الحاقة

 

Al-Haqqah

 

The Reality

1 - Al-Haqqah (The Reality) - 001

ٱلۡحَآقَّةُ
होकर रहने वाली।

2 - Al-Haqqah (The Reality) - 002

مَا ٱلۡحَآقَّةُ
क्या है वह होकर रहने वाली?

3 - Al-Haqqah (The Reality) - 003

وَمَآ أَدۡرَىٰكَ مَا ٱلۡحَآقَّةُ
और आपको किस चीज़ ने अवगत कराया कि होकर रहने वाली क्या है?

4 - Al-Haqqah (The Reality) - 004

كَذَّبَتۡ ثَمُودُ وَعَادُۢ بِٱلۡقَارِعَةِ
समूद तथा आद (जातियों) ने खड़खड़ाने वाली (क़ियामत) को झुठला दिया।

5 - Al-Haqqah (The Reality) - 005

فَأَمَّا ثَمُودُ فَأُهۡلِكُواْ بِٱلطَّاغِيَةِ
फिर जो समूद थे, वे हद से बढ़ी हुई (तेज़) आवाज़ से विनष्ट कर दिए गए।

6 - Al-Haqqah (The Reality) - 006

وَأَمَّا عَادٞ فَأُهۡلِكُواْ بِرِيحٖ صَرۡصَرٍ عَاتِيَةٖ
और रही बात आद की, तो वे बड़ी ठंडी और प्रचंड आँधी से नष्ट कर दिए गए।

7 - Al-Haqqah (The Reality) - 007

سَخَّرَهَا عَلَيۡهِمۡ سَبۡعَ لَيَالٖ وَثَمَٰنِيَةَ أَيَّامٍ حُسُومٗاۖ فَتَرَى ٱلۡقَوۡمَ فِيهَا صَرۡعَىٰ كَأَنَّهُمۡ أَعۡجَازُ نَخۡلٍ خَاوِيَةٖ
अल्लाह ने उसे उनपर सात रातें और आठ दिन निरंतर चलाए रखा, तो आप उस जाति के लोगों को उसमें इस तरह गिरे हुए देखते, जैसे वे गिरी हुई खजूरों के खोखले तने हों।[1]
1. उनके भारी और लंबे होने की उपमा खजूर के तने से दी गई है।

8 - Al-Haqqah (The Reality) - 008

فَهَلۡ تَرَىٰ لَهُم مِّنۢ بَاقِيَةٖ
तो क्या आप उनका कोई भी बाक़ी रहने वाला देखते हैं?

9 - Al-Haqqah (The Reality) - 009

وَجَآءَ فِرۡعَوۡنُ وَمَن قَبۡلَهُۥ وَٱلۡمُؤۡتَفِكَٰتُ بِٱلۡخَاطِئَةِ
और फ़िरऔन ने तथा उससे पहले के लोगों ने एवं उलट जाने वाली बस्तियों ने पाप किया।

10 - Al-Haqqah (The Reality) - 010

فَعَصَوۡاْ رَسُولَ رَبِّهِمۡ فَأَخَذَهُمۡ أَخۡذَةٗ رَّابِيَةً
उन्होंने अपने पालनहार के रसूल की अवज्ञा की। तो अल्लाह ने उन्हें बड़ी कठोर पकड़ में ले लिया।

11 - Al-Haqqah (The Reality) - 011

إِنَّا لَمَّا طَغَا ٱلۡمَآءُ حَمَلۡنَٰكُمۡ فِي ٱلۡجَارِيَةِ
निःसंदेह हमने ही, जब पानी सीमा पार कर गया, तुम्हें नाव[2] में सवार किया।
2. इसमें नूह़ (अलैहिस्सलाम) के तूफ़ान की ओर संकेत है। और सभी मनुष्य उनकी संतान हैं, इस लिए यह दया सब पर हुई है।

12 - Al-Haqqah (The Reality) - 012

لِنَجۡعَلَهَا لَكُمۡ تَذۡكِرَةٗ وَتَعِيَهَآ أُذُنٞ وَٰعِيَةٞ
ताकि हम उसे तुम्हारे लिए एक (शिक्षाप्रद) यादगार बना दें और (ताकि) याद रखने वाले कान उसे याद रखें।

