القمر

 

Al-Qamar

 

The Moon

1 - Al-Qamar (The Moon) - 001

ٱقۡتَرَبَتِ ٱلسَّاعَةُ وَٱنشَقَّ ٱلۡقَمَرُ
क़ियामत बहुत निकट आ गई[1] और चाँद फट गया।
1. आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से मक्का वासियों ने माँग की कि आप कोई चमत्कार दिखाएँ। अतः आपने चाँद को दो भाग होते उन्हें दिखा दिया। (बुख़ारी : 4867) आदरणीय अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद कहते हैं कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के युग में चाँद दो खंड हो गया : एक खंड पर्वत के ऊपर और दूसरा उसके नीचे। और आपने कहा : तुम सभी गवाह रहो। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4864)

2 - Al-Qamar (The Moon) - 002

وَإِن يَرَوۡاْ ءَايَةٗ يُعۡرِضُواْ وَيَقُولُواْ سِحۡرٞ مُّسۡتَمِرّٞ
और यदि वे कोई निशानी देखते हैं, तो मुँह फेर लेते हैं और कहते हैं कि (यह) एक जादू है जो समाप्त हो जाने वाला है।

3 - Al-Qamar (The Moon) - 003

وَكَذَّبُواْ وَٱتَّبَعُوٓاْ أَهۡوَآءَهُمۡۚ وَكُلُّ أَمۡرٖ مُّسۡتَقِرّٞ
उन्होंने झुठलाया और अपनी इच्छाओं का पालन किया और प्रत्येक कार्य का एक निश्चित समय है।

4 - Al-Qamar (The Moon) - 004

وَلَقَدۡ جَآءَهُم مِّنَ ٱلۡأَنۢبَآءِ مَا فِيهِ مُزۡدَجَرٌ
और निःसंदेह उनके पास ऐसी सूचनाएँ आ चुकी हैं, जिनमें डाँटडपट है।

5 - Al-Qamar (The Moon) - 005

حِكۡمَةُۢ بَٰلِغَةٞۖ فَمَا تُغۡنِ ٱلنُّذُرُ
पूर्णतया हिकमत है, फिर भी डरानेवाली चीज़ें काम नहीं आतीं।

6 - Al-Qamar (The Moon) - 006

فَتَوَلَّ عَنۡهُمۡۘ يَوۡمَ يَدۡعُ ٱلدَّاعِ إِلَىٰ شَيۡءٖ نُّكُرٍ
अतः आप उनसे मुँह फेर लें, जिस दिन पुकारने वाला एक अप्रिय चीज़[2] की ओर पुकारेगा।
2. अर्थात प्रलय के दिन ह़िसाब के लिए।

7 - Al-Qamar (The Moon) - 007

خُشَّعًا أَبۡصَٰرُهُمۡ يَخۡرُجُونَ مِنَ ٱلۡأَجۡدَاثِ كَأَنَّهُمۡ جَرَادٞ مُّنتَشِرٞ
उनकी आँखें झुकी होंगी। वे कब्रों से ऐसे निकलेंगे, जैसे वे बिखरी हुई टिड्डियाँ हों।

8 - Al-Qamar (The Moon) - 008

مُّهۡطِعِينَ إِلَى ٱلدَّاعِۖ يَقُولُ ٱلۡكَٰفِرُونَ هَٰذَا يَوۡمٌ عَسِرٞ
वे बुलाने वाले की ओर तेज़ी से भाग रहे होंगे। काफ़िर कहेंगे : यह बड़ा कठिन दिन है।

9 - Al-Qamar (The Moon) - 009

۞كَذَّبَتۡ قَبۡلَهُمۡ قَوۡمُ نُوحٖ فَكَذَّبُواْ عَبۡدَنَا وَقَالُواْ مَجۡنُونٞ وَٱزۡدُجِرَ
इनसे पहले नूह़ की जाति ने झुठलाया। तो उन्होंने हमारे बंदे को झुठलाया और कहा कि वह पागल है और उसे झिड़क दिया गया।

