يونس

 

Yunus

 

Jonah

1 - Yunus (Jonah) - 001

الٓرۚ تِلۡكَ ءَايَٰتُ ٱلۡكِتَٰبِ ٱلۡحَكِيمِ
अलिफ़, लाम, रा। ये पूर्ण हिकमत वाली किताब की आयतें हैं।

2 - Yunus (Jonah) - 002

أَكَانَ لِلنَّاسِ عَجَبًا أَنۡ أَوۡحَيۡنَآ إِلَىٰ رَجُلٖ مِّنۡهُمۡ أَنۡ أَنذِرِ ٱلنَّاسَ وَبَشِّرِ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓاْ أَنَّ لَهُمۡ قَدَمَ صِدۡقٍ عِندَ رَبِّهِمۡۗ قَالَ ٱلۡكَٰفِرُونَ إِنَّ هَٰذَا لَسَٰحِرٞ مُّبِينٌ
क्या लोगों के लिए आश्चर्य की बात है कि हमने उनमें से एक व्यक्ति की ओर वह़्य (प्रकाशना) भेजी कि लोगों को डराए और उन लोगों को शुभ-सूचना दे, जो ईमान लाए हैं कि उनके लिए उनके पालनहार के पास उच्च स्थान है। काफ़िरों ने कहा : निःसंदेह यह तो खुला जादूगर है।

3 - Yunus (Jonah) - 003

إِنَّ رَبَّكُمُ ٱللَّهُ ٱلَّذِي خَلَقَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ فِي سِتَّةِ أَيَّامٖ ثُمَّ ٱسۡتَوَىٰ عَلَى ٱلۡعَرۡشِۖ يُدَبِّرُ ٱلۡأَمۡرَۖ مَا مِن شَفِيعٍ إِلَّا مِنۢ بَعۡدِ إِذۡنِهِۦۚ ذَٰلِكُمُ ٱللَّهُ رَبُّكُمۡ فَٱعۡبُدُوهُۚ أَفَلَا تَذَكَّرُونَ
निःसंदेह तुम्हारा पालनहार अल्लाह ही है, जिसने आकाशों तथा धरती को छह दिनों में पैदा किया, फिर अर्श (सिंहासन) पर बुलंद हुआ। वह हर चीज़ की व्यवस्था चला रहा है। कोई सिफ़ारिश करने वाला नहीं परंतु उसकी अनुमति के बाद। वही अल्लाह तुम्हारा पालनहार है, अतः उसी की इबादत करो। क्या तुम उपदेश ग्रहण नहीं करतेॽ[1]
1. भावार्थ यह है कि जब विश्व की व्यवस्था वही अकेला कर रहा है, तो पूज्य भी वही अकेला होना चाहिए।

4 - Yunus (Jonah) - 004

إِلَيۡهِ مَرۡجِعُكُمۡ جَمِيعٗاۖ وَعۡدَ ٱللَّهِ حَقًّاۚ إِنَّهُۥ يَبۡدَؤُاْ ٱلۡخَلۡقَ ثُمَّ يُعِيدُهُۥ لِيَجۡزِيَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ بِٱلۡقِسۡطِۚ وَٱلَّذِينَ كَفَرُواْ لَهُمۡ شَرَابٞ مِّنۡ حَمِيمٖ وَعَذَابٌ أَلِيمُۢ بِمَا كَانُواْ يَكۡفُرُونَ
तुम सब को उसी की ओर लौटना है। यह अल्लाह का सच्चा वादा है। निःसंदेह वही रचना का आरंभ करता है, फिर उसे दोबारा पैदा करेगा, ताकि उन लोगों को न्याय के साथ बदला[2] दे, जो ईमान लाए और अच्छे कर्म किए। तथा जिन लोगों ने कुफ़्र किया, उनके लिए खौलते हुए जल का पेय और दर्दनाक यातना है, उसके बदले जो वे कुफ़्र किया करते थे।
2. भावार्थ यह है कि यह दूसरा परलोक का जीवन इसलिए आवश्यक है कि कर्मों के फल का नियम यह चाहता है कि जब एक जीवन कर्म के लिए है, तो दूसरा कर्मों के प्रतिफल के लिए होना चाहिए।

5 - Yunus (Jonah) - 005

هُوَ ٱلَّذِي جَعَلَ ٱلشَّمۡسَ ضِيَآءٗ وَٱلۡقَمَرَ نُورٗا وَقَدَّرَهُۥ مَنَازِلَ لِتَعۡلَمُواْ عَدَدَ ٱلسِّنِينَ وَٱلۡحِسَابَۚ مَا خَلَقَ ٱللَّهُ ذَٰلِكَ إِلَّا بِٱلۡحَقِّۚ يُفَصِّلُ ٱلۡأٓيَٰتِ لِقَوۡمٖ يَعۡلَمُونَ
वही है जिसने सूर्य को ज्योति तथा चाँद को प्रकाश बनाया और उस (चाँद) की मंज़िलें निर्धारित कीं, ताकि तुम वर्षों की गिनती तथा हिसाब जान सको। अल्लाह ने इन सब को सत्य के साथ बनाया है। वह उन लोगों के लिए निशानियों को खोलकर बयान करता है, जो जानते हैं।

6 - Yunus (Jonah) - 006

إِنَّ فِي ٱخۡتِلَٰفِ ٱلَّيۡلِ وَٱلنَّهَارِ وَمَا خَلَقَ ٱللَّهُ فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ لَأٓيَٰتٖ لِّقَوۡمٖ يَتَّقُونَ
निःसंदेह रात और दिन के एक-दूसरे के बाद आने में और उन चीज़ों में जो अल्लाह ने आकाशों तथा धरती में पैदा की हैं, निश्चय उन लोगों के लिए निशानियाँ हैं, जो अल्लाह का डर रखते हैं।

7 - Yunus (Jonah) - 007

إِنَّ ٱلَّذِينَ لَا يَرۡجُونَ لِقَآءَنَا وَرَضُواْ بِٱلۡحَيَوٰةِ ٱلدُّنۡيَا وَٱطۡمَأَنُّواْ بِهَا وَٱلَّذِينَ هُمۡ عَنۡ ءَايَٰتِنَا غَٰفِلُونَ
निःसंदेह जो लोग हमसे मिलने की आशा नहीं रखते और वे सांसारिक जीवन से प्रसन्न हो गए तथा उसी से संतुष्ट हो गए और वे लोग जो हमारी निशानियों से असावधान हैं।

8 - Yunus (Jonah) - 008

أُوْلَـٰٓئِكَ مَأۡوَىٰهُمُ ٱلنَّارُ بِمَا كَانُواْ يَكۡسِبُونَ
यही लोग हैं जिनका ठिकाना जहन्नम है, उसके बदले जो वे कमाया करते थे।

