الشعراء
Ash-Shu'ara
The Poets
1 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 001
طسٓمٓ
ता, सीन, मीम।
2 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 002
تِلۡكَ ءَايَٰتُ ٱلۡكِتَٰبِ ٱلۡمُبِينِ
ये स्पष्ट किताब की आयतें हैं।
3 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 003
لَعَلَّكَ بَٰخِعٞ نَّفۡسَكَ أَلَّا يَكُونُواْ مُؤۡمِنِينَ
शायद (ऐ रसूल!) आप अपने आपको हलाक करने वाले हैं, इसलिए कि वे ईमान नहीं लाते।[1]
1. अर्थात उनके ईमान न लाने के शोक में।
4 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 004
إِن نَّشَأۡ نُنَزِّلۡ عَلَيۡهِم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ ءَايَةٗ فَظَلَّتۡ أَعۡنَٰقُهُمۡ لَهَا خَٰضِعِينَ
यदि हम चाहें, तो उनपर आकाश से कोई निशानी उतार दें, फिर उसके सामने उनकी गर्दनें झुकी रह जाएँ।[2]
2. परंतु ऐसा नहीं किया, क्योंकि दबाव का ईमान स्वीकार्य तथा मान्य नहीं होता।
5 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 005
وَمَا يَأۡتِيهِم مِّن ذِكۡرٖ مِّنَ ٱلرَّحۡمَٰنِ مُحۡدَثٍ إِلَّا كَانُواْ عَنۡهُ مُعۡرِضِينَ
और जब भी 'रह़मान' (अति दयावान्) की ओर से उनके पास कोई नई नसीहत आती है, तो वे उससे मुँह फेरने वाले होते हैं।
6 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 006
فَقَدۡ كَذَّبُواْ فَسَيَأۡتِيهِمۡ أَنۢبَـٰٓؤُاْ مَا كَانُواْ بِهِۦ يَسۡتَهۡزِءُونَ
अतः निःसंदेह उन्होंने झुठला दिया, तो शीघ्र ही उनके पास उस चीज़ की खबरें आ जाएँगी, जिसका वे उपहास उड़ाया करते थे।
7 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 007
أَوَلَمۡ يَرَوۡاْ إِلَى ٱلۡأَرۡضِ كَمۡ أَنۢبَتۡنَا فِيهَا مِن كُلِّ زَوۡجٖ كَرِيمٍ
और क्या उन्होंने धरती की ओर नहीं देखा कि हमने उसमें हर उत्तम प्रकार के कितने पौधे उगाए हैं?
8 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 008
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ
निःसंदे इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी[3] है। (परंतु) उनमें से अधिकतर ईमान लाने वाले नहीं थे।
3. अर्थात अल्लाह के सामर्थ्य की।
9 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 009
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
तथा निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।
10 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 010
وَإِذۡ نَادَىٰ رَبُّكَ مُوسَىٰٓ أَنِ ٱئۡتِ ٱلۡقَوۡمَ ٱلظَّـٰلِمِينَ
और जब आपके पालनहार ने मूसा को पुकारा कि उन ज़ालिम लोगों[4] के पास जाओ।
4. यह उस समय की बात है जब मूसा (अलैहिस्सलाम) दस वर्ष मदयन में रहकर मिस्र वापस आ रहे थे।
11 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 011
قَوۡمَ فِرۡعَوۡنَۚ أَلَا يَتَّقُونَ
फ़िरऔन की जाति के पास। क्या वे डरते नहीं?