10 - Al-Qamar (The Moon) - 010

فَدَعَا رَبَّهُۥٓ أَنِّي مَغۡلُوبٞ فَٱنتَصِرۡ
तो उसने अपने पालनहार को पुकारा कि निःसंदेह मैं विवश हूँ, अतः तू बदला ले।

11 - Al-Qamar (The Moon) - 011

فَفَتَحۡنَآ أَبۡوَٰبَ ٱلسَّمَآءِ بِمَآءٖ مُّنۡهَمِرٖ
तो हमने ज़ोर से बरसने वाले पानी के साथ आकाश के द्वार खोल दिए।

12 - Al-Qamar (The Moon) - 012

وَفَجَّرۡنَا ٱلۡأَرۡضَ عُيُونٗا فَٱلۡتَقَى ٱلۡمَآءُ عَلَىٰٓ أَمۡرٖ قَدۡ قُدِرَ
तथा हमने धरती को स्रोतों के साथ फाड़ दिया, तो सारा जल एक साथ मिल गया, उस कार्य के लिए जो नियत हो चुका था।

13 - Al-Qamar (The Moon) - 013

وَحَمَلۡنَٰهُ عَلَىٰ ذَاتِ أَلۡوَٰحٖ وَدُسُرٖ
और हमने उसे तख़्तों और कीलों वाली (नाव) पर सवार कर दिया।

14 - Al-Qamar (The Moon) - 014

تَجۡرِي بِأَعۡيُنِنَا جَزَآءٗ لِّمَن كَانَ كُفِرَ
जो हमारी आँखों के सामने चल रही थी, उसका बदला लेने के लिए जिसका इनकार किया गया था।

15 - Al-Qamar (The Moon) - 015

وَلَقَد تَّرَكۡنَٰهَآ ءَايَةٗ فَهَلۡ مِن مُّدَّكِرٖ
और निःसंदेह हमने उसे एक निशानी बनाकर छोड़ा, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?

16 - Al-Qamar (The Moon) - 016

فَكَيۡفَ كَانَ عَذَابِي وَنُذُرِ
फिर कैसी थी मेरी यातना तथा मेरा डराना?

17 - Al-Qamar (The Moon) - 017

وَلَقَدۡ يَسَّرۡنَا ٱلۡقُرۡءَانَ لِلذِّكۡرِ فَهَلۡ مِن مُّدَّكِرٖ
और निःसंदेह हमने क़ुरआन को उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?

18 - Al-Qamar (The Moon) - 018

كَذَّبَتۡ عَادٞ فَكَيۡفَ كَانَ عَذَابِي وَنُذُرِ
आद ने (भी) झुठलाया। तो कैसी थी मेरी यातना तथा मेरा डराना?

19 - Al-Qamar (The Moon) - 019

إِنَّآ أَرۡسَلۡنَا عَلَيۡهِمۡ رِيحٗا صَرۡصَرٗا فِي يَوۡمِ نَحۡسٖ مُّسۡتَمِرّٖ
निःसंदहे हमने एक निरंतर अशुभ दिन में उनपर एक तेज़ ठंडी हवा भेज दी।

20 - Al-Qamar (The Moon) - 020

تَنزِعُ ٱلنَّاسَ كَأَنَّهُمۡ أَعۡجَازُ نَخۡلٖ مُّنقَعِرٖ
वह लोगों को ऐसे उखाड़ फेंकती थी, जैसे वे उखड़े हुए खजूर के तने हों।

21 - Al-Qamar (The Moon) - 021

فَكَيۡفَ كَانَ عَذَابِي وَنُذُرِ
फिर कैसी थी मेरी यातना तथा मेरा डराना?

22 - Al-Qamar (The Moon) - 022

وَلَقَدۡ يَسَّرۡنَا ٱلۡقُرۡءَانَ لِلذِّكۡرِ فَهَلۡ مِن مُّدَّكِرٖ
और निःसंदेह हमने क़ुरआन को उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?