9 - Yunus (Jonah) - 009

إِنَّ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ يَهۡدِيهِمۡ رَبُّهُم بِإِيمَٰنِهِمۡۖ تَجۡرِي مِن تَحۡتِهِمُ ٱلۡأَنۡهَٰرُ فِي جَنَّـٰتِ ٱلنَّعِيمِ
निःसंदेह जो लोग ईमान लाए और अच्छे कर्म किए, उनका पालनहार उनके ईमान के कारण उनका मार्गदर्शन करेगा, उनके नीचे नेमत के बाग़ों में नहरें बहती होंगी।

10 - Yunus (Jonah) - 010

دَعۡوَىٰهُمۡ فِيهَا سُبۡحَٰنَكَ ٱللَّهُمَّ وَتَحِيَّتُهُمۡ فِيهَا سَلَٰمٞۚ وَءَاخِرُ دَعۡوَىٰهُمۡ أَنِ ٱلۡحَمۡدُ لِلَّهِ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
उनमें उनकी प्रार्थना यह होगी : ''ऐ अल्लाह! तू पवित्र है।'' और उनमें उनका अभिवादन 'सलाम' होगा, और उनकी प्रार्थना का अंत यह होगा कि : ''सब प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जो सारे संसारों का पालनहार है।''

11 - Yunus (Jonah) - 011

۞وَلَوۡ يُعَجِّلُ ٱللَّهُ لِلنَّاسِ ٱلشَّرَّ ٱسۡتِعۡجَالَهُم بِٱلۡخَيۡرِ لَقُضِيَ إِلَيۡهِمۡ أَجَلُهُمۡۖ فَنَذَرُ ٱلَّذِينَ لَا يَرۡجُونَ لِقَآءَنَا فِي طُغۡيَٰنِهِمۡ يَعۡمَهُونَ
और अगर अल्लाह लोगों को बुराई जल्दी दे दे, उन्हें बहुत जल्दी भलाई प्रदान करने की तरह, तो निश्चय उनकी ओर उनकी अवधि पूरी कर दी जाए। (किंतु) हम उन लोगों को जो हमसे मिलने की आशा नहीं रखते, उनकी सरकशी ही में भटकता[3] हुआ छोड़ देते हैं।
3. आयत का अर्थ यह है कि अल्लाह का दुष्कर्मों का दंड देने का नियम यह नहीं है कि तुरंत संसार ही में उसका कुफल दे दिया जाए। परंतु दुष्कर्मी को यहाँ अवसर दिया जाता है, अन्यथा उनका समय कभी का पूरा हो चुका होता।

12 - Yunus (Jonah) - 012

وَإِذَا مَسَّ ٱلۡإِنسَٰنَ ٱلضُّرُّ دَعَانَا لِجَنۢبِهِۦٓ أَوۡ قَاعِدًا أَوۡ قَآئِمٗا فَلَمَّا كَشَفۡنَا عَنۡهُ ضُرَّهُۥ مَرَّ كَأَن لَّمۡ يَدۡعُنَآ إِلَىٰ ضُرّٖ مَّسَّهُۥۚ كَذَٰلِكَ زُيِّنَ لِلۡمُسۡرِفِينَ مَا كَانُواْ يَعۡمَلُونَ
और जब मनुष्य को कोई दुःख पहुँचता है, तो अपने पहलू पर, या बैठा हुआ या खड़ा हुआ हमें पुकारता है। फिर जब हम उससे उसका दुःख दूर कर देते हैं, तो ऐसे चल देता है, जैसे उसने हमें किसी दुःख के पहुँचने पर पुकारा ही नहीं। इसी प्रकार सीमा से आगे बढ़ने वालों के लिए शोभित कर दिया गया, जो वे किया करते थे।

13 - Yunus (Jonah) - 013

وَلَقَدۡ أَهۡلَكۡنَا ٱلۡقُرُونَ مِن قَبۡلِكُمۡ لَمَّا ظَلَمُواْ وَجَآءَتۡهُمۡ رُسُلُهُم بِٱلۡبَيِّنَٰتِ وَمَا كَانُواْ لِيُؤۡمِنُواْۚ كَذَٰلِكَ نَجۡزِي ٱلۡقَوۡمَ ٱلۡمُجۡرِمِينَ
और निःसंदेह हमने तुमसे पहले बहुत-से समुदायों को विनष्ट कर दिया, जब उन्होंने अत्याचार किया। हालाँकि उनके रसूल उनके पास खुली निशानियाँ लेकर आए थे, परंतु वे ऐसे नहीं थे कि ईमान लाते। इसी प्रकार हम अपराधी लोगों को बदला दिया करते हैं।

14 - Yunus (Jonah) - 014

ثُمَّ جَعَلۡنَٰكُمۡ خَلَـٰٓئِفَ فِي ٱلۡأَرۡضِ مِنۢ بَعۡدِهِمۡ لِنَنظُرَ كَيۡفَ تَعۡمَلُونَ
फिर उनके बद हमने तुम्हें धरती में उत्तराधिकारी बनाया, ताकि हम देखें कि तुम कैसे कार्य करते हो?

15 - Yunus (Jonah) - 015

وَإِذَا تُتۡلَىٰ عَلَيۡهِمۡ ءَايَاتُنَا بَيِّنَٰتٖ قَالَ ٱلَّذِينَ لَا يَرۡجُونَ لِقَآءَنَا ٱئۡتِ بِقُرۡءَانٍ غَيۡرِ هَٰذَآ أَوۡ بَدِّلۡهُۚ قُلۡ مَا يَكُونُ لِيٓ أَنۡ أُبَدِّلَهُۥ مِن تِلۡقَآيِٕ نَفۡسِيٓۖ إِنۡ أَتَّبِعُ إِلَّا مَا يُوحَىٰٓ إِلَيَّۖ إِنِّيٓ أَخَافُ إِنۡ عَصَيۡتُ رَبِّي عَذَابَ يَوۡمٍ عَظِيمٖ
और जब उन्हें हमारी स्पष्ट आयतें सुनाई जाती हैं, तो जो लोग हमसे मिलने की आशा नहीं रखते, वे कहते हैं : "इसके अलावा कोई और क़ुरआन ले आओ, या इसे बदल दो।" कह दो : मेरे लिए यह संभव नहीं है कि मैं इसे अपनी ओर से बदल दूँ। मैं तो केवल उसी का पालन करता हूँ, जो मेरी ओर वह़्य की जाती है। निःसंदेह, यदि मैं अपने पालनहार की अवज्ञा करूँ, तो मुझे एक बड़े दिन की यातना का डर है।

