طه

 

Taha

 

Ta-Ha

1 - Taha (Ta-Ha) - 001

طه
ता, हा।

2 - Taha (Ta-Ha) - 002

مَآ أَنزَلۡنَا عَلَيۡكَ ٱلۡقُرۡءَانَ لِتَشۡقَىٰٓ
हमने आपपर यह क़ुरआन इसलिए नहीं अवतरित किया कि आप कष्ट में पड़ जाएँ।[1]
1. अर्थात विरोधियों के ईमान न लाने पर।

3 - Taha (Ta-Ha) - 003

إِلَّا تَذۡكِرَةٗ لِّمَن يَخۡشَىٰ
परंतु उसकी याददहानी (नसीहत) के लिए, जो डरता[2] है।
2. अर्थात ईमान न लाने तथा कुकर्मों के दुष्परिणाम से।

4 - Taha (Ta-Ha) - 004

تَنزِيلٗا مِّمَّنۡ خَلَقَ ٱلۡأَرۡضَ وَٱلسَّمَٰوَٰتِ ٱلۡعُلَى
उसकी ओर से उतारा हुआ है, जिसने पृथ्वी और ऊँचे आकाशों को बनाया।।

5 - Taha (Ta-Ha) - 005

ٱلرَّحۡمَٰنُ عَلَى ٱلۡعَرۡشِ ٱسۡتَوَىٰ
वह रहमान (अत्यंत दयावान् अल्लाह) अर्श (सिंहासन) पर बुलंद हुआ।

6 - Taha (Ta-Ha) - 006

لَهُۥ مَا فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَمَا فِي ٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَيۡنَهُمَا وَمَا تَحۡتَ ٱلثَّرَىٰ
उसी का[3] है, जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है और जो उन दोनों के बीच है तथा जो गीली मिट्टी के नीचे है।
3. अर्थात उसी के स्वामित्व में तथा उसी के अधीन है।

7 - Taha (Ta-Ha) - 007

وَإِن تَجۡهَرۡ بِٱلۡقَوۡلِ فَإِنَّهُۥ يَعۡلَمُ ٱلسِّرَّ وَأَخۡفَى
यदि तुम उच्च स्वर में बात करो, तो वह गुप्त और उससे भी अधिक गुप्त बात को जानता है।

8 - Taha (Ta-Ha) - 008

ٱللَّهُ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَۖ لَهُ ٱلۡأَسۡمَآءُ ٱلۡحُسۡنَىٰ
अल्लाह वह है जिसके सिवा कोई पूज्य नहीं, सबसे अच्छे नाम उसी के हैं।

9 - Taha (Ta-Ha) - 009

وَهَلۡ أَتَىٰكَ حَدِيثُ مُوسَىٰٓ
और क्या (ऐ नबी!) आपके पास मूसा की ख़बर पहुँची?

10 - Taha (Ta-Ha) - 010

إِذۡ رَءَا نَارٗا فَقَالَ لِأَهۡلِهِ ٱمۡكُثُوٓاْ إِنِّيٓ ءَانَسۡتُ نَارٗا لَّعَلِّيٓ ءَاتِيكُم مِّنۡهَا بِقَبَسٍ أَوۡ أَجِدُ عَلَى ٱلنَّارِ هُدٗى
जब उसने एक आग देखी, तो अपने घरवालों से कहा : ठहरो, निःसंदेह मैंने एक आग देखी है, शायद मैं तुम्हारे पास उससे कोई अंगार लाे आऊँ, अथवा उस आग पर कोई मार्गदर्शन पा लूँ।[4]
4. यह उस समय की बात है, जब मूसा अलैहिस्सलाम अपने परिवार के साथ मदयन नगर से मिस्र आ रहे थे और मार्ग भूल गए थे।

11 - Taha (Ta-Ha) - 011

فَلَمَّآ أَتَىٰهَا نُودِيَ يَٰمُوسَىٰٓ
फिर जब वह उसके पास आया तो उसे आवाज़ दी गई : ऐ मूसा!

12 - Taha (Ta-Ha) - 012

إِنِّيٓ أَنَا۠ رَبُّكَ فَٱخۡلَعۡ نَعۡلَيۡكَ إِنَّكَ بِٱلۡوَادِ ٱلۡمُقَدَّسِ طُوٗى
निःसंदेह मैं ही तेरा पालनहार हूँ, अतः अपने दोनों जूते उतार दे, निःसंदेह तू पवित्र वादी “तुवा” में है।

13 - Taha (Ta-Ha) - 013

وَأَنَا ٱخۡتَرۡتُكَ فَٱسۡتَمِعۡ لِمَا يُوحَىٰٓ
और मैंने तुझे चुन[5] लिया है। अतः ध्यान से सुन, जो वह़्य की जा रही है।
5. अर्थात नबी बना दिया।

14 - Taha (Ta-Ha) - 014

إِنَّنِيٓ أَنَا ٱللَّهُ لَآ إِلَٰهَ إِلَّآ أَنَا۠ فَٱعۡبُدۡنِي وَأَقِمِ ٱلصَّلَوٰةَ لِذِكۡرِيٓ
निःसंदेह मैं ही अल्लाह हूँ, मेरे सिवा कोई पूज्य नहीं, तो मेरी ही इबादत कर तथा मेरे स्मरण (याद) के लिए नमाज़ स्थापित कर।[6]
6. इबादत में नमाज़ सम्मिलित है, फिर भी उसका महत्त्व दिखाने के लिए उसका विशेष आदेश दिया गया है।

15 - Taha (Ta-Ha) - 015

إِنَّ ٱلسَّاعَةَ ءَاتِيَةٌ أَكَادُ أُخۡفِيهَا لِتُجۡزَىٰ كُلُّ نَفۡسِۭ بِمَا تَسۡعَىٰ
निश्चय क़ियामत आने वाली है, मैं क़रीब हूँ कि उसे छिपाकर रखूँ। ताकि प्रत्येक प्राणी को उसका बदला दिया जाए, जो वह प्रयास करता है।

16 - Taha (Ta-Ha) - 016

فَلَا يَصُدَّنَّكَ عَنۡهَا مَن لَّا يُؤۡمِنُ بِهَا وَٱتَّبَعَ هَوَىٰهُ فَتَرۡدَىٰ
अतः तुझे उससे वह व्यक्ति कहीं रोक न दे, जो उसपर ईमान (विश्वास) नहीं रखता और अपनी इच्छा के पालन में लगा है, अन्यथा तेरा नाश हो जाएगा।

17 - Taha (Ta-Ha) - 017

وَمَا تِلۡكَ بِيَمِينِكَ يَٰمُوسَىٰ
और ऐ मूसा! यह तेरे दाहिने हाथ में क्या है?