12 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 012
قَالَ رَبِّ إِنِّيٓ أَخَافُ أَن يُكَذِّبُونِ
उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! निःसंदेह मुझे डर है कि वे मुझे झुठला देंगे।
13 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 013
وَيَضِيقُ صَدۡرِي وَلَا يَنطَلِقُ لِسَانِي فَأَرۡسِلۡ إِلَىٰ هَٰرُونَ
और मेरा सीना घुटता है और मेरी ज़बान नहीं चलती, अतः हारून की ओर संदेश भेज।
14 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 014
وَلَهُمۡ عَلَيَّ ذَنۢبٞ فَأَخَافُ أَن يَقۡتُلُونِ
और उनका मुझपर एक अपराध का आरोप है। अतः मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे।
15 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 015
قَالَ كَلَّاۖ فَٱذۡهَبَا بِـَٔايَٰتِنَآۖ إِنَّا مَعَكُم مُّسۡتَمِعُونَ
(अल्लाह ने) फरमाया : ऐसा कभी नहीं होगा, अतः तुम दोनों हमारी निशानियों के साथ जाओ। निःसंदेह हम तुम्हारे साथ ख़ूब सुनने[5] वाले हैं।
5. अर्थात तुम दोनों की सहायता करते रहेंगे।
16 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 016
فَأۡتِيَا فِرۡعَوۡنَ فَقُولَآ إِنَّا رَسُولُ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
तो तुम दोनों फ़िरऔन के पास जाओ और कहो कि निःसंदेह हम सारे संसारों के पालनहार के संदेशवाहक हैं।
17 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 017
أَنۡ أَرۡسِلۡ مَعَنَا بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ
कि तू बनी इसराईल को हमारे साथ भेज दे।
18 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 018
قَالَ أَلَمۡ نُرَبِّكَ فِينَا وَلِيدٗا وَلَبِثۡتَ فِينَا مِنۡ عُمُرِكَ سِنِينَ
(फ़िरऔन ने) कहा : क्या हमने तुझे अपने यहाँ इस हाल में नहीं पाला कि तू बच्चा था और तू हमारे बीच अपनी आयु के कई वर्ष रहा?
19 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 019
وَفَعَلۡتَ فَعۡلَتَكَ ٱلَّتِي فَعَلۡتَ وَأَنتَ مِنَ ٱلۡكَٰفِرِينَ
और तूने अपना वह काम[6] किया, जो तूने किया। और तू अकृतज्ञों में से है।
6. यह क़िबती को क़त्ल करने की ओर संकेत है जो मूसा (अलैहिस्सलाम) से नबी बनाए जाने से पहले हो गया था। (देखिए : सूरतुल-क़स़स़)
20 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 020
قَالَ فَعَلۡتُهَآ إِذٗا وَأَنَا۠ مِنَ ٱلضَّآلِّينَ
(मूसा ने) कहा : मैंने उस समय वह काम इस हाल में किया कि मैं अनजानों में से था।
21 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 021
فَفَرَرۡتُ مِنكُمۡ لَمَّا خِفۡتُكُمۡ فَوَهَبَ لِي رَبِّي حُكۡمٗا وَجَعَلَنِي مِنَ ٱلۡمُرۡسَلِينَ
फिर मैं तुम्हारे पास से भाग गया, जब मैं तुमसे डरा, तो मेरे पालनहार ने मुझे हुक्म (नुबुव्वत एवं ज्ञान) प्रदान किया और मुझे रसूलों में से बना दिया।
22 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 022
وَتِلۡكَ نِعۡمَةٞ تَمُنُّهَا عَلَيَّ أَنۡ عَبَّدتَّ بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ
और यह कोई उपकार है, जो तू मुझपर जता रहा है कि तूने बनी इसराईल काे ग़ुलाम बना रखा है।
23 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 023
قَالَ فِرۡعَوۡنُ وَمَا رَبُّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
फ़िरऔन ने कहा : और 'रब्बुल-आलमीन' (सारे संसारों का पालनहार) क्या है?
24 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 024
قَالَ رَبُّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَيۡنَهُمَآۖ إِن كُنتُم مُّوقِنِينَ
(मूसा ने) कहा : जो आकाशों और धरती का रब है और जो उनके बीच है उसका भी, यदि तुम विश्वास करने वाले हो।
25 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 025
قَالَ لِمَنۡ حَوۡلَهُۥٓ أَلَا تَسۡتَمِعُونَ
उसने अपने आस-पास के लोगों से कहा : क्या तुम सुनते नहीं?