16 - Yunus (Jonah) - 016

قُل لَّوۡ شَآءَ ٱللَّهُ مَا تَلَوۡتُهُۥ عَلَيۡكُمۡ وَلَآ أَدۡرَىٰكُم بِهِۦۖ فَقَدۡ لَبِثۡتُ فِيكُمۡ عُمُرٗا مِّن قَبۡلِهِۦٓۚ أَفَلَا تَعۡقِلُونَ
आप कह दें : यदि अल्लाह चाहता, तो मैं तुम्हें इसे पढ़कर न सुनाता और न वह तुम्हें इसकी ख़बर देता। फिर निःसंदेह मैं इससे पहले तुम्हारे बीच जीवन की एक अवधि व्यतीत कर चुका हूँ। तो क्या तुम नहीं समझतेॽ[4]
4. आयत का भावार्थ यह है कि यदि तुम एक इसी बात पर विचार करो कि मैं तुम्हारे लिए कोई अपरिचित, अज्ञात नहीं हूँ। मैं तुम्ही में से हूँ। यहीं मक्का में पैदा हुआ, और चालीस वर्ष की आयु तुम्हारे बीच व्यतीत की। मेरा पूरा जीवन चरित्र तुम्हारे सामने है, इस अवधि में तुमने सत्य और अमानत के विरुद्ध मुझ में कोई बात नहीं देखी, तो अब चालीस वर्ष के पश्चात् यह कैसे हो सकता है कि अल्लाह पर यह मिथ्या आरोप लगा दूँ कि उसने यह क़ुरआन मुझपर उतारा है? मेरा पवित्र जीवन स्वयं इस बात का प्रमाण है कि यह क़ुरआन अल्लाह की वाणी है। और मैं उसका नबी हूँ। और उसी की अनुमति से यह क़ुरआन तुम्हें सुना रहा हूँ।

17 - Yunus (Jonah) - 017

فَمَنۡ أَظۡلَمُ مِمَّنِ ٱفۡتَرَىٰ عَلَى ٱللَّهِ كَذِبًا أَوۡ كَذَّبَ بِـَٔايَٰتِهِۦٓۚ إِنَّهُۥ لَا يُفۡلِحُ ٱلۡمُجۡرِمُونَ
फिर उससे बढ़कर अत्याचारी कौन होगा, जो अल्लाह पर झूठा आरोप लगाए अथवा उसकी आयतों को झुठलाएॽ निःसंदेह अपराधी लोग सफल नहीं होते।

18 - Yunus (Jonah) - 018

وَيَعۡبُدُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ مَا لَا يَضُرُّهُمۡ وَلَا يَنفَعُهُمۡ وَيَقُولُونَ هَـٰٓؤُلَآءِ شُفَعَـٰٓؤُنَا عِندَ ٱللَّهِۚ قُلۡ أَتُنَبِّـُٔونَ ٱللَّهَ بِمَا لَا يَعۡلَمُ فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَلَا فِي ٱلۡأَرۡضِۚ سُبۡحَٰنَهُۥ وَتَعَٰلَىٰ عَمَّا يُشۡرِكُونَ
और वे लोग अल्लाह को छोड़कर उनको पूजते हैं, जो न उन्हें कोई हानि पहुँचाते हैं और न उन्हें कोई लाभ पहुँचाते हैं और कहते हैं कि ये लोग अल्लाह के यहाँ हमारे सिफ़ारिशी हैं। आप कह दें : क्या तुम अल्लाह को ऐसी बात की सूचना दे रहे हो, जिसे वह न आकाशों में जानता है और न धरती में? वह पवित्र है और उससे बहुत ऊँचा है, जिसे वे साझीदार ठहराते हैं।

19 - Yunus (Jonah) - 019

وَمَا كَانَ ٱلنَّاسُ إِلَّآ أُمَّةٗ وَٰحِدَةٗ فَٱخۡتَلَفُواْۚ وَلَوۡلَا كَلِمَةٞ سَبَقَتۡ مِن رَّبِّكَ لَقُضِيَ بَيۡنَهُمۡ فِيمَا فِيهِ يَخۡتَلِفُونَ
तथा लोग एक ही समुदाय थे, फिर वे अलग-अलग[5] हो गए और यदि वह बात न होती जो तुम्हारे पालनहार की ओर से पहले ही निश्चित हो चुकी[6], तो उनके बीच उसके बारे में अवश्य फ़ैसला कर दिया जाता, जिसमें वे विभेद कर रहे हैं।
5. अतः कुछ शिर्क करने और देवी-देवताओं को पूजने लगे। (इब्ने कसीर) 6. कि वह लोगों के बीच होने वाले मतभेद के बारे में इस दुनिया में फैसला नहीं करेगा।

20 - Yunus (Jonah) - 020

وَيَقُولُونَ لَوۡلَآ أُنزِلَ عَلَيۡهِ ءَايَةٞ مِّن رَّبِّهِۦۖ فَقُلۡ إِنَّمَا ٱلۡغَيۡبُ لِلَّهِ فَٱنتَظِرُوٓاْ إِنِّي مَعَكُم مِّنَ ٱلۡمُنتَظِرِينَ
और वे कहते हैं कि उसपर उसके पालनहार की ओर से कोई निशानी क्यों नहीं उतारी गईॽ[7] आप कह दें : परोक्ष (का ज्ञान) तो केवल अल्लाह के पास है। अतः तुम प्रतीक्षा करो, मैं भी तुम्हारे साथ प्रतीक्षा करने वालों में से हूँ।[8]
7. जैसे कि उनके लिए सफ़ा पहाड़ी को सोना या मक्का के पहाड़ों को हटाकर उनकी जगह नहरें और बाग़ बना दिया जाता। (इब्ने कसीर) 8. अर्थात अल्लाह के आदेश की।

21 - Yunus (Jonah) - 021

وَإِذَآ أَذَقۡنَا ٱلنَّاسَ رَحۡمَةٗ مِّنۢ بَعۡدِ ضَرَّآءَ مَسَّتۡهُمۡ إِذَا لَهُم مَّكۡرٞ فِيٓ ءَايَاتِنَاۚ قُلِ ٱللَّهُ أَسۡرَعُ مَكۡرًاۚ إِنَّ رُسُلَنَا يَكۡتُبُونَ مَا تَمۡكُرُونَ
और जब हम लोगों को उनके किसी तकलीफ़ में पड़ने के बाद कोई दया चखाते हैं, तो अचानक उनके लिए हमारी आयतों के बारे में कोई न कोई चाल होती है। कह दें कि अल्लाह अधिक तेज़ उपाय करने वाला है। निःसंदेह हमारे भेजे हुए (फ़रिश्ते) लिख रहे हैं, जो तुम चाल चलते हो।