18 - Taha (Ta-Ha) - 018

قَالَ هِيَ عَصَايَ أَتَوَكَّؤُاْ عَلَيۡهَا وَأَهُشُّ بِهَا عَلَىٰ غَنَمِي وَلِيَ فِيهَا مَـَٔارِبُ أُخۡرَىٰ
उसने कहा : यह मेरी लाठी है। मैं इसपर टेक लगाता हूँ और इससे अपनी बकरियों के लिए पत्ते झाड़ता हूँ और मेरे लिए इसमें और भी कई ज़रूरतें हैं।

19 - Taha (Ta-Ha) - 019

قَالَ أَلۡقِهَا يَٰمُوسَىٰ
फरमाया : इसे फेंक दे, ऐ मूसा!

20 - Taha (Ta-Ha) - 020

فَأَلۡقَىٰهَا فَإِذَا هِيَ حَيَّةٞ تَسۡعَىٰ
तो उसने उसे फेंक दिया और सहसा वह एक साँप था, जो दोड़ रहा था।

21 - Taha (Ta-Ha) - 021

قَالَ خُذۡهَا وَلَا تَخَفۡۖ سَنُعِيدُهَا سِيرَتَهَا ٱلۡأُولَىٰ
फरमाया : इसे पकड़ ले और डर मत, जल्द ही हम इसे इसकी प्रथम स्थिति में लौटा देंगे।

22 - Taha (Ta-Ha) - 022

وَٱضۡمُمۡ يَدَكَ إِلَىٰ جَنَاحِكَ تَخۡرُجۡ بَيۡضَآءَ مِنۡ غَيۡرِ سُوٓءٍ ءَايَةً أُخۡرَىٰ
और अपना हाथ अपनी कांख (बग़ल) की ओर लगा दे, वह बिना किसी दोष के सफेद (चमकता हुआ) निकलेगा, जबकि यह एक और निशानी है।

23 - Taha (Ta-Ha) - 023

لِنُرِيَكَ مِنۡ ءَايَٰتِنَا ٱلۡكُبۡرَى
ताकि हम तुझे अपनी कुछ बड़ी निशानियाँ दिखाएँ।

24 - Taha (Ta-Ha) - 024

ٱذۡهَبۡ إِلَىٰ فِرۡعَوۡنَ إِنَّهُۥ طَغَىٰ
फ़िरऔन के पास जा, निश्चय वह सरकश हो गया है।

25 - Taha (Ta-Ha) - 025

قَالَ رَبِّ ٱشۡرَحۡ لِي صَدۡرِي
उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! मेरे लिए मेरा सीना खोल दे।

26 - Taha (Ta-Ha) - 026

وَيَسِّرۡ لِيٓ أَمۡرِي
तथा मेरे लिए मेरा काम सरल कर दे।

27 - Taha (Ta-Ha) - 027

وَٱحۡلُلۡ عُقۡدَةٗ مِّن لِّسَانِي
और मेरी ज़बान की गाँठ खोल दे।

28 - Taha (Ta-Ha) - 028

يَفۡقَهُواْ قَوۡلِي
ताकि वे मेरी बात समझ लें।

29 - Taha (Ta-Ha) - 029

وَٱجۡعَل لِّي وَزِيرٗا مِّنۡ أَهۡلِي
तथा मेरे लिए मेरे अपने घरवालों में से एक सहायकबना दे।

30 - Taha (Ta-Ha) - 030

هَٰرُونَ أَخِي
हारून को, जो मेरा भाई है।

31 - Taha (Ta-Ha) - 031

ٱشۡدُدۡ بِهِۦٓ أَزۡرِي
उसके साथ मेरी पीठ मज़बूत़ कर दे।

32 - Taha (Ta-Ha) - 032

وَأَشۡرِكۡهُ فِيٓ أَمۡرِي
और उसे मेरे काम में शरीक कर दे।

33 - Taha (Ta-Ha) - 033

كَيۡ نُسَبِّحَكَ كَثِيرٗا
ताकि हम तेरी बहुत ज़्यादा पवित्रता बयान करें।

34 - Taha (Ta-Ha) - 034

وَنَذۡكُرَكَ كَثِيرًا
तथा हम तुझे बहुत ज़्यादा याद करें।

35 - Taha (Ta-Ha) - 035

إِنَّكَ كُنتَ بِنَا بَصِيرٗا
निःसंदेह तू हमेशा हमारी स्थिति को भली प्रकार देखने वाला है।

36 - Taha (Ta-Ha) - 036

قَالَ قَدۡ أُوتِيتَ سُؤۡلَكَ يَٰمُوسَىٰ
फरमाया : निःसंदेह तुझे दिया गया जो तूने माँगा, ऐ मूसा!