23 - Al-Qamar (The Moon) - 023

كَذَّبَتۡ ثَمُودُ بِٱلنُّذُرِ
समूद[3] ने डराने वालों को झुठलाया।
3. यह सालेह (अलैहिस्सलाम) की जाति थी। उन्होंने उनसे चमत्कार की माँग की, तो अल्लाह ने पर्वत से एक ऊँटनी निकाल दी। फिर भी वे ईमान नहीं लाए। क्योंकि उनके विचार से अल्लाह का रसूल कोई मनुष्य नहीं, फ़रिश्ता होना चाहिए था। जैसाकि मक्का के मुश्रिकों का विचार था।

24 - Al-Qamar (The Moon) - 024

فَقَالُوٓاْ أَبَشَرٗا مِّنَّا وَٰحِدٗا نَّتَّبِعُهُۥٓ إِنَّآ إِذٗا لَّفِي ضَلَٰلٖ وَسُعُرٍ
तो उन्होंने कहा : क्या हम अपने ही में से एक आदमी का अनुसरण करें? निश्चय ही हम उस समय बड़ी गुमराही और बावलेपन में होंगे।

25 - Al-Qamar (The Moon) - 025

أَءُلۡقِيَ ٱلذِّكۡرُ عَلَيۡهِ مِنۢ بَيۡنِنَا بَلۡ هُوَ كَذَّابٌ أَشِرٞ
क्या यह उपदेश हमारे बीच में से उसी पर उतारा गया है? बल्कि वह बड़ा झूठा है, अहंकारी है।

26 - Al-Qamar (The Moon) - 026

سَيَعۡلَمُونَ غَدٗا مَّنِ ٱلۡكَذَّابُ ٱلۡأَشِرُ
शीघ्र ही वे कल जान लेंगे कि बहुत झूठा, अहंकारी कौन है?

27 - Al-Qamar (The Moon) - 027

إِنَّا مُرۡسِلُواْ ٱلنَّاقَةِ فِتۡنَةٗ لَّهُمۡ فَٱرۡتَقِبۡهُمۡ وَٱصۡطَبِرۡ
निःसंदेह हम यह ऊँटनी उनकी परीक्षा के लिए भेजने वाले हैं। अतः उनकी प्रतीक्षा करो और ख़ूब धैर्य रखो।

28 - Al-Qamar (The Moon) - 028

وَنَبِّئۡهُمۡ أَنَّ ٱلۡمَآءَ قِسۡمَةُۢ بَيۡنَهُمۡۖ كُلُّ شِرۡبٖ مُّحۡتَضَرٞ
और उन्हें सूचित कर दो कि पानी उनके बीच बाँट दिया गया है। पीने की प्रत्येक बारी[4] पर उपस्थित हुआ जाएगा।
4. अर्थात एक दिन जल स्रोत का पानी ऊँटनी पिएगी और एक दिन तुम सब।

29 - Al-Qamar (The Moon) - 029

فَنَادَوۡاْ صَاحِبَهُمۡ فَتَعَاطَىٰ فَعَقَرَ
तो उन्होंने अपने साथी को पुकारा। सो उसने (उसे) पकड़ा और उसका वध कर दिया।

30 - Al-Qamar (The Moon) - 030

فَكَيۡفَ كَانَ عَذَابِي وَنُذُرِ
फिर कैसी थी मेरी यातना तथा मेरा डराना?

31 - Al-Qamar (The Moon) - 031

إِنَّآ أَرۡسَلۡنَا عَلَيۡهِمۡ صَيۡحَةٗ وَٰحِدَةٗ فَكَانُواْ كَهَشِيمِ ٱلۡمُحۡتَظِرِ
हमने उनपर एक ही चिंघाड़ भेजी, तो वे बाड़ लगाने वाले की रौंदी हुई बाड़ की तरह हो गए।

32 - Al-Qamar (The Moon) - 032

وَلَقَدۡ يَسَّرۡنَا ٱلۡقُرۡءَانَ لِلذِّكۡرِ فَهَلۡ مِن مُّدَّكِرٖ
और निःसंदेह हमने क़ुरआन को उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?