22 - Yunus (Jonah) - 022

هُوَ ٱلَّذِي يُسَيِّرُكُمۡ فِي ٱلۡبَرِّ وَٱلۡبَحۡرِۖ حَتَّىٰٓ إِذَا كُنتُمۡ فِي ٱلۡفُلۡكِ وَجَرَيۡنَ بِهِم بِرِيحٖ طَيِّبَةٖ وَفَرِحُواْ بِهَا جَآءَتۡهَا رِيحٌ عَاصِفٞ وَجَآءَهُمُ ٱلۡمَوۡجُ مِن كُلِّ مَكَانٖ وَظَنُّوٓاْ أَنَّهُمۡ أُحِيطَ بِهِمۡ دَعَوُاْ ٱللَّهَ مُخۡلِصِينَ لَهُ ٱلدِّينَ لَئِنۡ أَنجَيۡتَنَا مِنۡ هَٰذِهِۦ لَنَكُونَنَّ مِنَ ٱلشَّـٰكِرِينَ
वही है जो तुम्हें जल और थल में चलाता है, यहाँ तक कि जब तुम नावों में होते हो और वे उन्हें लेकर अच्छी (अनुकूल) हवा के सहारे चल पड़ती हैं और वे उससे प्रसन्न हो उठते हैं, कि अचानक एक तेज़ हवा उन (नावों) पर आती है और उनपर प्रत्येक स्थान से लहरें आ जाती हैं और वे समझते हैं कि निःसंदेह उन्हें घेर लिया गया है, तो वे अल्लाह को इस तरह पुकारते हैं कि उसके लिए हर इबादत को विशुद्ध करने वाले[9] होते हैं, निश्चय अगर तूने हमें उससे नजात दे दी, तो हम अवश्य ही शुक्रगुज़ारों में से होंगे।
9. और सब देवी-देवताओं को भूल जाते हैं।

23 - Yunus (Jonah) - 023

فَلَمَّآ أَنجَىٰهُمۡ إِذَا هُمۡ يَبۡغُونَ فِي ٱلۡأَرۡضِ بِغَيۡرِ ٱلۡحَقِّۗ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ إِنَّمَا بَغۡيُكُمۡ عَلَىٰٓ أَنفُسِكُمۖ مَّتَٰعَ ٱلۡحَيَوٰةِ ٱلدُّنۡيَاۖ ثُمَّ إِلَيۡنَا مَرۡجِعُكُمۡ فَنُنَبِّئُكُم بِمَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ
फिर जब वह उन्हें बचा लेता है, तो वे अचानक धरती में नाहक़ सरकशी करने लगते हैं। ऐ लोगो! तुम्हारी सरकशी, तुम्हारे अपने ही विरुद्ध है। ये सांसारिक जीवन के कुछ लाभ[10] हैं। फिर तुम्हें हमारी ही ओर लौटकर आना है। तब हम तुम्हें बताएँगे जो कुछ तुम किया करते थे।
10. भावार्थ यह है कि जब तक सांसारिक जीवन के संसाधन का कोई सहारा होता है, तो लोग अल्लाह को भूले रहते हैं। और जब यह सहारा नहीं होता, तो उनका अंतर्ज्ञान उभरता है। और वे अल्लाह को पुकारने लगते हैं। और जब दुःख दूर हो जाता है, तो फिर वही दशा हो जाती है। इस्लाम यह शिक्षा देता है कि सदा सुख-दुख में उसे याद करते रहो।

24 - Yunus (Jonah) - 024

إِنَّمَا مَثَلُ ٱلۡحَيَوٰةِ ٱلدُّنۡيَا كَمَآءٍ أَنزَلۡنَٰهُ مِنَ ٱلسَّمَآءِ فَٱخۡتَلَطَ بِهِۦ نَبَاتُ ٱلۡأَرۡضِ مِمَّا يَأۡكُلُ ٱلنَّاسُ وَٱلۡأَنۡعَٰمُ حَتَّىٰٓ إِذَآ أَخَذَتِ ٱلۡأَرۡضُ زُخۡرُفَهَا وَٱزَّيَّنَتۡ وَظَنَّ أَهۡلُهَآ أَنَّهُمۡ قَٰدِرُونَ عَلَيۡهَآ أَتَىٰهَآ أَمۡرُنَا لَيۡلًا أَوۡ نَهَارٗا فَجَعَلۡنَٰهَا حَصِيدٗا كَأَن لَّمۡ تَغۡنَ بِٱلۡأَمۡسِۚ كَذَٰلِكَ نُفَصِّلُ ٱلۡأٓيَٰتِ لِقَوۡمٖ يَتَفَكَّرُونَ
सांसारिक जीवन की मिसाल तो बस उस पानी जैसी है, जिसे हमने आकाश से बरसाया, तो उसके साथ धरती से उगने वाले पौधे ख़ूब मिल गए, जिन्हें इनसान और जानवर खाते हैं, यहाँ तक कि जब धरती ने अपनी शोभा पूरी कर ली और खूब ससज्जित हो गई और उसके मालिकों ने समझ लिया कि निःसंदेह वे उसपर सक्षम हैं, तो रात या दिन में उसपर हमारा आदेश आ गया, तो हमने उसे कटी हुई कर दिया, जैसे वह कल थी ही नहीं।[11] इसी प्रकार हम उन लोगों के लिए आयतें खोलकर बयान करते हैं, जो मनन-चिंतन करते हैं।
11. अर्थात सांसारिक आनंद और सुख वर्षा की उपज के समान सामयिक और अस्थायी है।

25 - Yunus (Jonah) - 025

وَٱللَّهُ يَدۡعُوٓاْ إِلَىٰ دَارِ ٱلسَّلَٰمِ وَيَهۡدِي مَن يَشَآءُ إِلَىٰ صِرَٰطٖ مُّسۡتَقِيمٖ
और अल्लाह शांति के घर की ओर बुलाता है और जिसे चाहता है सीधा मार्ग दिखा देता है।

26 - Yunus (Jonah) - 026

۞لِّلَّذِينَ أَحۡسَنُواْ ٱلۡحُسۡنَىٰ وَزِيَادَةٞۖ وَلَا يَرۡهَقُ وُجُوهَهُمۡ قَتَرٞ وَلَا ذِلَّةٌۚ أُوْلَـٰٓئِكَ أَصۡحَٰبُ ٱلۡجَنَّةِۖ هُمۡ فِيهَا خَٰلِدُونَ
जिन लोगों ने अच्छे कर्म किए, उन्हीं के लिए सबसे अच्छा बदला और कुछ अधिक[12] है और उनके चेहरों पर न कोई कलौंस छाएगी और न ज़िल्लत। यही लोग जन्नत वाले हैं, वे उसमें हमेशा रहने वाले हैं।
12. अधिकांश भाष्यकारों ने "अधिक" का भावार्थ "आख़िरत में अल्लाह का दर्शन" और "अच्छा बदला" का "जन्नत" किया है। (इब्ने कसीर)