37 - Taha (Ta-Ha) - 037

وَلَقَدۡ مَنَنَّا عَلَيۡكَ مَرَّةً أُخۡرَىٰٓ
और निश्चय ही हमने तुझपर एक और बार भी उपकार किया।[7]
7. यह उस समय की बात है जब मूसा का जन्म हुआ। उस समय फ़िरऔन का आदेश था कि बनी इसराईल में जो भी शिशु जन्म ले, उसे वध कर दिया जाए।

38 - Taha (Ta-Ha) - 038

إِذۡ أَوۡحَيۡنَآ إِلَىٰٓ أُمِّكَ مَا يُوحَىٰٓ
जब हमने तेरी माँ की ओर वह़्य की, जो वह़्य की जाती थी।

39 - Taha (Ta-Ha) - 039

أَنِ ٱقۡذِفِيهِ فِي ٱلتَّابُوتِ فَٱقۡذِفِيهِ فِي ٱلۡيَمِّ فَلۡيُلۡقِهِ ٱلۡيَمُّ بِٱلسَّاحِلِ يَأۡخُذۡهُ عَدُوّٞ لِّي وَعَدُوّٞ لَّهُۥۚ وَأَلۡقَيۡتُ عَلَيۡكَ مَحَبَّةٗ مِّنِّي وَلِتُصۡنَعَ عَلَىٰ عَيۡنِيٓ
यह कि तू इसे ताबूत (संदूक़) में रख दे, फिर उसे नदी में डाल दे, फिर नदी उसे किनारे पर डाल दे, उसे मेरा एक शत्रु और उसका शत्रु उठा लेगा[8] और मैंने तुझपर अपनी ओर से एक प्रेम[9] डाल दिया और ताकि तेरा पालन-पोषण मेरी आँखों के सामने किया जाए।
8. इस से तात्पर्य मिस्र का राजा फ़िरऔन है। 9. अर्थात तुम्हें सबका प्रिय अथवा फ़िरऔन का भी प्रिय बना दिया।

40 - Taha (Ta-Ha) - 040

إِذۡ تَمۡشِيٓ أُخۡتُكَ فَتَقُولُ هَلۡ أَدُلُّكُمۡ عَلَىٰ مَن يَكۡفُلُهُۥۖ فَرَجَعۡنَٰكَ إِلَىٰٓ أُمِّكَ كَيۡ تَقَرَّ عَيۡنُهَا وَلَا تَحۡزَنَۚ وَقَتَلۡتَ نَفۡسٗا فَنَجَّيۡنَٰكَ مِنَ ٱلۡغَمِّ وَفَتَنَّـٰكَ فُتُونٗاۚ فَلَبِثۡتَ سِنِينَ فِيٓ أَهۡلِ مَدۡيَنَ ثُمَّ جِئۡتَ عَلَىٰ قَدَرٖ يَٰمُوسَىٰ
जब तेरी बहन[10] चल रही थी और कह रही थी : क्या मैं तुम्हें उसका पता बता दूँ, जो इसका पालन-पोषण करे? फिर हमने तुझे तेरी माँ के पास लौटा दिया, ताकि उसकी आँख ठंडी हो और वह शोक न करे। तथा तूने एक आदमी को मार डाला[11], तो हमने तुझे दुःखसे बचा लिया और हमने तुम्हारी अच्छी तरह से परीक्षा ली। फिर तू कई वर्ष मदयन वालों के बीच ठहरा रहा, फिर तू एक निश्चित अनुमान पर आया, ऐ मूसा!
10. अर्थात संदूक़ के पीछे नदी के किनारे। 11. अर्थात एक फ़िरऔनी को मारा और वह मर गया, तो तुम मदयन चले गए, इसका वर्णन सूरतुल-क़स़स़ में आएगा।

41 - Taha (Ta-Ha) - 041

وَٱصۡطَنَعۡتُكَ لِنَفۡسِي
और मैंने तुझे विशेष रूप से अपने लिए बनाया है।

42 - Taha (Ta-Ha) - 042

ٱذۡهَبۡ أَنتَ وَأَخُوكَ بِـَٔايَٰتِي وَلَا تَنِيَا فِي ذِكۡرِي
तू और तेरा भाई मेरी निशानियाँ लेकर जाओ और मुझे याद करने में आलस्य न करो।

43 - Taha (Ta-Ha) - 043

ٱذۡهَبَآ إِلَىٰ فِرۡعَوۡنَ إِنَّهُۥ طَغَىٰ
तुम दोनों फ़िरऔन के पास जाओ, निःसंदेह वह सरकश हो गया है।

44 - Taha (Ta-Ha) - 044

فَقُولَا لَهُۥ قَوۡلٗا لَّيِّنٗا لَّعَلَّهُۥ يَتَذَكَّرُ أَوۡ يَخۡشَىٰ
तो उससे कोमल बात करो, आशा है कि वह उपदेश ग्रहण करे, या (अल्लाह से) डर जाए।

45 - Taha (Ta-Ha) - 045

قَالَا رَبَّنَآ إِنَّنَا نَخَافُ أَن يَفۡرُطَ عَلَيۡنَآ أَوۡ أَن يَطۡغَىٰ
दोनों ने कहा : ऐ हमारे पालनहार! निश्चय ह डरते हैं कि वह हमपर अत्याचार करेगा, या हद से बढ़ जाएगा।

46 - Taha (Ta-Ha) - 046

قَالَ لَا تَخَافَآۖ إِنَّنِي مَعَكُمَآ أَسۡمَعُ وَأَرَىٰ
फरमाया : डरो मत, मैं तुम्हारे साथ हूँ, सब कुछ सुन रहा हूँ और सब कुछ देख रहा हूँ।

47 - Taha (Ta-Ha) - 047

فَأۡتِيَاهُ فَقُولَآ إِنَّا رَسُولَا رَبِّكَ فَأَرۡسِلۡ مَعَنَا بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ وَلَا تُعَذِّبۡهُمۡۖ قَدۡ جِئۡنَٰكَ بِـَٔايَةٖ مِّن رَّبِّكَۖ وَٱلسَّلَٰمُ عَلَىٰ مَنِ ٱتَّبَعَ ٱلۡهُدَىٰٓ
अतः तुम दोनों उसके पास जाओ और कहो : हम तेरे पालनहार के रसूल हैं। अतः तू हमारे साथ बनी इसराईल को भेज दे और उन्हें यातना न दे, निश्चय हम तेरे पास तेरे पालनहार की ओर से एक निशानी लेकर आए हैं और सलामती है उसके लिए, जो मार्गदर्शन का अनुसरण करे।

48 - Taha (Ta-Ha) - 048

إِنَّا قَدۡ أُوحِيَ إِلَيۡنَآ أَنَّ ٱلۡعَذَابَ عَلَىٰ مَن كَذَّبَ وَتَوَلَّىٰ
निःसंदेह हमारी ओर वह़्य (प्रकाशना) की गई है कि निश्चय ही यातना उसके लिए है, जिसने झुठलाया और मुँह फेरा।

49 - Taha (Ta-Ha) - 049

قَالَ فَمَن رَّبُّكُمَا يَٰمُوسَىٰ
उसने कहा : तुम दोनों का पालनहार कौन है, ऐ मूसा!?