26 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 026
قَالَ رَبُّكُمۡ وَرَبُّ ءَابَآئِكُمُ ٱلۡأَوَّلِينَ
(मूसा ने) कहा : जो तुम्हारा पालनहार तथा तुम्हारे पहले बाप-दादा का पालनहार है।
27 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 027
قَالَ إِنَّ رَسُولَكُمُ ٱلَّذِيٓ أُرۡسِلَ إِلَيۡكُمۡ لَمَجۡنُونٞ
(फ़िरऔन ने) कहा : निश्चय तुम्हारा यह रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, अवश्य पागल है।
28 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 028
قَالَ رَبُّ ٱلۡمَشۡرِقِ وَٱلۡمَغۡرِبِ وَمَا بَيۡنَهُمَآۖ إِن كُنتُمۡ تَعۡقِلُونَ
(मूसा ने) कहा : जो पूर्व तथा पश्चिम रब है और उसका भी जो उन दोनों के बीच है, अगर तुम समझते हो।
29 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 029
قَالَ لَئِنِ ٱتَّخَذۡتَ إِلَٰهًا غَيۡرِي لَأَجۡعَلَنَّكَ مِنَ ٱلۡمَسۡجُونِينَ
(फ़िरऔन ने) कहा : निश्चय यदि तूने मेरे अलावा किसी और को पूज्य बनाया, तो मैं तुझे अवश्य ही बंदी बनाए हुए लोगों में शामिल कर दूँगा।
30 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 030
قَالَ أَوَلَوۡ جِئۡتُكَ بِشَيۡءٖ مُّبِينٖ
(मूसा ने) कहा : क्या भले ही मैं तेरे पास कोई स्पष्ट चीज़ ले आऊँ?
31 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 031
قَالَ فَأۡتِ بِهِۦٓ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ
उसने कहा : तू उसे ले आ, यदि तू सच्चे लोगों में से है।
32 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 032
فَأَلۡقَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ ثُعۡبَانٞ مُّبِينٞ
फिर उसने अपनी लाठी फेंक दी, तो अचानक वह एक प्रत्यक्ष अजगर बन गई।
33 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 033
وَنَزَعَ يَدَهُۥ فَإِذَا هِيَ بَيۡضَآءُ لِلنَّـٰظِرِينَ
तथा उसने अपना हाथ निकाला, तो एकाएक वह देखने वालों के लिए सफेद (चमकदार) था।
34 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 034
قَالَ لِلۡمَلَإِ حَوۡلَهُۥٓ إِنَّ هَٰذَا لَسَٰحِرٌ عَلِيمٞ
उसने अपने आस-पास के प्रमुखों से कहा : निश्चय यह तो एक बड़ा कुशल जादूगर है।
35 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 035
يُرِيدُ أَن يُخۡرِجَكُم مِّنۡ أَرۡضِكُم بِسِحۡرِهِۦ فَمَاذَا تَأۡمُرُونَ
जो चाहता है कि अपने जादू के साथ तुम्हें तुम्हारी धरती से निकाल[7] दे। तो तुम क्या आदेश देते हो?
7. अर्थात यह उग्रवाद करके हमारे देश पर अधिकार कर ले।
36 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 036
قَالُوٓاْ أَرۡجِهۡ وَأَخَاهُ وَٱبۡعَثۡ فِي ٱلۡمَدَآئِنِ حَٰشِرِينَ
उन्होंने कहा : इसके तथा इसके भाई को मोहलत दें और नगरों में (लोगों को) जमा करने वालों को भेज दें।
37 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 037
يَأۡتُوكَ بِكُلِّ سَحَّارٍ عَلِيمٖ
कि वे तेरे पास हर बड़ा जादूगर ले आएँ, जो जादू में बहुत कुशल हो।
38 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 038
فَجُمِعَ ٱلسَّحَرَةُ لِمِيقَٰتِ يَوۡمٖ مَّعۡلُومٖ
तो जादूगर एक निश्चित दिन के नियत समय पर इकट्ठा कर लिए गए।
39 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 039
وَقِيلَ لِلنَّاسِ هَلۡ أَنتُم مُّجۡتَمِعُونَ
तथा लोगों से कहा गया : क्या तुम एकत्र होने वाले[8] हो?