13 - Al-Haqqah (The Reality) - 013

فَإِذَا نُفِخَ فِي ٱلصُّورِ نَفۡخَةٞ وَٰحِدَةٞ
फिर जब सूर (नरसिंघा) में एक फूँक मारी जाएगी।

14 - Al-Haqqah (The Reality) - 014

وَحُمِلَتِ ٱلۡأَرۡضُ وَٱلۡجِبَالُ فَدُكَّتَا دَكَّةٗ وَٰحِدَةٗ
और धरती तथा पर्वतों को उठाया जाएगा और दोनों को एक ही बार में चूर्ण-विचूर्ण कर दिया जाएगा।[3]
3. दोखिए : सूरत ताहा, आयत : 20, आयत : 103, 108.

15 - Al-Haqqah (The Reality) - 015

فَيَوۡمَئِذٖ وَقَعَتِ ٱلۡوَاقِعَةُ
तो उस दिन घटित होने वाली घटित हो जाएगी।

16 - Al-Haqqah (The Reality) - 016

وَٱنشَقَّتِ ٱلسَّمَآءُ فَهِيَ يَوۡمَئِذٖ وَاهِيَةٞ
तथा आकाश फट जाएगा, तो उस दिन वह कमज़ोर होगा।

17 - Al-Haqqah (The Reality) - 017

وَٱلۡمَلَكُ عَلَىٰٓ أَرۡجَآئِهَاۚ وَيَحۡمِلُ عَرۡشَ رَبِّكَ فَوۡقَهُمۡ يَوۡمَئِذٖ ثَمَٰنِيَةٞ
और फ़रिश्ते उसके किनारों पर होंगे तथा उस दिन आपके पालनहार का अर्श (सिंहासन) आठ फ़रिश्ते अपने ऊपर उठाए हुए होंगे।

18 - Al-Haqqah (The Reality) - 018

يَوۡمَئِذٖ تُعۡرَضُونَ لَا تَخۡفَىٰ مِنكُمۡ خَافِيَةٞ
उस दिन तुम (अल्लाह के सामने) पेश किए जाओगे। तुम्हारी कोई छिपी हुई बात छिपी नहीं रहेगी।

19 - Al-Haqqah (The Reality) - 019

فَأَمَّا مَنۡ أُوتِيَ كِتَٰبَهُۥ بِيَمِينِهِۦ فَيَقُولُ هَآؤُمُ ٱقۡرَءُواْ كِتَٰبِيَهۡ
फिर जिसे उसका कर्म-पत्र उसके दाएँ हाथ में दिया गिया, तो वह कहेगा : यह लो, मेरा कर्म-पत्र पढ़ो।

20 - Al-Haqqah (The Reality) - 020

إِنِّي ظَنَنتُ أَنِّي مُلَٰقٍ حِسَابِيَهۡ
मुझे विश्वास था कि मैं अपने हिसाब से मिलने वाला हूँ।

21 - Al-Haqqah (The Reality) - 021

فَهُوَ فِي عِيشَةٖ رَّاضِيَةٖ
चुनाँचे वह आनंदपूर्ण जीवन में होगा।

22 - Al-Haqqah (The Reality) - 022

فِي جَنَّةٍ عَالِيَةٖ
एक ऊँची जन्नत में।

23 - Al-Haqqah (The Reality) - 023

قُطُوفُهَا دَانِيَةٞ
जिसके फल निकट होंगे।

24 - Al-Haqqah (The Reality) - 024

كُلُواْ وَٱشۡرَبُواْ هَنِيٓـَٔۢا بِمَآ أَسۡلَفۡتُمۡ فِي ٱلۡأَيَّامِ ٱلۡخَالِيَةِ
(उनसे कहा जायेगा 🙂 आनंदपूर्वक खाओ और पियो, उसके बदले जो तुमने बीते दिनों में आगे भेजे।

25 - Al-Haqqah (The Reality) - 025

وَأَمَّا مَنۡ أُوتِيَ كِتَٰبَهُۥ بِشِمَالِهِۦ فَيَقُولُ يَٰلَيۡتَنِي لَمۡ أُوتَ كِتَٰبِيَهۡ
और लेकिन जिसे उसका कर्म-पत्र उसके बाएँ हाथ में दिया गया, तो वह कहेगा : ऐ काश! मुझे मेरा कर्म-पत्र न दिया जाता।

26 - Al-Haqqah (The Reality) - 026

وَلَمۡ أَدۡرِ مَا حِسَابِيَهۡ
तथा मैं न जानता कि मेरा हिसाब क्या है!