50 - Taha (Ta-Ha) - 050

قَالَ رَبُّنَا ٱلَّذِيٓ أَعۡطَىٰ كُلَّ شَيۡءٍ خَلۡقَهُۥ ثُمَّ هَدَىٰ
(मूसा ने) कहा : हमारा पालनहार वह है, जिसने हर चीज़ को उसका आकार और रूप दिया, फिर रास्ता दिखाया।[12]
12. आयत का भावार्थ यह है कि अल्लाह ने प्रत्येक जीव-जंतु के योग्य उसका रूप बनाया। और उसके जीवन की आवश्यकता के अनुसार उसे खाने-पीने तथा निवास की विधि समझा दी है।

51 - Taha (Ta-Ha) - 051

قَالَ فَمَا بَالُ ٱلۡقُرُونِ ٱلۡأُولَىٰ
उसने कहा : अच्छा, तो पहले ज़माने के लोगों का क्या हाल है?

52 - Taha (Ta-Ha) - 052

قَالَ عِلۡمُهَا عِندَ رَبِّي فِي كِتَٰبٖۖ لَّا يَضِلُّ رَبِّي وَلَا يَنسَى
(मूसा ने) कहा : उनका ज्ञान मेरे रब के पास एक किताब में है, मेरा रब न भटकता है और न भूलता है।[13]
13. अर्थात उन्होंने जैसा किया होगा, उनके आगे उनका परिणाम आएगा।

53 - Taha (Ta-Ha) - 053

ٱلَّذِي جَعَلَ لَكُمُ ٱلۡأَرۡضَ مَهۡدٗا وَسَلَكَ لَكُمۡ فِيهَا سُبُلٗا وَأَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءٗ فَأَخۡرَجۡنَا بِهِۦٓ أَزۡوَٰجٗا مِّن نَّبَاتٖ شَتَّىٰ
वही है जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन को बिछौना बनाया और उसमें तुम्हारे लिए रास्ते बनाए और आसमान से कुछ पानी उतारा, फिर हमने उसके द्वारा विभिन्न पौधों की कई क़िस्में निकालीं।

54 - Taha (Ta-Ha) - 054

كُلُواْ وَٱرۡعَوۡاْ أَنۡعَٰمَكُمۡۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَٰتٖ لِّأُوْلِي ٱلنُّهَىٰ
खाओ और अपने चौपायों को चराओ, निःसंदेह इसमें बुद्धि वाले लोगों के लिए निश्चय बहुत-सी निशानियाँ हैं।

55 - Taha (Ta-Ha) - 055

۞مِنۡهَا خَلَقۡنَٰكُمۡ وَفِيهَا نُعِيدُكُمۡ وَمِنۡهَا نُخۡرِجُكُمۡ تَارَةً أُخۡرَىٰ
इसी से हमने तुम्हें पैदा किया और इसी में हम तुम्हें लौटाएँगे और इसी से हम तुम्हें एक बार फिर[14] निकालेंगे।
14. अर्थात प्रलय के दिन पुनः जीवित निकालेंगे।

56 - Taha (Ta-Ha) - 056

وَلَقَدۡ أَرَيۡنَٰهُ ءَايَٰتِنَا كُلَّهَا فَكَذَّبَ وَأَبَىٰ
और निःसंदेह हमने उसे अपनी सब निशानियाँ दिखाईं, तो उसने झुठलाया और इनकार किया।

57 - Taha (Ta-Ha) - 057

قَالَ أَجِئۡتَنَا لِتُخۡرِجَنَا مِنۡ أَرۡضِنَا بِسِحۡرِكَ يَٰمُوسَىٰ
उसने कहा : क्या तू हमारे पास इसलिए आया है कि हमें हमारी धरती से अपने जादू के द्वारा निकाल दे, ऐ मूसा!?

58 - Taha (Ta-Ha) - 058

فَلَنَأۡتِيَنَّكَ بِسِحۡرٖ مِّثۡلِهِۦ فَٱجۡعَلۡ بَيۡنَنَا وَبَيۡنَكَ مَوۡعِدٗا لَّا نُخۡلِفُهُۥ نَحۡنُ وَلَآ أَنتَ مَكَانٗا سُوٗى
तो हम भी अवश्य तेरे पास ऐसा ही जादू लाएँगे, अतः तू हमारे और अपने बीच वादे का एक समय निर्धारित कर दे, कि न हम उसके ख़िलाफ़ हों और न तू, ऐसी जगह जो बराबर हो।

59 - Taha (Ta-Ha) - 059

قَالَ مَوۡعِدُكُمۡ يَوۡمُ ٱلزِّينَةِ وَأَن يُحۡشَرَ ٱلنَّاسُ ضُحٗى
(मूसा ने) कहा : तुम्हारे वादे का समय उत्सव का दिन[15] है तथा यह कि लोग दिन चढ़े इकट्ठे हो जाएँ।
15. इससे अभिप्राय उनका कोई वार्षिक उत्सव (मेले) का दिन था।

60 - Taha (Ta-Ha) - 060

فَتَوَلَّىٰ فِرۡعَوۡنُ فَجَمَعَ كَيۡدَهُۥ ثُمَّ أَتَىٰ
फिर फ़िरऔन वापस लौटा,[16] उसने अपने सारे हथकंडे जुटाए, फिर आ गया।
16. मूसा के सत्य को न मान कर, मुक़ाबले की तैयारी में व्यस्त हो गया।

61 - Taha (Ta-Ha) - 061

قَالَ لَهُم مُّوسَىٰ وَيۡلَكُمۡ لَا تَفۡتَرُواْ عَلَى ٱللَّهِ كَذِبٗا فَيُسۡحِتَكُم بِعَذَابٖۖ وَقَدۡ خَابَ مَنِ ٱفۡتَرَىٰ
मूसा ने उन (जादूगरों) से कहा : तुम्हारा विनाश हो! अल्लाह पर कोई झूठ मत गढ़ना, नहीं तो वह तुम्हें यातना देकर नष्ट कर देगा और निश्चय विफल हुआ, जिसने झूठ गढ़ा।