27 - Yunus (Jonah) - 027

وَٱلَّذِينَ كَسَبُواْ ٱلسَّيِّـَٔاتِ جَزَآءُ سَيِّئَةِۭ بِمِثۡلِهَا وَتَرۡهَقُهُمۡ ذِلَّةٞۖ مَّا لَهُم مِّنَ ٱللَّهِ مِنۡ عَاصِمٖۖ كَأَنَّمَآ أُغۡشِيَتۡ وُجُوهُهُمۡ قِطَعٗا مِّنَ ٱلَّيۡلِ مُظۡلِمًاۚ أُوْلَـٰٓئِكَ أَصۡحَٰبُ ٱلنَّارِۖ هُمۡ فِيهَا خَٰلِدُونَ
और जिन लोगों ने बुराइयाँ कमाईं, तो किसी भी बुराई का बदला उसी के समान मिलेगा और उनपर अपमान छाया होगा। उन्हें अल्लाह से बचाने वाला कोई न होगा। मानो कि उनके चेहरों पर अँधेरी रात के बहुत-से टुकड़े ओढ़ा दिए गए हों। यही लोग जहन्नम वाले हैं। वे उसमें हमेशा रहने वाले हैं।

28 - Yunus (Jonah) - 028

وَيَوۡمَ نَحۡشُرُهُمۡ جَمِيعٗا ثُمَّ نَقُولُ لِلَّذِينَ أَشۡرَكُواْ مَكَانَكُمۡ أَنتُمۡ وَشُرَكَآؤُكُمۡۚ فَزَيَّلۡنَا بَيۡنَهُمۡۖ وَقَالَ شُرَكَآؤُهُم مَّا كُنتُمۡ إِيَّانَا تَعۡبُدُونَ
और जिस दिन हम उन सबको एकत्र करेंगे, फिर हम उन लोगों से, जिन्होंने शिर्क किया, कहेंगे : तुम अपने साझीदारों समेत अपनी जगह ठहरे रहो, फिर हम उनके बीच अलगाव कर देंगे और उनके साझीदार कहेंगे कि तुम हमारी इबादत तो नहीं किया करते थे।

29 - Yunus (Jonah) - 029

فَكَفَىٰ بِٱللَّهِ شَهِيدَۢا بَيۡنَنَا وَبَيۡنَكُمۡ إِن كُنَّا عَنۡ عِبَادَتِكُمۡ لَغَٰفِلِينَ
अतः हमारे और तुम्हारे बीच अल्लाह ही गवाह काफ़ी है कि निःसंदेह हम तुम्हारी इबादत से निश्चय बेख़बर थे।

30 - Yunus (Jonah) - 030

هُنَالِكَ تَبۡلُواْ كُلُّ نَفۡسٖ مَّآ أَسۡلَفَتۡۚ وَرُدُّوٓاْ إِلَى ٱللَّهِ مَوۡلَىٰهُمُ ٱلۡحَقِّۖ وَضَلَّ عَنۡهُم مَّا كَانُواْ يَفۡتَرُونَ
उस अवसर पर प्रत्येक व्यक्ति अपने पहले के किए हुए कामों को जाँच लेगा और वे अपने सच्चे मालिक अल्लाह की ओर लौटाए जाएँगे और वे जो कुछ झूठा आरोप लगाया करते थे, सब उनसे गुम हो जाएगा।

31 - Yunus (Jonah) - 031

قُلۡ مَن يَرۡزُقُكُم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ وَٱلۡأَرۡضِ أَمَّن يَمۡلِكُ ٱلسَّمۡعَ وَٱلۡأَبۡصَٰرَ وَمَن يُخۡرِجُ ٱلۡحَيَّ مِنَ ٱلۡمَيِّتِ وَيُخۡرِجُ ٱلۡمَيِّتَ مِنَ ٱلۡحَيِّ وَمَن يُدَبِّرُ ٱلۡأَمۡرَۚ فَسَيَقُولُونَ ٱللَّهُۚ فَقُلۡ أَفَلَا تَتَّقُونَ
कहो : वह कौन है जो तुम्हें आकाश और धरती[13] से जीविका देता है? या फिर कान और आँख का मालिक कौन है? और कौन जीवित को मृत से निकालता और मृत को जीवित से निकालता है? और कौन है जो हर काम का प्रबंध करता है? तो वे ज़रूर कहेंगे : ''अल्लाह''[14], तो कहो : फिर क्या तुम डरते नहीं?
13. आकाश की वर्षा तथा धरती की उपज से। 14. जब यह स्वीकार करते हो कि संसार की व्यवस्था अल्लाह ही कर रहा है तो इबादत भी उसी की होनी चाहिए।

32 - Yunus (Jonah) - 032

فَذَٰلِكُمُ ٱللَّهُ رَبُّكُمُ ٱلۡحَقُّۖ فَمَاذَا بَعۡدَ ٱلۡحَقِّ إِلَّا ٱلضَّلَٰلُۖ فَأَنَّىٰ تُصۡرَفُونَ
तो वह अल्लाह ही तुम्हारा सच्चा पालनहार है, फिर सत्य के बाद पथभ्रष्टता के सिवा और क्या हैॽ फिर तुम कहाँ फेरे जाते हो?

33 - Yunus (Jonah) - 033

كَذَٰلِكَ حَقَّتۡ كَلِمَتُ رَبِّكَ عَلَى ٱلَّذِينَ فَسَقُوٓاْ أَنَّهُمۡ لَا يُؤۡمِنُونَ
इसी प्रकार आपके पालनहार की बात उन लोगों के बारे में सत्य सिद्ध हुई जिन्होंने अवज्ञा की थी कि वे ईमान नहीं लाएँगे।

34 - Yunus (Jonah) - 034

قُلۡ هَلۡ مِن شُرَكَآئِكُم مَّن يَبۡدَؤُاْ ٱلۡخَلۡقَ ثُمَّ يُعِيدُهُۥۚ قُلِ ٱللَّهُ يَبۡدَؤُاْ ٱلۡخَلۡقَ ثُمَّ يُعِيدُهُۥۖ فَأَنَّىٰ تُؤۡفَكُونَ
(आप उनसे) कह दें : क्या तुम्हारे साझीदारों में से कोई है, जो सृष्टि का आरंभ करता हो, फिर उसे दोबारा बनाता होॽ आप कह दें : अल्लाह ही सृष्टि का आरंभ करता है, फिर उसे दोबारा बनाता है, तो तुम कहाँ बहकाए जाते होॽ