8. अर्थात लोगों को प्रेरणा दी जा रही है कि इस प्रतियोगिता में अवश्य उपस्थित हों।
40 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 040
لَعَلَّنَا نَتَّبِعُ ٱلسَّحَرَةَ إِن كَانُواْ هُمُ ٱلۡغَٰلِبِينَ
शायद हम इन जादूगरों के अनुयायी बन जाएँ, यदि वही विजयी हों।
41 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 041
فَلَمَّا جَآءَ ٱلسَّحَرَةُ قَالُواْ لِفِرۡعَوۡنَ أَئِنَّ لَنَا لَأَجۡرًا إِن كُنَّا نَحۡنُ ٱلۡغَٰلِبِينَ
फिर जब जादूगर आ गए, तो उन्होंने फ़िरऔन से कहा : क्या सचमुच हमें कुछ पुरस्कार मिलेगा, यदि हम ही प्रभावी रहे?
42 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 042
قَالَ نَعَمۡ وَإِنَّكُمۡ إِذٗا لَّمِنَ ٱلۡمُقَرَّبِينَ
उसने कहा : हाँ! और निश्चय तुम उस समय निकटवर्तियों में से हो जाओगे ।
43 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 043
قَالَ لَهُم مُّوسَىٰٓ أَلۡقُواْ مَآ أَنتُم مُّلۡقُونَ
मूसा ने उनसे कहा : फेंको, जो कुछ तुम फेंकने वाले हो।
44 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 044
فَأَلۡقَوۡاْ حِبَالَهُمۡ وَعِصِيَّهُمۡ وَقَالُواْ بِعِزَّةِ فِرۡعَوۡنَ إِنَّا لَنَحۡنُ ٱلۡغَٰلِبُونَ
तो उन्होंने अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ फेंकीं और कहा : फ़िरऔन के प्रभुत्व की सौगंध! निःसंदेह हम, निश्चय हम ही विजयी रहेंगे।
45 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 045
فَأَلۡقَىٰ مُوسَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ تَلۡقَفُ مَا يَأۡفِكُونَ
फिर मूसा ने अपनी लाठी फेंकी, तो एकाएक वह उन चीज़ों को निगल रही थी, जो वे झूठ बना रहे थे।
46 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 046
فَأُلۡقِيَ ٱلسَّحَرَةُ سَٰجِدِينَ
इसपर जादूगर सजदा करते हुए गिर गए।[9]
9. क्योंकि उन्हें विश्वास हो गया कि मूसा (अलैहिस्सलाम) जादूगर नहीं, बल्कि वह सत्य के उपदेशक हैं।
47 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 047
قَالُوٓاْ ءَامَنَّا بِرَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
उन्होंने कहा : हम सारे संसारों के पालनहार पर ईमान ले आए।
48 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 048
رَبِّ مُوسَىٰ وَهَٰرُونَ
मूसा तथा हारून के पालनहार पर।
49 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 049
قَالَ ءَامَنتُمۡ لَهُۥ قَبۡلَ أَنۡ ءَاذَنَ لَكُمۡۖ إِنَّهُۥ لَكَبِيرُكُمُ ٱلَّذِي عَلَّمَكُمُ ٱلسِّحۡرَ فَلَسَوۡفَ تَعۡلَمُونَۚ لَأُقَطِّعَنَّ أَيۡدِيَكُمۡ وَأَرۡجُلَكُم مِّنۡ خِلَٰفٖ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمۡ أَجۡمَعِينَ
(फ़िरऔन ने) कहा : तुम उसपर ईमान ले आए, इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति दूँ? निःसंदेह यह अवश्य तुम्हारा बड़ा (गुरू) है, जिसने तुम्हें जादू सिखाया है। अतः निश्चय तुम जल्दी जान लोगे। मैं अवश्य तुम्हारे हाथ और तुम्हारे पाँव विपरीत दिशा[10] से काट दूँगा तथा निश्चय तुम सभी को अवश्य बुरी तरह सूली पर चढ़ा दूँगा।
10. अर्थात दाँया हाथ और बायाँ पैर या बायाँ हाथ और दायाँ पैर।
50 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 050
قَالُواْ لَا ضَيۡرَۖ إِنَّآ إِلَىٰ رَبِّنَا مُنقَلِبُونَ
उन्होंने कहा : कोई नुक़सान नहीं, निश्चित रूप से हम अपने पालनहार की ओर पलटने वाले हैं।
51 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 051
إِنَّا نَطۡمَعُ أَن يَغۡفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطَٰيَٰنَآ أَن كُنَّآ أَوَّلَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ
हम आशा रखते हैं कि हमारा पालनहार हमारे लिए, हमारे पापों को क्षमा कर देगा, इस कारण कि हम सबसे पहले ईमान लाने वाले हैं।
52 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 052
۞وَأَوۡحَيۡنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنۡ أَسۡرِ بِعِبَادِيٓ إِنَّكُم مُّتَّبَعُونَ
और हमने मूसा की ओर वह़्य की कि मेरे बंदों को लेकर रातों-रात निकल जा। निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा।