62 - Taha (Ta-Ha) - 062

فَتَنَٰزَعُوٓاْ أَمۡرَهُم بَيۡنَهُمۡ وَأَسَرُّواْ ٱلنَّجۡوَىٰ
तो वे अपने मामले में आपस में मतभेद करने लगे[17] और उन्होंने चुपके-चुपके कानाफूसी की।
17. अर्थात मूसा (अलैहिस्सलाम) की बात सुनकर उनमें मतभेद हो गया। कुछ ने कहा कि यह जादूगर है और कुछ ने कहा कि यह चेहरा जादूगर का नहीं हो सकता।

63 - Taha (Ta-Ha) - 063

قَالُوٓاْ إِنۡ هَٰذَٰنِ لَسَٰحِرَٰنِ يُرِيدَانِ أَن يُخۡرِجَاكُم مِّنۡ أَرۡضِكُم بِسِحۡرِهِمَا وَيَذۡهَبَا بِطَرِيقَتِكُمُ ٱلۡمُثۡلَىٰ
(कुछ ने) कहा : निःसंदेह ये दोनों जादूगर हैं, वे अपने जादू द्वारा तुम्हें तुम्हारे भूभाग से निकाल देना चाहते हैं और तुम्हारे सबसे अच्छे रास्ते (आदर्श प्रणाली) को समाप्त कर देना चाहते हैं।

64 - Taha (Ta-Ha) - 064

فَأَجۡمِعُواْ كَيۡدَكُمۡ ثُمَّ ٱئۡتُواْ صَفّٗاۚ وَقَدۡ أَفۡلَحَ ٱلۡيَوۡمَ مَنِ ٱسۡتَعۡلَىٰ
अतः तुम अपने उपाय को मज़बूत कर लो, फिर पंक्तिबद्ध होकर आ जाओ और निश्चय आज वही सफल होगा, जो हावी रहेगा।

65 - Taha (Ta-Ha) - 065

قَالُواْ يَٰمُوسَىٰٓ إِمَّآ أَن تُلۡقِيَ وَإِمَّآ أَن نَّكُونَ أَوَّلَ مَنۡ أَلۡقَىٰ
उन्होंने कहा : ऐ मूसा! या तो तुम फेंको या यह कि हम पहले फेंकने वाले हो जाएँ।

66 - Taha (Ta-Ha) - 066

قَالَ بَلۡ أَلۡقُواْۖ فَإِذَا حِبَالُهُمۡ وَعِصِيُّهُمۡ يُخَيَّلُ إِلَيۡهِ مِن سِحۡرِهِمۡ أَنَّهَا تَسۡعَىٰ
(मूसा ने) कहा : बल्कि तुम्हीं फेंको। फिर उनकी रस्सियाँ तथा लाठियाँ, उसकी कल्पना में आता था कि उनके जादू के कारण सचमुच दौड़ रही हैं।

67 - Taha (Ta-Ha) - 067

فَأَوۡجَسَ فِي نَفۡسِهِۦ خِيفَةٗ مُّوسَىٰ
तो मूसा ने अपने मन में एक डर महसूस किया।[18]
18. मूसा अलैहिस्सलाम को यह भय हुआ कि लोग जादूगरों के धोखे में न आ जाएँ।

68 - Taha (Ta-Ha) - 068

قُلۡنَا لَا تَخَفۡ إِنَّكَ أَنتَ ٱلۡأَعۡلَىٰ
हमने कहा : डरो मत, निश्चित रूप से तू ही प्रबल होगा।

69 - Taha (Ta-Ha) - 069

وَأَلۡقِ مَا فِي يَمِينِكَ تَلۡقَفۡ مَا صَنَعُوٓاْۖ إِنَّمَا صَنَعُواْ كَيۡدُ سَٰحِرٖۖ وَلَا يُفۡلِحُ ٱلسَّاحِرُ حَيۡثُ أَتَىٰ
और फेंक दे, जो तेरे दाहिने हाथ में है, वह निगल जाएगा जो कुछ उन्होंने रचा है। निःसंदेह उन्होंने जो कुछ रचा है, वह जादूगर की चाल है और जादूगर जहाँ भी आए, सफल नहीं होता।

70 - Taha (Ta-Ha) - 070

فَأُلۡقِيَ ٱلسَّحَرَةُ سُجَّدٗا قَالُوٓاْ ءَامَنَّا بِرَبِّ هَٰرُونَ وَمُوسَىٰ
फिर जादूगर सजदे में गिर गए, उन्होंने कहा : हम हारून और मूसा के रब पर ईमान लाए।

71 - Taha (Ta-Ha) - 071

قَالَ ءَامَنتُمۡ لَهُۥ قَبۡلَ أَنۡ ءَاذَنَ لَكُمۡۖ إِنَّهُۥ لَكَبِيرُكُمُ ٱلَّذِي عَلَّمَكُمُ ٱلسِّحۡرَۖ فَلَأُقَطِّعَنَّ أَيۡدِيَكُمۡ وَأَرۡجُلَكُم مِّنۡ خِلَٰفٖ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمۡ فِي جُذُوعِ ٱلنَّخۡلِ وَلَتَعۡلَمُنَّ أَيُّنَآ أَشَدُّ عَذَابٗا وَأَبۡقَىٰ
उसने कहा : तुम उसपर ईमान ले आए इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति दूँ? निश्चय ही यह तुम्हारा बड़ा है, जिसने तुम्हें जादू सिखाया है। इसलिए निश्चित रूप से मैं तुम्हारे हाथ और तुम्हारे पैर विपरीत दिशा[19] से बुरी तरह काट दूँगा, और अवश्य ही तुम्हें खजूर के तनों पर सूली दूँगा तथा निश्चय ही तुम अवश्य जान लोगे कि हममें से कौन अधिक कठोर एवं स्थायी यातना देने वाला है।
19. अर्थात दाहिना हाथ और बायाँ पैर अथवा बायाँ हाथ और दाहिना पैर।