33 - Al-Qamar (The Moon) - 033

كَذَّبَتۡ قَوۡمُ لُوطِۭ بِٱلنُّذُرِ
लूत की जाति ने डराने वालों को झुठला दिया।

34 - Al-Qamar (The Moon) - 034

إِنَّآ أَرۡسَلۡنَا عَلَيۡهِمۡ حَاصِبًا إِلَّآ ءَالَ لُوطٖۖ نَّجَّيۡنَٰهُم بِسَحَرٖ
निःसंदेह हमने उनपर पत्थर बरसाने वाली एक हवा भेजी, सिवाय लूत के घरवालों के। उन्हें हमने भोर से कुछ पहले ही बचा लिया।

35 - Al-Qamar (The Moon) - 035

نِّعۡمَةٗ مِّنۡ عِندِنَاۚ كَذَٰلِكَ نَجۡزِي مَن شَكَرَ
अपनी ओर से (विशेष) अनुग्रह करते हुए। इसी प्रकार हम उसे बदला देते हैं, जो धन्यवाद करे।

36 - Al-Qamar (The Moon) - 036

وَلَقَدۡ أَنذَرَهُم بَطۡشَتَنَا فَتَمَارَوۡاْ بِٱلنُّذُرِ
और निःसंदेह उसने उन्हें हमारी पकड़ से डराया, तो उन्होंने डराने में संदेह किया।

37 - Al-Qamar (The Moon) - 037

وَلَقَدۡ رَٰوَدُوهُ عَن ضَيۡفِهِۦ فَطَمَسۡنَآ أَعۡيُنَهُمۡ فَذُوقُواْ عَذَابِي وَنُذُرِ
और निःसंदेह उन्होंने उसे उसके अतिथियों से बहकाने[5] का प्रयास किया, तो हमने उनकी आँखें मेट दीं। अतः मेरी यातना और मेरी चेतावनी का मज़ा चखो।
5. अर्थात उन्होंने लूत (अलैहिस्सलाम) से अपने दुराचार के लिए फ़रिश्तों को, जो सुंदर युवकों के रूप में आए थे, अपने सुपुर्द करने की माँग की।

38 - Al-Qamar (The Moon) - 038

وَلَقَدۡ صَبَّحَهُم بُكۡرَةً عَذَابٞ مُّسۡتَقِرّٞ
और निःसंदेह सुबह सवेरे ही उनपर एक न टलने वाली यातना आ पहुँची।

39 - Al-Qamar (The Moon) - 039

فَذُوقُواْ عَذَابِي وَنُذُرِ
अतः मेरे अज़ाब और मेरे डराने का स्वाद चखो।

40 - Al-Qamar (The Moon) - 040

وَلَقَدۡ يَسَّرۡنَا ٱلۡقُرۡءَانَ لِلذِّكۡرِ فَهَلۡ مِن مُّدَّكِرٖ
और निःसंदेह हमने क़ुरआन को उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?

41 - Al-Qamar (The Moon) - 041

وَلَقَدۡ جَآءَ ءَالَ فِرۡعَوۡنَ ٱلنُّذُرُ
तथा निःसंदेह फ़िरऔनियों के पास डराने वाले आए।

42 - Al-Qamar (The Moon) - 042

كَذَّبُواْ بِـَٔايَٰتِنَا كُلِّهَا فَأَخَذۡنَٰهُمۡ أَخۡذَ عَزِيزٖ مُّقۡتَدِرٍ
उन्होंने हमारी सब निशानियों को झुठला दिया, तो हमने उन्हें पकड़ लिया, जिस प्रकार सब पर प्रभुत्वशाली, सबसे शक्तिशाली पकड़ता है।

43 - Al-Qamar (The Moon) - 043

أَكُفَّارُكُمۡ خَيۡرٞ مِّنۡ أُوْلَـٰٓئِكُمۡ أَمۡ لَكُم بَرَآءَةٞ فِي ٱلزُّبُرِ
क्या तुम्हारे काफ़िर उन लोगों से बेहतर हैं, या तुम्हारे लिए (पहली) पुस्कतों में कोई मुक्ति लिखी हुई है?

44 - Al-Qamar (The Moon) - 044

أَمۡ يَقُولُونَ نَحۡنُ جَمِيعٞ مُّنتَصِرٞ
या वे कहते हैं कि हम एक जत्था हैं, जो बदला लेकर रहने वाले हैं?