53 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 053
فَأَرۡسَلَ فِرۡعَوۡنُ فِي ٱلۡمَدَآئِنِ حَٰشِرِينَ
तो फ़िरऔन ने नगरों में (सेना) एकत्र करने वालों को भेज दिया।[11]
11. जब मूसा (अलैहिस्सलाम) अल्लाह के आदेशानुसार अपने साथियों को लेकर निकल गए तो फ़िरऔन ने उनका पीछा करने के लिए नगरों में हरकारे भेजे।
54 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 054
إِنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ لَشِرۡذِمَةٞ قَلِيلُونَ
कि निःसंदेह ये लोग एक छोटा-सा समूह हैं।
55 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 055
وَإِنَّهُمۡ لَنَا لَغَآئِظُونَ
और निःसंदेह ये हमें निश्चित रूप से गुस्सा दिलाने वाले हैं।
56 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 056
وَإِنَّا لَجَمِيعٌ حَٰذِرُونَ
और निश्चय ही हम सब चौकन्ना रहने वाले हैं।
57 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 057
فَأَخۡرَجۡنَٰهُم مِّن جَنَّـٰتٖ وَعُيُونٖ
इस तरह हमने उन्हें बाग़ों और सोतों से निकाल दिया।
58 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 058
وَكُنُوزٖ وَمَقَامٖ كَرِيمٖ
तथा ख़ज़ानों और उत्तम आवासों से।
59 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 059
كَذَٰلِكَۖ وَأَوۡرَثۡنَٰهَا بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ
ऐसा ही हुआ और हमने उनका वारिस बनी इसराईल को बना दिया।
60 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 060
فَأَتۡبَعُوهُم مُّشۡرِقِينَ
तो उन्होंने सूर्योदय के समय उनका पीछा किया।
61 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 061
فَلَمَّا تَرَـٰٓءَا ٱلۡجَمۡعَانِ قَالَ أَصۡحَٰبُ مُوسَىٰٓ إِنَّا لَمُدۡرَكُونَ
फिर जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देखा, तो मूसा के साथियों ने कहा : निःसंदेह हम निश्चय ही पकड़े जाने[12) वाले हैं।
12. क्योंकि अब सामने सागर और पीछे फ़िरऔन की सेना थी।
62 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 062
قَالَ كَلَّآۖ إِنَّ مَعِيَ رَبِّي سَيَهۡدِينِ
(मूसा ने) कहा : हरगिज़ नहीं! निश्चय मेरे साथ मेरा पालनहार है। वह अवश्य मेरा मार्गदर्शन करेगा।
63 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 063
فَأَوۡحَيۡنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنِ ٱضۡرِب بِّعَصَاكَ ٱلۡبَحۡرَۖ فَٱنفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرۡقٖ كَٱلطَّوۡدِ ٱلۡعَظِيمِ
तो हमने मूसा की ओर वह़्य की कि अपनी लाठी को सागर पर मारो। (उसने लाठी मारी) तो वह फट गया और हर टुकड़ा बड़े पहाड़ की[13] तरह हो गया।
13. अर्थात बीच से मार्ग बन गया और दोनों ओर पानी पर्वत के समान खड़ा हो गया।
64 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 064
وَأَزۡلَفۡنَا ثَمَّ ٱلۡأٓخَرِينَ
तथा वहीं हम दूसरों को निकट ले आए।
65 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 065
وَأَنجَيۡنَا مُوسَىٰ وَمَن مَّعَهُۥٓ أَجۡمَعِينَ
और हमने मूसा को और जो उसके साथ थे, सबको बचा लिया।
66 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 066
ثُمَّ أَغۡرَقۡنَا ٱلۡأٓخَرِينَ
फिर हमने दूसरों को डुबो दिया।
67 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 067
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ
निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर लोग ईमान लाने वाले नहीं थे।
68 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 068
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् हैl
69 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 069
وَٱتۡلُ عَلَيۡهِمۡ نَبَأَ إِبۡرَٰهِيمَ
तथा आप उन्हें इबराहीम का समाचार सुनाएँ।
70 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 070
إِذۡ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوۡمِهِۦ مَا تَعۡبُدُونَ
जब उसने अपने बाप तथा अपनी जाति से कहा : तुम किसकी पूजा करते हो?
