उसे पुकारेगी, जिसने पीठ फेरी[5] और मुँह मोड़ा।
5. अर्थात सत्य से।

18 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 018

وَجَمَعَ فَأَوۡعَىٰٓ
तथा (धन) एकत्र किया और संभाल कर रखा।

19 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 019

۞إِنَّ ٱلۡإِنسَٰنَ خُلِقَ هَلُوعًا
निःसंदेह मनुष्य बहुत अधीर बनाया गया है।

20 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 020

إِذَا مَسَّهُ ٱلشَّرُّ جَزُوعٗا
जब उसे कष्ट पहुँचता है, तो बहुत घबरा जाने वाला है।

21 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 021

وَإِذَا مَسَّهُ ٱلۡخَيۡرُ مَنُوعًا
और जब उसे भलाई मिलती है, तो बहुत रोकने वाला है।

22 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 022

إِلَّا ٱلۡمُصَلِّينَ
सिवाय नमाज़ियों के।

23 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 023

ٱلَّذِينَ هُمۡ عَلَىٰ صَلَاتِهِمۡ دَآئِمُونَ
जो हमेशा अपनी नमाज़ों की पाबंदी करते हैं।

24 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 024

وَٱلَّذِينَ فِيٓ أَمۡوَٰلِهِمۡ حَقّٞ مَّعۡلُومٞ
और जिनके धन में एक निश्चित भाग है।

25 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 025

لِّلسَّآئِلِ وَٱلۡمَحۡرُومِ
माँगने वाले तथा वंचित[6] के लिए।
6. अर्थात जो न माँगने के कारण वंचित रह जाता है।

26 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 026

وَٱلَّذِينَ يُصَدِّقُونَ بِيَوۡمِ ٱلدِّينِ
और जो बदले के दिन को सत्य मानते हैं।

27 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 027

وَٱلَّذِينَ هُم مِّنۡ عَذَابِ رَبِّهِم مُّشۡفِقُونَ
और जो अपने पालनहार की यातना से डरने वाले हैं।

28 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 028

إِنَّ عَذَابَ رَبِّهِمۡ غَيۡرُ مَأۡمُونٖ
निश्चय उनके पालनहार की यातना ऐसी चीज़ है, जिससे निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता।

29 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 029

وَٱلَّذِينَ هُمۡ لِفُرُوجِهِمۡ حَٰفِظُونَ
और जो अपने गुप्तांगों की रक्षा करते हैं।

30 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 030

إِلَّا عَلَىٰٓ أَزۡوَٰجِهِمۡ أَوۡ مَا مَلَكَتۡ أَيۡمَٰنُهُمۡ فَإِنَّهُمۡ غَيۡرُ مَلُومِينَ
सिवाय अपनी पत्नियों से या अपने स्वामित्व में आई दासियों[7] से, तो निश्चय वे निंदनीय नहीं हैं।
7. इस्लाम में उसी दासी से संभोग उचित है जिसे सेनापति ने ग़नीमत के दूसरे धनों के समान किसी मुजाहिद के स्वामित्व में दे दिया हो। इससे पूर्व किसी बंदी स्त्री से संभोग पाप तथा व्यभिचार है। और उससे संभोग भी उस समय वैध है जब उसे एक बार मासिक धर्म आ जाए। अथवा गर्भवती हो, तो प्रसव के पश्चात् ही संभोग किया जा सकता है। इसी प्रकार जिसके स्वामित्व में आई हो, उसके सिवा और कोई उससे संभोग नहीं कर सकता।

31 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 031

فَمَنِ ٱبۡتَغَىٰ وَرَآءَ ذَٰلِكَ فَأُوْلَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلۡعَادُونَ
फिर जो इसके अलावा कुछ और चाहे, तो ऐसे ही लोग सीमा का उल्लंघन करने वाले हैं।

32 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 032

وَٱلَّذِينَ هُمۡ لِأَمَٰنَٰتِهِمۡ وَعَهۡدِهِمۡ رَٰعُونَ
और जो अपनी अमानतों तथा अपनी प्रतिज्ञा का ध्यान रखने वाले हैं।

33 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 033

وَٱلَّذِينَ هُم بِشَهَٰدَٰتِهِمۡ قَآئِمُونَ
और जो अपनी गवाहियों पर क़ायम रहने वाले हैं।

34 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 034

وَٱلَّذِينَ هُمۡ عَلَىٰ صَلَاتِهِمۡ يُحَافِظُونَ
तथा जो अपनी नमाज़ की रक्षा करते हैं।

35 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 035

أُوْلَـٰٓئِكَ فِي جَنَّـٰتٖ مُّكۡرَمُونَ
वही लोग जन्नतों में सम्मानित होंगे।

36 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 036

فَمَالِ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ قِبَلَكَ مُهۡطِعِينَ
फिर इन काफ़िरों को क्या हुआ है कि वे आपकी ओर दौड़े चले आ रहे है?