45 - Al-Qamar (The Moon) - 045

سَيُهۡزَمُ ٱلۡجَمۡعُ وَيُوَلُّونَ ٱلدُّبُرَ
शीध्र ही यह समूह पराजित कर दिया जाएगा और ये लोग पीठ दिखाकर भागेंगे।[6]
6. इसमें मक्का के काफ़िरों की पराजय की भविष्यवाणी है, जो बद्र के युद्ध में पूरी हुई। ह़दीस में है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) बद्र के दिन एक ख़ेमे में अल्लाह से प्रार्थना कर रहे थे। फिर यही आयत पढ़ते हुए निकले। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4875)

46 - Al-Qamar (The Moon) - 046

بَلِ ٱلسَّاعَةُ مَوۡعِدُهُمۡ وَٱلسَّاعَةُ أَدۡهَىٰ وَأَمَرُّ
बल्कि क़यामत ही उनके वादे का समय है और क़ियामत कहीं बड़ी विपत्ति और अधिक कड़वी है।

47 - Al-Qamar (The Moon) - 047

إِنَّ ٱلۡمُجۡرِمِينَ فِي ضَلَٰلٖ وَسُعُرٖ
निश्चय अपराधी लोग बड़ी गुमराही और यातना में हैं।

48 - Al-Qamar (The Moon) - 048

يَوۡمَ يُسۡحَبُونَ فِي ٱلنَّارِ عَلَىٰ وُجُوهِهِمۡ ذُوقُواْ مَسَّ سَقَرَ
जिस दिन वे आग में अपने चेहरों के बल घसीटे जाएँगे। (कहा जाएगा 🙂 जहन्नम की यातना का मज़ा चखो।

49 - Al-Qamar (The Moon) - 049

إِنَّا كُلَّ شَيۡءٍ خَلَقۡنَٰهُ بِقَدَرٖ
निःसंदेह हमने प्रत्येक वस्तु को एक अनुमान के साथ पैदा किया है।

50 - Al-Qamar (The Moon) - 050

وَمَآ أَمۡرُنَآ إِلَّا وَٰحِدَةٞ كَلَمۡحِۭ بِٱلۡبَصَرِ
और हमारा आदेश तो केवल एक बार होता है, जैसे आँख की एक झपक।[7]
7. अर्थात प्रलय होने में देर नहीं होगी। अल्लाह का आदेश होते ही तत्क्षण प्रलय आ जाएगी।

51 - Al-Qamar (The Moon) - 051

وَلَقَدۡ أَهۡلَكۡنَآ أَشۡيَاعَكُمۡ فَهَلۡ مِن مُّدَّكِرٖ
और निःसंदेह हमने तुम्हारे जैसे कई समूहों को विनष्ट कर दिया, तो क्या है कोई नसीहत हासिल करने वाला?

52 - Al-Qamar (The Moon) - 052

وَكُلُّ شَيۡءٖ فَعَلُوهُ فِي ٱلزُّبُرِ
और उन्होंने जो कुछ भी किया वह किताबों (कर्मपत्रों) में दर्ज है।[8]
8. जिसे उन फ़रिश्तों ने जो दाएँ तथा बाएँ रहते हैं लिख रखा है।

53 - Al-Qamar (The Moon) - 053

وَكُلُّ صَغِيرٖ وَكَبِيرٖ مُّسۡتَطَرٌ
और हर छोटी और बड़ी बात लिखी हुई है।

54 - Al-Qamar (The Moon) - 054

إِنَّ ٱلۡمُتَّقِينَ فِي جَنَّـٰتٖ وَنَهَرٖ
निःसंदेह (अल्लाह से) डरने वाले बाग़ो और नहरों में होंगे।

55 - Al-Qamar (The Moon) - 055

فِي مَقۡعَدِ صِدۡقٍ عِندَ مَلِيكٖ مُّقۡتَدِرِۭ
सत्य की सभा में, महान बादशाह के पास, जो असीम शक्ति वाला है।

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