71 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 071
قَالُواْ نَعۡبُدُ أَصۡنَامٗا فَنَظَلُّ لَهَا عَٰكِفِينَ
उन्होंने कहा : हम कुछ मूर्तियों की पूजा करते हैं, इसलिए उन्हीं की सेवा में लगे रहते हैं।
72 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 072
قَالَ هَلۡ يَسۡمَعُونَكُمۡ إِذۡ تَدۡعُونَ
उसने कहा : क्या वे तुम्हें सुनते हैं, जब तुम (उन्हें) पुकारते हो?
73 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 073
أَوۡ يَنفَعُونَكُمۡ أَوۡ يَضُرُّونَ
या तुम्हें लाभ देते हैं, या हानि पहुँचाते हैं?
74 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 074
قَالُواْ بَلۡ وَجَدۡنَآ ءَابَآءَنَا كَذَٰلِكَ يَفۡعَلُونَ
उन्होंने कहा : बल्कि हमने अपने बाप-दादा को पाया कि वे ऐसा ही करते थे।
75 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 075
قَالَ أَفَرَءَيۡتُم مَّا كُنتُمۡ تَعۡبُدُونَ
उसने कहा : तो क्या तुमने देखा कि जिनको तुम पूजते रहे।
76 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 076
أَنتُمۡ وَءَابَآؤُكُمُ ٱلۡأَقۡدَمُونَ
तुम तथा तुम्हारे पहले बाप-दादा?
77 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 077
فَإِنَّهُمۡ عَدُوّٞ لِّيٓ إِلَّا رَبَّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
सो निःसंदेह वे मेरे शत्रु हैं, सिवाय सारे संसारों के पालनहार के।
78 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 078
ٱلَّذِي خَلَقَنِي فَهُوَ يَهۡدِينِ
वह जिसने मुझे पैदा किया, फिर वही मेरा मार्गदर्शन करता है।
79 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 079
وَٱلَّذِي هُوَ يُطۡعِمُنِي وَيَسۡقِينِ
और वही जो मुझे खिलाता है और मुझे पिलाता है।
80 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 080
وَإِذَا مَرِضۡتُ فَهُوَ يَشۡفِينِ
और जब मैं बीमार होता हूँ, तो वही मुझे अच्छा करता है।
81 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 081
وَٱلَّذِي يُمِيتُنِي ثُمَّ يُحۡيِينِ
तथा वह जो मुझे मारेगा, फिर[14] मुझे जीवित करेगा।
14. अर्थात प्रलय के दिन अपने कर्मों का फल भोगने के लिए।
82 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 082
وَٱلَّذِيٓ أَطۡمَعُ أَن يَغۡفِرَ لِي خَطِيٓـَٔتِي يَوۡمَ ٱلدِّينِ
तथा वह, जिससे मैं आशा रखता हूँ कि वह बदले के दिन मेरे पाप क्षमा कर देगा।
83 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 083
رَبِّ هَبۡ لِي حُكۡمٗا وَأَلۡحِقۡنِي بِٱلصَّـٰلِحِينَ
ऐ मेरे पालनहार! मुझे हुक्म (धर्म का ज्ञान) प्रदान कर और मुझे नेक लोगों के साथ मिला।
84 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 084
وَٱجۡعَل لِّي لِسَانَ صِدۡقٖ فِي ٱلۡأٓخِرِينَ
और बाद में आने वालों में मुझे सच्ची ख्याति प्रदान कर।
85 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 085
وَٱجۡعَلۡنِي مِن وَرَثَةِ جَنَّةِ ٱلنَّعِيمِ
और मुझे नेमतों वाली जन्नत के वारिसों में से बना दे।
86 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 086
وَٱغۡفِرۡ لِأَبِيٓ إِنَّهُۥ كَانَ مِنَ ٱلضَّآلِّينَ
तथा मेरे बाप को क्षमा कर दे।[15] निश्चय वह गुमराहों में से था।
15. (देखिए : सूरतुत-तौबा, आयत : 114)
87 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 087
وَلَا تُخۡزِنِي يَوۡمَ يُبۡعَثُونَ
तथा मुझे रुसवा न कर, जिस दिन लोग उठाए जाएँगे।[16]
16. ह़दीस में वर्णित है कि प्रलय के दिन इबराहीम अलैहिस्सलाम अपने बाप से मिलेंगे। और कहेंगे : ऐ मेरे पालनहार! तूने मुझे वचन दिया था कि मुझे पुनः जीवित होने के दिन अपमानित नहीं करेगा। तो अल्लाह कहेगा : मैंने स्वर्ग को काफ़िरों के लिए अवैध कर दिया है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4769)