37 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 037

عَنِ ٱلۡيَمِينِ وَعَنِ ٱلشِّمَالِ عِزِينَ
दाएँ से और बाएँ से समूह के समूह।[8]
8. अर्थात जब आप क़ुरआन सुनाते हैं, तो उसका उपहास करने के लिए समूहों में होकर आ जाते हैं। और इनका दावा यह है कि स्वर्ग में जाएँगे।

38 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 038

أَيَطۡمَعُ كُلُّ ٱمۡرِيٕٖ مِّنۡهُمۡ أَن يُدۡخَلَ جَنَّةَ نَعِيمٖ
क्या उनमें से प्रत्येक व्यक्ति यह लालच रखता है कि उसे नेमत वाली जन्नत में दाखिल किया जाएगा?

39 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 039

كَلَّآۖ إِنَّا خَلَقۡنَٰهُم مِّمَّا يَعۡلَمُونَ
कदापि नहीं, निश्चय हमने उन्हें उस चीज़[9] से पैदा किया है, जिसे वे जानते हैं।
9. अर्थात हीन जल (वीर्य) से। फिर भी घमंड करते हैं, तथा अल्लाह और उसके रसूल को नहीं मानते।

40 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 040

فَلَآ أُقۡسِمُ بِرَبِّ ٱلۡمَشَٰرِقِ وَٱلۡمَغَٰرِبِ إِنَّا لَقَٰدِرُونَ
तो मैं क़सम खाता हूँ पूर्वों (सूर्योदय के स्थानों) तथा पश्चिमों (सूर्यास्त के स्थानों) के रब की! निश्चय हम सक्षम हैं।

41 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 041

عَلَىٰٓ أَن نُّبَدِّلَ خَيۡرٗا مِّنۡهُمۡ وَمَا نَحۡنُ بِمَسۡبُوقِينَ
कि उनके स्थान पर उनसे उत्तम लोग ले आएँ तथा हम विवश नहीं हैं।

42 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 042

فَذَرۡهُمۡ يَخُوضُواْ وَيَلۡعَبُواْ حَتَّىٰ يُلَٰقُواْ يَوۡمَهُمُ ٱلَّذِي يُوعَدُونَ
अतः आप उन्हें छोड़ दें कि वे व्यर्थ की बातों में लगे रहें तथा खेलते रहें, यहाँ तक कि उनका सामना उनके उस दिन से हो जाए, जिसका उनसे वादा किया जाता है।

43 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 043

يَوۡمَ يَخۡرُجُونَ مِنَ ٱلۡأَجۡدَاثِ سِرَاعٗا كَأَنَّهُمۡ إِلَىٰ نُصُبٖ يُوفِضُونَ
जिस दिन वे क़ब्रों से तेज़ी से बाहर निकलेंगे, जैसे कि वे किसी निशान की ओर[10] दौड़े जा रहे हैं।
10. या उनके थानों की ओर। क्योंकि संसार में वे सूर्योदय के समय बड़ी तीव्र गति से अपनी मूर्तियों की ओर दौड़ते थे।

44 - Al-Ma'arij (The Ascending Stairways) - 044

خَٰشِعَةً أَبۡصَٰرُهُمۡ تَرۡهَقُهُمۡ ذِلَّةٞۚ ذَٰلِكَ ٱلۡيَوۡمُ ٱلَّذِي كَانُواْ يُوعَدُونَ
उनकी निगाहें झुकी होंगी, उनपर अपमान छाया होगा। यही वह दिन है जिसका उनसे वादा किया[11] जाता था।
11. अर्थात रसूलों की ज़बानी तथा आकाशीय पुस्तकों के माध्यम से।

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