27 - Al-Haqqah (The Reality) - 027

يَٰلَيۡتَهَا كَانَتِ ٱلۡقَاضِيَةَ
ऐ काश! वह (मृत्यु) काम तमाम कर देने वाली[4] होती।
4. अर्थात उसके पश्चात् मैं फिर जीवित न किया जाता।

28 - Al-Haqqah (The Reality) - 028

مَآ أَغۡنَىٰ عَنِّي مَالِيَهۡۜ
मेरा धन मेरे किसी काम न आया।

29 - Al-Haqqah (The Reality) - 029

هَلَكَ عَنِّي سُلۡطَٰنِيَهۡ
मेरी सत्ता[5] मुझसे जाती रही।
5. इसका दूसरा अर्थ यह भी हो सकता है कि परलोक के इनकार पर जितने तर्क दिया करता था आज सब निष्फल हो गए।

30 - Al-Haqqah (The Reality) - 030

خُذُوهُ فَغُلُّوهُ
(आदेश होगा 🙂 उसे पकड़ो और उसके गले में तौक़ डाल दो।

31 - Al-Haqqah (The Reality) - 031

ثُمَّ ٱلۡجَحِيمَ صَلُّوهُ
फिर उसे भड़कती हुई आग में झोंक दो।

32 - Al-Haqqah (The Reality) - 032

ثُمَّ فِي سِلۡسِلَةٖ ذَرۡعُهَا سَبۡعُونَ ذِرَاعٗا فَٱسۡلُكُوهُ
फिर एक ज़ंजीर में, जिसकी लंबाई सत्तर गज़ है, उसे जकड़ दो।

33 - Al-Haqqah (The Reality) - 033

إِنَّهُۥ كَانَ لَا يُؤۡمِنُ بِٱللَّهِ ٱلۡعَظِيمِ
निःसंदेह वह सबसे महान अल्लाह पर ईमान नहीं रखता था।

34 - Al-Haqqah (The Reality) - 034

وَلَا يَحُضُّ عَلَىٰ طَعَامِ ٱلۡمِسۡكِينِ
तथा ग़रीब को खाना खिलाने के लिए प्रोत्साहित नहीं करता था।

35 - Al-Haqqah (The Reality) - 035

فَلَيۡسَ لَهُ ٱلۡيَوۡمَ هَٰهُنَا حَمِيمٞ
अतः आज यहाँ उसका कोई मित्र नहीं है।

36 - Al-Haqqah (The Reality) - 036

وَلَا طَعَامٌ إِلَّا مِنۡ غِسۡلِينٖ
और न पीप के सिवा कोई भोजन है।

37 - Al-Haqqah (The Reality) - 037

لَّا يَأۡكُلُهُۥٓ إِلَّا ٱلۡخَٰطِـُٔونَ
जिसे पापियों के अलावा कोई नहीं खाता।

38 - Al-Haqqah (The Reality) - 038

فَلَآ أُقۡسِمُ بِمَا تُبۡصِرُونَ
मैं उन चीज़ों की क़सम खता हूँ, जिन्हें तुम देखते हो।