88 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 088
يَوۡمَ لَا يَنفَعُ مَالٞ وَلَا بَنُونَ
जिस दिन न कोई धन लाभ देगा और न बेटे।
89 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 089
إِلَّا مَنۡ أَتَى ٱللَّهَ بِقَلۡبٖ سَلِيمٖ
परंतु जो अल्लाह के पास पाक-साफ़ दिल लेकर आया।
90 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 090
وَأُزۡلِفَتِ ٱلۡجَنَّةُ لِلۡمُتَّقِينَ
और (अपने रब से) डरने वालों के लिए जन्नत निकट लाई जाएगी।
91 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 091
وَبُرِّزَتِ ٱلۡجَحِيمُ لِلۡغَاوِينَ
तथा पथभ्रष्ट लोगों के लिए भड़कती आग प्रकट कर दी जाएगी।
92 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 092
وَقِيلَ لَهُمۡ أَيۡنَ مَا كُنتُمۡ تَعۡبُدُونَ
तथा उनसे कहा जाएगा : कहाँ हैं वे, जिन्हें तुम पूजते थे?
93 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 093
مِن دُونِ ٱللَّهِ هَلۡ يَنصُرُونَكُمۡ أَوۡ يَنتَصِرُونَ
अल्लाह के सिवा। क्या वे तुम्हारी मदद करते हैं, या अपनी रक्षा करते हैं?
94 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 094
فَكُبۡكِبُواْ فِيهَا هُمۡ وَٱلۡغَاوُۥنَ
फिर वे और सब पथभ्रष्ट लोग उसमें औंधे मुँह फेंक दिए जाएँगे।
95 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 095
وَجُنُودُ إِبۡلِيسَ أَجۡمَعُونَ
और इबलीस की समस्त सेनाएँ भी।
96 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 096
قَالُواْ وَهُمۡ فِيهَا يَخۡتَصِمُونَ
वे उसमें आपस में झगड़ते हुए कहेंगे :
97 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 097
تَٱللَّهِ إِن كُنَّا لَفِي ضَلَٰلٖ مُّبِينٍ
अल्लाह की क़सम! निःसंदेह हम निश्चय खुली गुमराही में थे।
98 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 098
إِذۡ نُسَوِّيكُم بِرَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
जब हम तुम्हें सारे संसारों के पालनहार के बराबर ठहराते थे।
99 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 099
وَمَآ أَضَلَّنَآ إِلَّا ٱلۡمُجۡرِمُونَ
और हमें तो सिर्फ़ इन अपराधियों ने गुमराह किया।
100 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 100
فَمَا لَنَا مِن شَٰفِعِينَ
अब न हमारे लिए कोई सिफारिश करने वाले हैं।
101 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 101
وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٖ
और न कोई घनिष्ट मित्र।
102 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 102
فَلَوۡ أَنَّ لَنَا كَرَّةٗ فَنَكُونَ مِنَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ
तो यदि वास्तव में हमारे लिए वापस जाने का अवसर होता, तो हम ईमानवालों में से हो जाते।[17]
17. इस आयत में संकेत है कि संसार में एक ही जीवन कर्म के लिए मिलता है। और दूसरा जीवन परलोक में कर्मों के फल के लिए मिलेगा।
103 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 103
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ
निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।
104 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 104
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली,[18] अत्यंत दयावान् हैl
18. परंतु लोग स्वयं अत्याचार करके नरक के भागी बन रहे हैं।
105 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 105
كَذَّبَتۡ قَوۡمُ نُوحٍ ٱلۡمُرۡسَلِينَ
नूह़ की जाति ने रसूलों को झुठलाया।
106 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 106
إِذۡ قَالَ لَهُمۡ أَخُوهُمۡ نُوحٌ أَلَا تَتَّقُونَ
जब उनसे उनके भाई नूह़ ने कहा : क्या तुम डरते नहीं?