72 - Taha (Ta-Ha) - 072

قَالُواْ لَن نُّؤۡثِرَكَ عَلَىٰ مَا جَآءَنَا مِنَ ٱلۡبَيِّنَٰتِ وَٱلَّذِي فَطَرَنَاۖ فَٱقۡضِ مَآ أَنتَ قَاضٍۖ إِنَّمَا تَقۡضِي هَٰذِهِ ٱلۡحَيَوٰةَ ٱلدُّنۡيَآ
उन्होंने कहा : हम तुझे कदापि तरजीह नहीं देंगे उन स्पष्ट तर्कों पर जो हमारे पास आए हैं और उसपर, जिसने हमें पैदा किया है। अतः फैसला कर, जो तू फ़ैसला करने वाला है। तू केवल इस दुनिया के जीवन का फ़ैसला कर सकता है।

73 - Taha (Ta-Ha) - 073

إِنَّآ ءَامَنَّا بِرَبِّنَا لِيَغۡفِرَ لَنَا خَطَٰيَٰنَا وَمَآ أَكۡرَهۡتَنَا عَلَيۡهِ مِنَ ٱلسِّحۡرِۗ وَٱللَّهُ خَيۡرٞ وَأَبۡقَىٰٓ
निःसंदेह हम अपने पालनहार पर ईमान लाए हैं, ताकि वह हमारे लिए हमारे पापों और जादू के उन कामों को क्षमा कर दे, जो तूने हमें करने के लिए मजबूर किया है और अल्लाह सर्वोत्तम और सदा रहने वाला है।[20]
20. और तेरा राज्य तथा जीवन तो सामयिक है।

74 - Taha (Ta-Ha) - 074

إِنَّهُۥ مَن يَأۡتِ رَبَّهُۥ مُجۡرِمٗا فَإِنَّ لَهُۥ جَهَنَّمَ لَا يَمُوتُ فِيهَا وَلَا يَحۡيَىٰ
निःसंदेह तथ्य यह है कि जो अपने पालनहार के पास अपराधी बनकर आएगा, तो निश्चित रूप से उसी के लिए नरक है, जिसमें न वह मरेगा और न जिएगा।

75 - Taha (Ta-Ha) - 075

وَمَن يَأۡتِهِۦ مُؤۡمِنٗا قَدۡ عَمِلَ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ فَأُوْلَـٰٓئِكَ لَهُمُ ٱلدَّرَجَٰتُ ٱلۡعُلَىٰ
तथा जो उसके पास मोमिन बनकर आएगा कि उसने अच्छे कर्म किए होंगे, तो यही लोग हैं जिनके लिए सर्वोच्च पद हैं।

76 - Taha (Ta-Ha) - 076

جَنَّـٰتُ عَدۡنٖ تَجۡرِي مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَٰرُ خَٰلِدِينَ فِيهَاۚ وَذَٰلِكَ جَزَآءُ مَن تَزَكَّىٰ
स्थायी निवास के बाग़, जिनके नीचे से नहरें बहती हैं, उनमें हमेशा के लिए रहने वाले हैं और यह उसका प्रतिफल है, जो पवित्र हुआ।

77 - Taha (Ta-Ha) - 077

وَلَقَدۡ أَوۡحَيۡنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنۡ أَسۡرِ بِعِبَادِي فَٱضۡرِبۡ لَهُمۡ طَرِيقٗا فِي ٱلۡبَحۡرِ يَبَسٗا لَّا تَخَٰفُ دَرَكٗا وَلَا تَخۡشَىٰ
और निश्चय ही हमने मूसा की ओर वह़्य की कि मेरे बंदो को रातों-रात ले जा, फिर उनके लिए समुद्र में एक सूखा मार्ग बना,[21] न तू पकड़े जाने से भय खाएगा और न डरेगा।
21. इसका सविस्तार वर्णन सूरतुश शुअरा : 26 में आ रहा है।

78 - Taha (Ta-Ha) - 078

فَأَتۡبَعَهُمۡ فِرۡعَوۡنُ بِجُنُودِهِۦ فَغَشِيَهُم مِّنَ ٱلۡيَمِّ مَا غَشِيَهُمۡ
फिर फ़िरऔन ने अपनी सेना के साथ उनका पीछा किया, तो उन्हें समुद्र से उस चीज़ ने ढाँप लिया जिसने उन्हें ढाँप लिया।

79 - Taha (Ta-Ha) - 079

وَأَضَلَّ فِرۡعَوۡنُ قَوۡمَهُۥ وَمَا هَدَىٰ
और फ़िरऔन ने अपनी क़ौम को गुमराह किया और उन्हें सीधे रास्ते पर न चलाया।

80 - Taha (Ta-Ha) - 080

يَٰبَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ قَدۡ أَنجَيۡنَٰكُم مِّنۡ عَدُوِّكُمۡ وَوَٰعَدۡنَٰكُمۡ جَانِبَ ٱلطُّورِ ٱلۡأَيۡمَنَ وَنَزَّلۡنَا عَلَيۡكُمُ ٱلۡمَنَّ وَٱلسَّلۡوَىٰ
ऐ बनी इसराईल! निःसंदेह हमने तुम्हें तुम्हारे शत्रुओं से छुड़ाया और तुम्हें पर्वत के दाहिनी ओर[22] का वचन दिया और तुमपर 'मन्न' और 'सल्वा' उतारा।[23]
22. अर्ताथ तुमपर तौरात उतारने के लिए। 23. मन्न तथा सल्वा के भाष्य के लिये देखिए : सूरतुल-बक़रा, आयत : 57

81 - Taha (Ta-Ha) - 081

كُلُواْ مِن طَيِّبَٰتِ مَا رَزَقۡنَٰكُمۡ وَلَا تَطۡغَوۡاْ فِيهِ فَيَحِلَّ عَلَيۡكُمۡ غَضَبِيۖ وَمَن يَحۡلِلۡ عَلَيۡهِ غَضَبِي فَقَدۡ هَوَىٰ
खाओ उन पवित्र चीज़ों में से, जो हमने तुम्हें प्रदान की हैं तथा उनमें हद से न बढ़ो। अन्यथा तुमपर मेरा प्रकोप उतरेगा और जिसपर मेरा प्रकोप उतरा, तो निश्चय उसका सर्वनाश हो गया।