35 - Yunus (Jonah) - 035

قُلۡ هَلۡ مِن شُرَكَآئِكُم مَّن يَهۡدِيٓ إِلَى ٱلۡحَقِّۚ قُلِ ٱللَّهُ يَهۡدِي لِلۡحَقِّۗ أَفَمَن يَهۡدِيٓ إِلَى ٱلۡحَقِّ أَحَقُّ أَن يُتَّبَعَ أَمَّن لَّا يَهِدِّيٓ إِلَّآ أَن يُهۡدَىٰۖ فَمَا لَكُمۡ كَيۡفَ تَحۡكُمُونَ
आप कह दें कि क्या तुम्हारे साझीदारों में से कोई है, जो सत्य की ओर मार्गदर्शन करे? आप कह दें कि अल्लाह ही सत्य का मार्गदर्शन करता है। तो क्या जो सत्य की ओर मार्गदर्शन करे, वह अधिक हक़दार है कि उसका अनुसरण किया जाए, या वह जो स्वयं रास्ता नहीं पाता सिवाय इसके कि उसे रास्ता बताया जाए? फिर तुम्हें क्या है, तुम कैसे फ़ैसला करते होॽ

36 - Yunus (Jonah) - 036

وَمَا يَتَّبِعُ أَكۡثَرُهُمۡ إِلَّا ظَنًّاۚ إِنَّ ٱلظَّنَّ لَا يُغۡنِي مِنَ ٱلۡحَقِّ شَيۡـًٔاۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلِيمُۢ بِمَا يَفۡعَلُونَ
और उनमें से अधिकांश लोग केवल अनुमान का पालन करते हैं। निश्चित रूप से अनुमान सत्य की तुलना में किसी काम का नहीं है। निःसंदेह अल्लाह उसे भली-भाँति जानने वाला है, जो कुछ वे कर रहे हैं।

37 - Yunus (Jonah) - 037

وَمَا كَانَ هَٰذَا ٱلۡقُرۡءَانُ أَن يُفۡتَرَىٰ مِن دُونِ ٱللَّهِ وَلَٰكِن تَصۡدِيقَ ٱلَّذِي بَيۡنَ يَدَيۡهِ وَتَفۡصِيلَ ٱلۡكِتَٰبِ لَا رَيۡبَ فِيهِ مِن رَّبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
और यह क़ुरआन ऐसा नहीं है कि अल्लाह के अलावा किसी और द्वारा घड़ लिया जाए, बल्कि यह उसकी पुष्टि करता है, जो इससे पहले है और किताब का विवरण (अर्थात् हलाल एवं हराम तथा धर्म के नियमों की व्याख्या) है। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह सारे संसारों के पालनहार की ओर से है।

38 - Yunus (Jonah) - 038

أَمۡ يَقُولُونَ ٱفۡتَرَىٰهُۖ قُلۡ فَأۡتُواْ بِسُورَةٖ مِّثۡلِهِۦ وَٱدۡعُواْ مَنِ ٱسۡتَطَعۡتُم مِّن دُونِ ٱللَّهِ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ
क्या वे कहते हैं कि उसने इस (क़ुरआन) को स्वयं गढ़ लिया हैॽ आप कह दें : तो तुम इस जैसी एक सूरत ले आओ और अल्लाह के सिवा जिसे बुला सको बुला लो, यदि तुम सच्चे हो।

39 - Yunus (Jonah) - 039

بَلۡ كَذَّبُواْ بِمَا لَمۡ يُحِيطُواْ بِعِلۡمِهِۦ وَلَمَّا يَأۡتِهِمۡ تَأۡوِيلُهُۥۚ كَذَٰلِكَ كَذَّبَ ٱلَّذِينَ مِن قَبۡلِهِمۡۖ فَٱنظُرۡ كَيۡفَ كَانَ عَٰقِبَةُ ٱلظَّـٰلِمِينَ
बल्कि उन्होंने उस चीज़ को झुठला दिया, जो उनके ज्ञान के घेरे में नहीं[15] आया, हालाँकि उसका वास्तविक तथ्य अभी तक उनके पास नहीं आया था। इसी तरह उन लोगों ने झुठलाया जो इनसे पहले थे। तो देखो कि अत्याचारियों का परिणाम कैसा हुआ?
15. अर्थात् बिना सोचे समझे इसे झुठलाने के लिए तैयार हो गए।

40 - Yunus (Jonah) - 040

وَمِنۡهُم مَّن يُؤۡمِنُ بِهِۦ وَمِنۡهُم مَّن لَّا يُؤۡمِنُ بِهِۦۚ وَرَبُّكَ أَعۡلَمُ بِٱلۡمُفۡسِدِينَ
और उनमें से कुछ ऐसे हैं जो इस (क़ुरआन) पर ईमान लाते हैं और उनमें से कुछ ऐसे हैं जो इसपर ईमान नहीं लाते और आपका पालनहार बिगाड़ पैदा करने वालों को भली-भाँति जानने वाला है।

41 - Yunus (Jonah) - 041

وَإِن كَذَّبُوكَ فَقُل لِّي عَمَلِي وَلَكُمۡ عَمَلُكُمۡۖ أَنتُم بَرِيٓـُٔونَ مِمَّآ أَعۡمَلُ وَأَنَا۠ بَرِيٓءٞ مِّمَّا تَعۡمَلُونَ
और यदि वे आपको झुठलाएँ, तो आप कह दें कि मेरे लिए मेरा कर्म है और तुम्हारे लिए तुम्हारा कर्म। तुमपर उसका दोष नहीं, जो मैं करता हूँ और मुझपर उसका दोष नहीं, जो तुम करते हो।

42 - Yunus (Jonah) - 042

وَمِنۡهُم مَّن يَسۡتَمِعُونَ إِلَيۡكَۚ أَفَأَنتَ تُسۡمِعُ ٱلصُّمَّ وَلَوۡ كَانُواْ لَا يَعۡقِلُونَ
और उनमें से कुछ ऐसे हैं, जो आपकी ओर कान लगाते हैं। तो क्या आप बहरों[16] को सुनाएँगे, अगरचे वे कुछ भी न समझते होंॽ
16. अर्थात् जो दिल और अंतर्ज्ञान के बहरे हैं।

43 - Yunus (Jonah) - 043

وَمِنۡهُم مَّن يَنظُرُ إِلَيۡكَۚ أَفَأَنتَ تَهۡدِي ٱلۡعُمۡيَ وَلَوۡ كَانُواْ لَا يُبۡصِرُونَ
और उनमें से कुछ ऐसे हैं, जो आपकी ओर देखते हैं। तो क्या आप अंधों को मार्ग दिखाएँगे, यद्यपि वे न देखते होंॽ

44 - Yunus (Jonah) - 044

إِنَّ ٱللَّهَ لَا يَظۡلِمُ ٱلنَّاسَ شَيۡـٔٗا وَلَٰكِنَّ ٱلنَّاسَ أَنفُسَهُمۡ يَظۡلِمُونَ
निःसंदेह अल्लाह लोगों पर कुछ भी अत्याचार नहीं करता, परंतु लोग स्वयं ही अपने ऊपर अत्याचार करते हैं।[17]
17. भावार्थ यह है कि लोग अल्लाह की दी हुई समझ-बूझ से काम न ले कर सत्य और वास्तविकता के ज्ञान की योग्यता खो देते हैं।