107 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 107
إِنِّي لَكُمۡ رَسُولٌ أَمِينٞ
निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।[19]
19. अल्लाह का संदेश बिना कमी और अधिकता के तुम्हें पहुँचा रहा हूँ।
108 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 108
فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।
109 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 109
وَمَآ أَسۡـَٔلُكُمۡ عَلَيۡهِ مِنۡ أَجۡرٍۖ إِنۡ أَجۡرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता। मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।
110 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 110
فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।
111 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 111
۞قَالُوٓاْ أَنُؤۡمِنُ لَكَ وَٱتَّبَعَكَ ٱلۡأَرۡذَلُونَ
उन्होंने कहा : क्या हम तुझपर ईमान ले आएँ, जबकि तेरे पीछे चलने वाले अत्यंत नीच[20] लोग हैं?
20. अर्थात धनी नहीं, निर्धन लोग कर रहे हैं।
112 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 112
قَالَ وَمَا عِلۡمِي بِمَا كَانُواْ يَعۡمَلُونَ
(नूह़ ने) कहा : मूझे क्या मालूम कि वे क्या कर्म करते रहे हैं?
113 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 113
إِنۡ حِسَابُهُمۡ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّيۖ لَوۡ تَشۡعُرُونَ
उनका ह़िसाब तो मेरे पालनहार ही के ज़िम्मे है, यदि तुम समझो।
114 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 114
وَمَآ أَنَا۠ بِطَارِدِ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ
और मैं ईमान वालों को धुतकारने वाला[21] नहीं हूँ।
21. अर्थात मैं हीन वर्ग के लोगों को जो ईमान लाए हैं, अपने से दूर नहीं कर सकता जैसा कि तुम चाहते हो।
115 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 115
إِنۡ أَنَا۠ إِلَّا نَذِيرٞ مُّبِينٞ
मैं तो बस एक खुला डराने वाला हूँ
116 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 116
قَالُواْ لَئِن لَّمۡ تَنتَهِ يَٰنُوحُ لَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلۡمَرۡجُومِينَ
उन्होंने कहा : ऐ नूह़! यदि तू बाज़ नहीं आया, तो अवश्य संगसार किए गए लोगों में से हो जाएगा।
117 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 117
قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوۡمِي كَذَّبُونِ
उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! निःसंदेह मेरी जाति ने मुझे झुठला दिया!
118 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 118
فَٱفۡتَحۡ بَيۡنِي وَبَيۡنَهُمۡ فَتۡحٗا وَنَجِّنِي وَمَن مَّعِيَ مِنَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ
अतः तू मेरे और उनके बीच दो-टूक निर्णय कर दे, तथा मुझे और जो ईमानवाले मेरे साथ हैं, उन्हें बचा ले।
119 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 119
فَأَنجَيۡنَٰهُ وَمَن مَّعَهُۥ فِي ٱلۡفُلۡكِ ٱلۡمَشۡحُونِ
तो हमने उसे और उन लोगों को जो उसके साथ भरी हुई नाव में थे, बचा लिया।
120 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 120
ثُمَّ أَغۡرَقۡنَا بَعۡدُ ٱلۡبَاقِينَ
फिर उसके बाद शेष लोगों को डुबो दिया।
121 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 121
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ
निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।
122 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 122
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।
123 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 123
كَذَّبَتۡ عَادٌ ٱلۡمُرۡسَلِينَ
आद ने रसूलों को झुठलाया।
124 - Ash-Shu'ara (The Poets) - 124