82 - Taha (Ta-Ha) - 082

وَإِنِّي لَغَفَّارٞ لِّمَن تَابَ وَءَامَنَ وَعَمِلَ صَٰلِحٗا ثُمَّ ٱهۡتَدَىٰ
और निःसंदेह मैं निश्चय उसको बहुत क्षमा करने वाला हूँ, जो तौबा करे और ईमान लाए और अच्छा कर्म करे, फिर सीधे मार्ग पर चले।

83 - Taha (Ta-Ha) - 083

۞وَمَآ أَعۡجَلَكَ عَن قَوۡمِكَ يَٰمُوسَىٰ
और तुझे तेरी जाति से जल्दी क्या चीज़ ले आई ऐ मूसा!?[24]
24. अर्थात तुम पर्वत की दाहिनी ओर अपनी जाति से पहले क्यों आ गए और उन्हें पीछे क्यों छोड़ दिया?

84 - Taha (Ta-Ha) - 084

قَالَ هُمۡ أُوْلَآءِ عَلَىٰٓ أَثَرِي وَعَجِلۡتُ إِلَيۡكَ رَبِّ لِتَرۡضَىٰ
उसने कहा : वे मेरे पीछे ही हैं और मैं तेरी ओर जल्दी आ गया, ऐ मेरे पालनहार! ताकि तू प्रसन्न हो जाए।

85 - Taha (Ta-Ha) - 085

قَالَ فَإِنَّا قَدۡ فَتَنَّا قَوۡمَكَ مِنۢ بَعۡدِكَ وَأَضَلَّهُمُ ٱلسَّامِرِيُّ
(अल्लाह ने) फरमाया : तो निश्चय हमने तेरे पीछे तेरी जाति के लोगों को परीक्षा में डाल दिया है और सामिरी ने उन्हें पथभ्रष्ट कर दिया है।

86 - Taha (Ta-Ha) - 086

فَرَجَعَ مُوسَىٰٓ إِلَىٰ قَوۡمِهِۦ غَضۡبَٰنَ أَسِفٗاۚ قَالَ يَٰقَوۡمِ أَلَمۡ يَعِدۡكُمۡ رَبُّكُمۡ وَعۡدًا حَسَنًاۚ أَفَطَالَ عَلَيۡكُمُ ٱلۡعَهۡدُ أَمۡ أَرَدتُّمۡ أَن يَحِلَّ عَلَيۡكُمۡ غَضَبٞ مِّن رَّبِّكُمۡ فَأَخۡلَفۡتُم مَّوۡعِدِي
फिर मूसा ग़ुस्से से भरा हुआ, खेद में डूबा हुआ अपनी जाति की ओर वापस आया। उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! क्या तुम्हारे रब ने तुम्हें अच्छा वादा नहीं दिया था?[25] तो क्या वह अवधि तुम पर लंबी हो गई,[26] या तुमने चाहा कि तुमपर तुम्हारे रब का कोई प्रकोप उतरे? तो तुमने मेरा वादा[27] तोड़ दिया।
25. अर्थात धर्म-पुस्तक तौरात देने का वादा। 26. अर्थात वादा की अवधि दीर्घ प्रतीत होने लगी। 27. अर्थात मेरे वापस आने तक, अल्लाह की इबादत पर स्थिर रहने की जो प्रतिज्ञा की थी।

87 - Taha (Ta-Ha) - 087

قَالُواْ مَآ أَخۡلَفۡنَا مَوۡعِدَكَ بِمَلۡكِنَا وَلَٰكِنَّا حُمِّلۡنَآ أَوۡزَارٗا مِّن زِينَةِ ٱلۡقَوۡمِ فَقَذَفۡنَٰهَا فَكَذَٰلِكَ أَلۡقَى ٱلسَّامِرِيُّ
उन्होंने कहा : हमने अपने अधिकार से आपके वचन का उल्लंघन नहीं किया, लेकिन लोगों[28] के गहनों का कुछ बोझ हमपर लाद दिया गया था, तो हमने उन्हें फेंक[29] दिया और ऐसे ही सामिरी[30] ने फेंक दिया।
28. इससे अभिप्रेत फ़िरऔन की जाति है, जिनके आभूषण उन्होंने उधार ले रखे थे। 29. अर्थात अपने पास रखना नहीं चाहा, और एक अग्नि कुंड में फेंक दिया। 30. अर्थात जो कुछ उसके पास था।

88 - Taha (Ta-Ha) - 088

فَأَخۡرَجَ لَهُمۡ عِجۡلٗا جَسَدٗا لَّهُۥ خُوَارٞ فَقَالُواْ هَٰذَآ إِلَٰهُكُمۡ وَإِلَٰهُ مُوسَىٰ فَنَسِيَ
फिर उसने[31] उनके लिए एक बछड़ा निकाला, जो मात्र शरीर था, जिसकी गाय की सी आवाज़ थी। तो उन्होंने कहा : यही तुम्हारा पूज्य तथा मूसा का पूज्य है, सो वह भूल गया है।
31. अर्थात सामिरी ने आभूषणों को पिघला कर बछड़ा बना लिया।

89 - Taha (Ta-Ha) - 089

أَفَلَا يَرَوۡنَ أَلَّا يَرۡجِعُ إِلَيۡهِمۡ قَوۡلٗا وَلَا يَمۡلِكُ لَهُمۡ ضَرّٗا وَلَا نَفۡعٗا
तो क्या वे देखते नहीं कि वह न उनकी किसी बात का उत्तर देता है और न वह उनके किसी नुक़सान का मालिक है और न किसी लाभ का।[32]
32. फिर वह पूज्य कैसे हो सकता है?