45 - Yunus (Jonah) - 045

وَيَوۡمَ يَحۡشُرُهُمۡ كَأَن لَّمۡ يَلۡبَثُوٓاْ إِلَّا سَاعَةٗ مِّنَ ٱلنَّهَارِ يَتَعَارَفُونَ بَيۡنَهُمۡۚ قَدۡ خَسِرَ ٱلَّذِينَ كَذَّبُواْ بِلِقَآءِ ٱللَّهِ وَمَا كَانُواْ مُهۡتَدِينَ
और जिस दिन वह उन्हें इकट्ठा करेगा, (उन्हें लगेगा) मानो वे दिन की एक घड़ी भर ठहरे हों, वे एक-दूसरे को पहचानेंगे। निःसंदेह वे लोग घाटे में पड़ गए, जिन्होंने अल्लाह से मिलने को झुठलाया और वे मार्ग पाने वाले न हुए।

46 - Yunus (Jonah) - 046

وَإِمَّا نُرِيَنَّكَ بَعۡضَ ٱلَّذِي نَعِدُهُمۡ أَوۡ نَتَوَفَّيَنَّكَ فَإِلَيۡنَا مَرۡجِعُهُمۡ ثُمَّ ٱللَّهُ شَهِيدٌ عَلَىٰ مَا يَفۡعَلُونَ
और अगर कभी हम आपको उसका कुछ हिस्सा दिखा दें, जो हम उनसे वादा करते हैं, या आपको उठा ही लें, तो उनकी वापसी हमारी ही ओर है, फिर जो कुछ वे कर रहे हैं अल्लाह उसका गवाह है।

47 - Yunus (Jonah) - 047

وَلِكُلِّ أُمَّةٖ رَّسُولٞۖ فَإِذَا جَآءَ رَسُولُهُمۡ قُضِيَ بَيۡنَهُم بِٱلۡقِسۡطِ وَهُمۡ لَا يُظۡلَمُونَ
और प्रत्येक समुदाय के लिए एक रसूल है। फिर जब उनका रसूल आ जाता है, तो उनके बीच न्याय के साथ फ़ैसला कर दिया जाता है और उनपर अत्याचार नहीं किया जाता।

48 - Yunus (Jonah) - 048

وَيَقُولُونَ مَتَىٰ هَٰذَا ٱلۡوَعۡدُ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ
और वे कहते हैं कि यह वादा कब पूरा होगा, यदि तुम सच्चे होॽ

49 - Yunus (Jonah) - 049

قُل لَّآ أَمۡلِكُ لِنَفۡسِي ضَرّٗا وَلَا نَفۡعًا إِلَّا مَا شَآءَ ٱللَّهُۗ لِكُلِّ أُمَّةٍ أَجَلٌۚ إِذَا جَآءَ أَجَلُهُمۡ فَلَا يَسۡتَـٔۡخِرُونَ سَاعَةٗ وَلَا يَسۡتَقۡدِمُونَ
आप कह दें कि मैं अपने लिए किसी हानि या लाभ का मालिक नहीं हूँ, परंतु जो अल्लाह चाहे। प्रत्येक समुदाय का एक समय है। जब उनका समय आ जाता है, तो वे एक घड़ी न पीछे रहते हैं और न आगे बढ़ते हैं।

50 - Yunus (Jonah) - 050

قُلۡ أَرَءَيۡتُمۡ إِنۡ أَتَىٰكُمۡ عَذَابُهُۥ بَيَٰتًا أَوۡ نَهَارٗا مَّاذَا يَسۡتَعۡجِلُ مِنۡهُ ٱلۡمُجۡرِمُونَ
(ऐ नबी!) कह दें कि तुम बताओ, यदि उसकी यातना तुमपर रात को या दिन के समय आ जाए, तो अपराधी इसमें से कौन-सी चीज़ जल्दी माँग रहे हैं?

51 - Yunus (Jonah) - 051

أَثُمَّ إِذَا مَا وَقَعَ ءَامَنتُم بِهِۦٓۚ ءَآلۡـَٰٔنَ وَقَدۡ كُنتُم بِهِۦ تَسۡتَعۡجِلُونَ
क्या फिर जब वह (यातना) आ जाएगी, तो उसपर ईमान लाओगे? क्या अब! हालाँकि निश्चय तुम इसी के लिए जल्दी मचा रहे थे?

52 - Yunus (Jonah) - 052

ثُمَّ قِيلَ لِلَّذِينَ ظَلَمُواْ ذُوقُواْ عَذَابَ ٱلۡخُلۡدِ هَلۡ تُجۡزَوۡنَ إِلَّا بِمَا كُنتُمۡ تَكۡسِبُونَ
फिर अत्याचारियों से कहा जाएगा कि स्थायी यातना का मज़ा चखो। तुम्हें उसी का बदला दिया जाएगा, जो तुम कमाया करते थे।

53 - Yunus (Jonah) - 053

۞وَيَسۡتَنۢبِـُٔونَكَ أَحَقٌّ هُوَۖ قُلۡ إِي وَرَبِّيٓ إِنَّهُۥ لَحَقّٞۖ وَمَآ أَنتُم بِمُعۡجِزِينَ
और वे आपसे पूछते हैं कि क्या यह बात सत्य ही है? आप कह दें : हाँ, मेरे पालनहार की क़सम! निःसंदेह यह अवश्य सत्य है और तुम अल्लाह को बिल्कुल भी विवश करने वाले नहीं हो।

54 - Yunus (Jonah) - 054

وَلَوۡ أَنَّ لِكُلِّ نَفۡسٖ ظَلَمَتۡ مَا فِي ٱلۡأَرۡضِ لَٱفۡتَدَتۡ بِهِۦۗ وَأَسَرُّواْ ٱلنَّدَامَةَ لَمَّا رَأَوُاْ ٱلۡعَذَابَۖ وَقُضِيَ بَيۡنَهُم بِٱلۡقِسۡطِ وَهُمۡ لَا يُظۡلَمُونَ
यदि अपने आपपर अत्याचार करने वाले व्यक्ति के पास वह सब कुछ हो, जो धरती पर है, तो वह उसे अवश्य छुड़ौती के रूप में दे डाले। और जब वे यातना को देखेंगे, तो अपने पछतावे को छिपाएँगे। तथा उनके बीच न्याय के साथ फ़ैसला कर दिया जाएगा और उनपर कोई अत्याचार नहीं किया जाएगा।

55 - Yunus (Jonah) - 055

أَلَآ إِنَّ لِلَّهِ مَا فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۗ أَلَآ إِنَّ وَعۡدَ ٱللَّهِ حَقّٞ وَلَٰكِنَّ أَكۡثَرَهُمۡ لَا يَعۡلَمُونَ
सुनो! आकाशों और धरती में जो कुछ है, अल्लाह ही का है। सुनो! निःसंदेह अल्लाह का वादा सच्चा है, लेकिन उनमें से अधिकतर लोग नहीं जानते।