39 - Al-Haqqah (The Reality) - 039

وَمَا لَا تُبۡصِرُونَ
तथा उनकी जिन्हें तुम नहीं देखते हो।

40 - Al-Haqqah (The Reality) - 040

إِنَّهُۥ لَقَوۡلُ رَسُولٖ كَرِيمٖ
निःसंदेह यह (क़ुरआन) एक सम्मानित रसूल[6] का कथन है।
6. यहाँ सम्मानित रसूल से अभिप्राय मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) हैं। तथा सूरत अत्-तक्वीर आयत : 19 में फ़रिश्ते जिबरील (अलैहिस्सलाम) जो वह़्यी लाते थे वह अभिप्राय हैं। यहाँ क़ुरआन को आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का कथन इस अर्थ में कहा गया है कि लोग उसे आपसे सुन रहे थे। और इसी प्रकार आप जिबरील (अलैहिस्सलाम) से सुन रहे थे। अन्यथा, वास्तव में, क़ुरआन अल्लाह का कथन है, जैसा कि आगामी आयत : 43 में आ रहा है।

41 - Al-Haqqah (The Reality) - 041

وَمَا هُوَ بِقَوۡلِ شَاعِرٖۚ قَلِيلٗا مَّا تُؤۡمِنُونَ
और यह किसी कवि की वाणी नहीं है। तुम बहुत कम ईमान लाते हो।

42 - Al-Haqqah (The Reality) - 042

وَلَا بِقَوۡلِ كَاهِنٖۚ قَلِيلٗا مَّا تَذَكَّرُونَ
और न किसी काहिन की वाणी है, तुम बहुत कम शिक्षा ग्रहण करते हो।

43 - Al-Haqqah (The Reality) - 043

تَنزِيلٞ مِّن رَّبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
(यह) सर्व संसार के पालनहार की ओर से उतारा हुआ है।

44 - Al-Haqqah (The Reality) - 044

وَلَوۡ تَقَوَّلَ عَلَيۡنَا بَعۡضَ ٱلۡأَقَاوِيلِ
और यदि वह (नबी) हमपर कोई बात बनाकर[7] लगाता।
7. इस आयत का भावार्थ यह कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को अपनी ओर से वह़्य (प्रकाशना) में कुछ अधिक या कम करने का अधिकार नहीं है। यदि वह ऐसा करेंगे, तो उन्हें कड़ी यातना दी जाएगी।

45 - Al-Haqqah (The Reality) - 045

لَأَخَذۡنَا مِنۡهُ بِٱلۡيَمِينِ
तो निश्चय हम उसे दाएँ हाथ से पकते।

46 - Al-Haqqah (The Reality) - 046

ثُمَّ لَقَطَعۡنَا مِنۡهُ ٱلۡوَتِينَ
फिर अवश्य हम उसके जीवन की धमनी काट देते।

47 - Al-Haqqah (The Reality) - 047

فَمَا مِنكُم مِّنۡ أَحَدٍ عَنۡهُ حَٰجِزِينَ
फिर तुममें से कोई भी हमें उससे रोकने वाला न होता।

48 - Al-Haqqah (The Reality) - 048

وَإِنَّهُۥ لَتَذۡكِرَةٞ لِّلۡمُتَّقِينَ
निःसंदेह यह (क़ुरआन) डरने वालों के लिए एक उपदेश है।

49 - Al-Haqqah (The Reality) - 049

وَإِنَّا لَنَعۡلَمُ أَنَّ مِنكُم مُّكَذِّبِينَ
तथा निःसंदेह हम निश्चित रूप से जानते हैं कि बेशक तुममें से कुछ झुठलाने वाले हैं।

50 - Al-Haqqah (The Reality) - 050

وَإِنَّهُۥ لَحَسۡرَةٌ عَلَى ٱلۡكَٰفِرِينَ
और निःसंदेह वह निश्चित रूप से काफ़िरों[8] के लिए पछतावे का कारण है।
8. अर्थात जो क़ुरआन को नहीं मानते, वे अंततः पछताएँगे।

51 - Al-Haqqah (The Reality) - 051

وَإِنَّهُۥ لَحَقُّ ٱلۡيَقِينِ
और निःसंदेह वह निश्चय विश्वसनीय सत्य है।

52 - Al-Haqqah (The Reality) - 052

فَسَبِّحۡ بِٱسۡمِ رَبِّكَ ٱلۡعَظِيمِ
अतः आप अपने महान पालनहार के नाम की पवित्रता का वर्णन करें।

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