90 - Taha (Ta-Ha) - 090

وَلَقَدۡ قَالَ لَهُمۡ هَٰرُونُ مِن قَبۡلُ يَٰقَوۡمِ إِنَّمَا فُتِنتُم بِهِۦۖ وَإِنَّ رَبَّكُمُ ٱلرَّحۡمَٰنُ فَٱتَّبِعُونِي وَأَطِيعُوٓاْ أَمۡرِي
और निःसंदेह हारून उनसे पहले ही कह चुका था : ऐ मेरी जाति के लोगो! बात यह है कि इसके द्वारा तुम्हारी परीक्षा की गई है और निश्चय तुम्हारा पालनहार रहमान (अत्यंत दयावान् अल्लाह) ही है। अतः मेरा अनुसरण करो तथा मेरे आदेश का पालन करो।

91 - Taha (Ta-Ha) - 091

قَالُواْ لَن نَّبۡرَحَ عَلَيۡهِ عَٰكِفِينَ حَتَّىٰ يَرۡجِعَ إِلَيۡنَا مُوسَىٰ
उन्होंने कहा : हम इसी पर जमें बैठे रहेंगे, यहाँ तक कि मूसा हमारे पास वापस आ जाए।

92 - Taha (Ta-Ha) - 092

قَالَ يَٰهَٰرُونُ مَا مَنَعَكَ إِذۡ رَأَيۡتَهُمۡ ضَلُّوٓاْ
(मूसा ने) कहा : ऐ हारून! तुझे किस बात ने रोका, जब तूने उन्हें देखा कि वे पथभ्रष्ट हो गए हैं?

93 - Taha (Ta-Ha) - 093

أَلَّا تَتَّبِعَنِۖ أَفَعَصَيۡتَ أَمۡرِي
कि तू मेरा अनुसरण न करे? तो क्या तूने मेरे आदेश की अवहेलना की?

94 - Taha (Ta-Ha) - 094

قَالَ يَبۡنَؤُمَّ لَا تَأۡخُذۡ بِلِحۡيَتِي وَلَا بِرَأۡسِيٓۖ إِنِّي خَشِيتُ أَن تَقُولَ فَرَّقۡتَ بَيۡنَ بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ وَلَمۡ تَرۡقُبۡ قَوۡلِي
उसने कहा : ऐ मेरी माँ के बेटे! न मेरी दाढ़ी पकड़ और न मेरा सिर। मैं तो इससे डरा कि तू कहेगा : तूने बनी इसराईल में फूट डाल दी और मेरी बात की प्रतीक्षा नहीं की।

95 - Taha (Ta-Ha) - 095

قَالَ فَمَا خَطۡبُكَ يَٰسَٰمِرِيُّ
(मूसा ने) कहा : तो ऐ सामिरी! तोरा मामला क्या है?

96 - Taha (Ta-Ha) - 096

قَالَ بَصُرۡتُ بِمَا لَمۡ يَبۡصُرُواْ بِهِۦ فَقَبَضۡتُ قَبۡضَةٗ مِّنۡ أَثَرِ ٱلرَّسُولِ فَنَبَذۡتُهَا وَكَذَٰلِكَ سَوَّلَتۡ لِي نَفۡسِي
उसने कहा : मैंने वह चीज़ देखी, जो इन लोगों नहीं देखी, तो मैंने रसूल के पदचिह्न से एक मुट्ठी उठाली, फिर मैंने उसे डाल दिया और मेरे दिल ने इसी तरह करना मेरे लिए सुसज्जित कर दिया।[33]
33. अधिकांश भाष्यकारों ने रसूल से अभिप्राय जिबरील (फ़रिश्ता) लिया है। अर्थ यह है कि सामिरी ने यह बात बनाई कि जब उसने फ़िरऔन और उसकी सेना के डूबने के समय जिबरील (अलैहिस्सलाम) को घोड़े पर सवार वहाँ देखा, तो उन के घोड़े के पद्चिह्न की मिट्टी रख ली। और जब सोने का बछड़ा बनाकर उस धूल को उसपर फेंक दिया, तो उसके प्रभाव से उसमें से एक प्रकार की आवाज़ निकलने लगी, जो उनके कुपथ होने का कारण बनी।

97 - Taha (Ta-Ha) - 097

قَالَ فَٱذۡهَبۡ فَإِنَّ لَكَ فِي ٱلۡحَيَوٰةِ أَن تَقُولَ لَا مِسَاسَۖ وَإِنَّ لَكَ مَوۡعِدٗا لَّن تُخۡلَفَهُۥۖ وَٱنظُرۡ إِلَىٰٓ إِلَٰهِكَ ٱلَّذِي ظَلۡتَ عَلَيۡهِ عَاكِفٗاۖ لَّنُحَرِّقَنَّهُۥ ثُمَّ لَنَنسِفَنَّهُۥ فِي ٱلۡيَمِّ نَسۡفًا
(मूसा ने) कहा : "बस चला जा, निःसंदेह तेरे लिए जीवन भर यह है कि तू कहता रहे : मुझे स्पर्श न करना।[1] और निःसंदेह तेरे लिए एक और भी वादा[2] है, जो तुझसे कदापि न टलेगा। तथा अपने पूज्य को देख, जिसका तू पुजारी बना रहा, निश्चय हम उसे अवश्य अच्छी तरह जलाएँगे, फिर निश्चय ही उसे समुद्र में अच्छी तरह से उड़ा देंगे।
34. अर्थात मेरे समीप न आना और न मुझे छूना, मैं अछूत हूँ। 35. अर्थात परलोक की यातना का।

98 - Taha (Ta-Ha) - 098

إِنَّمَآ إِلَٰهُكُمُ ٱللَّهُ ٱلَّذِي لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَۚ وَسِعَ كُلَّ شَيۡءٍ عِلۡمٗا
तुम्हारा पूज्य तो अल्लाह ही है, जिसके अलावा कोई पूज्य नहीं, उसने हर चीज को ज्ञान से घेर रखा है।

99 - Taha (Ta-Ha) - 099

كَذَٰلِكَ نَقُصُّ عَلَيۡكَ مِنۡ أَنۢبَآءِ مَا قَدۡ سَبَقَۚ وَقَدۡ ءَاتَيۡنَٰكَ مِن لَّدُنَّا ذِكۡرٗا
इसी प्रकार हम आपको कुछ ऐसी ख़बरें सुनाते हैं जो गुज़र चुकी हैं और निःसंदेह हमने आपको अपनी तरफ़ से एक नसीहत प्रदान की है।

100 - Taha (Ta-Ha) - 100

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