56 - Yunus (Jonah) - 056

هُوَ يُحۡيِۦ وَيُمِيتُ وَإِلَيۡهِ تُرۡجَعُونَ
वही जीवन देता तथा मारता है और उसी की ओर तुम लौटाए जाओगे।[18]
18. प्रलय के दिन अपने कर्मों का फल भोगने के लिए।

57 - Yunus (Jonah) - 057

يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ قَدۡ جَآءَتۡكُم مَّوۡعِظَةٞ مِّن رَّبِّكُمۡ وَشِفَآءٞ لِّمَا فِي ٱلصُّدُورِ وَهُدٗى وَرَحۡمَةٞ لِّلۡمُؤۡمِنِينَ
ऐ लोगो! निःसंदेह तुम्हारे पास तुम्हारे पालनहार की ओर से बड़ी नसीहत और सीनों में जो कुछ (रोग) है उसके लिए पूर्णतया शिफ़ा और ईमान वालों के लिए सर्वथा हिदायत और रहमत आई है।

58 - Yunus (Jonah) - 058

قُلۡ بِفَضۡلِ ٱللَّهِ وَبِرَحۡمَتِهِۦ فَبِذَٰلِكَ فَلۡيَفۡرَحُواْ هُوَ خَيۡرٞ مِّمَّا يَجۡمَعُونَ
आप कह दें : (यह) अल्लाह के अनुग्रह और उसकी दया के कारण है। अतः उन्हें इसी पर प्रसन्न होना चाहिए। यह उससे उत्तम है, जो वे इकट्ठा कर रहे हैं।

59 - Yunus (Jonah) - 059

قُلۡ أَرَءَيۡتُم مَّآ أَنزَلَ ٱللَّهُ لَكُم مِّن رِّزۡقٖ فَجَعَلۡتُم مِّنۡهُ حَرَامٗا وَحَلَٰلٗا قُلۡ ءَآللَّهُ أَذِنَ لَكُمۡۖ أَمۡ عَلَى ٱللَّهِ تَفۡتَرُونَ
(ऐ नबी!) कह दें : क्या तुमने देखा जो अल्लाह ने तुम्हारे लिए रोज़ी उतारी है, फिर तुमने उसमें से कुछ को हराम और कुछ को हलाल ठहरा लिया? (आप उनसे) पूछें : क्या अल्लाह ने तुम्हें (इसकी) अनुमति दी है या तुम अल्लाह पर झूठा आरोप लगा रहे होॽ[19]
19. आयत का भावार्थ यह है कि किसी चीज़ को वर्जित करने का अधिकार केवल अल्लाह को है। अपने विचार से किसी चीज़ को अवैध करना अल्लाह पर झूठा आरोप लगाना है।

60 - Yunus (Jonah) - 060

وَمَا ظَنُّ ٱلَّذِينَ يَفۡتَرُونَ عَلَى ٱللَّهِ ٱلۡكَذِبَ يَوۡمَ ٱلۡقِيَٰمَةِۗ إِنَّ ٱللَّهَ لَذُو فَضۡلٍ عَلَى ٱلنَّاسِ وَلَٰكِنَّ أَكۡثَرَهُمۡ لَا يَشۡكُرُونَ
और जो लोग अल्लाह पर झूठा आरोप लगा रहे हैं, उनका क़ियामत के दिन के बारे में क्या ख़याल हैॽ निःसंदेह अल्लाह तो लोगों पर बड़े अनुग्रह[20] वाला है, परंतु उनमें से अक्सर शुक्र अदा नहीं करते।
20. इसीलिए प्रलय तक का अवसर दिया है और उन्हें दंड देने में जल्दी नहीं की।

61 - Yunus (Jonah) - 061

وَمَا تَكُونُ فِي شَأۡنٖ وَمَا تَتۡلُواْ مِنۡهُ مِن قُرۡءَانٖ وَلَا تَعۡمَلُونَ مِنۡ عَمَلٍ إِلَّا كُنَّا عَلَيۡكُمۡ شُهُودًا إِذۡ تُفِيضُونَ فِيهِۚ وَمَا يَعۡزُبُ عَن رَّبِّكَ مِن مِّثۡقَالِ ذَرَّةٖ فِي ٱلۡأَرۡضِ وَلَا فِي ٱلسَّمَآءِ وَلَآ أَصۡغَرَ مِن ذَٰلِكَ وَلَآ أَكۡبَرَ إِلَّا فِي كِتَٰبٖ مُّبِينٍ
(ऐ नबी!) आप जिस दशा में भी होते हैं और क़ुरआन में से जो कुछ भी पढ़ते हैं, तथा (ऐ ईमान वालो!) तुम जो भी कर्म करते हो, हम तुम्हें देख रहे होते हैं, जब तुम उसमें लगे होतो हो। और आपके पालनहार से कोई कण भर भी चीज़ न तो धरती में छिपी रहती है और न आकाश में, तथा न उससे कोई छोटी चीज़ है और न बड़ी, परंतु एक स्पष्ट पुस्तक में मौजूद है।

62 - Yunus (Jonah) - 062

أَلَآ إِنَّ أَوۡلِيَآءَ ٱللَّهِ لَا خَوۡفٌ عَلَيۡهِمۡ وَلَا هُمۡ يَحۡزَنُونَ
सुन लो! निःसंदेह अल्लाह के मित्रों को न कोई भय है और न वे शोकाकुल होंगे।

63 - Yunus (Jonah) - 063

ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَكَانُواْ يَتَّقُونَ
वे लोग जो ईमान लाए और अल्लाह से डरते थे।

64 - Yunus (Jonah) - 064

لَهُمُ ٱلۡبُشۡرَىٰ فِي ٱلۡحَيَوٰةِ ٱلدُّنۡيَا وَفِي ٱلۡأٓخِرَةِۚ لَا تَبۡدِيلَ لِكَلِمَٰتِ ٱللَّهِۚ ذَٰلِكَ هُوَ ٱلۡفَوۡزُ ٱلۡعَظِيمُ
उन्हीं के लिए सांसारिक जीवन में शुभ सूचना है और आख़िरत में भी। अल्लाह की बातों के लिए कोई बदलाव नहीं है। यही बहुत बड़ी सफलता है।

65 - Yunus (Jonah) - 065

وَلَا يَحۡزُنكَ قَوۡلُهُمۡۘ إِنَّ ٱلۡعِزَّةَ لِلَّهِ جَمِيعًاۚ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلۡعَلِيمُ
तथा (ऐ नबी!) आपको उनकी बात दुःखी न करे। निःसंदेह सारा प्रभुत्व अल्लाह ही के लिए है। वही सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।

66 - Yunus (Jonah) - 066

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