التكاثر

 

At-Takathur

 

The Rivalry in world increase

1 - At-Takathur (The Rivalry in world increase) - 001

أَلۡهَىٰكُمُ ٱلتَّكَاثُرُ
तुम्हें (धन, संतान की) बहुतायत पर गर्व ने ग़ाफ़िल कर दिया।

2 - At-Takathur (The Rivalry in world increase) - 002

حَتَّىٰ زُرۡتُمُ ٱلۡمَقَابِرَ
यहाँ तक कि तुम क़ब्रिस्तान जा पहुँचे।[1]
1. (1-2) इन दोनों आयतों में उनको सावधान किया गया है, जो सांसारिक धन ही को सब कुछ समझते हैं और उसे अधिकाधिक प्राप्त करने की धुन उनपर ऐसी सवार है कि मौत के पार क्या होगा, इसे सोचते ही नहीं। कुछ तो धन की देवी बनाकर उसे पूजते हैं।

3 - At-Takathur (The Rivalry in world increase) - 003

كَلَّا سَوۡفَ تَعۡلَمُونَ
कदापि नहीं, तुम शीघ्र ही जान लोगे।

4 - At-Takathur (The Rivalry in world increase) - 004

ثُمَّ كَلَّا سَوۡفَ تَعۡلَمُونَ
फिर कदापि नहीं, तुम शीघ्र ही जान लोगे।

5 - At-Takathur (The Rivalry in world increase) - 005

كَلَّا لَوۡ تَعۡلَمُونَ عِلۡمَ ٱلۡيَقِينِ
कदापि नहीं, यदि तुम निश्चित ज्ञान के साथ जान लेते (तो ऐसा न करते)।[2]
2. (3-5) इन आयतों में सावधान किया गया है कि मौत के पार क्या है? उन्हें आँख बंद करते ही इसका ज्ञान हो जाएगा। यदि आज तुम्हें इस का विश्वास होता, तो अपने भविष्य की ओर से निश्चिन्त न होते। और तुम पर धन प्राप्ति की धुन इतनी सवार न होती।

6 - At-Takathur (The Rivalry in world increase) - 006

لَتَرَوُنَّ ٱلۡجَحِيمَ
निश्चय तुम अवश्य जहन्नम को देखोगे।

7 - At-Takathur (The Rivalry in world increase) - 007

ثُمَّ لَتَرَوُنَّهَا عَيۡنَ ٱلۡيَقِينِ
फिर निश्चय तुम उसे अवश्य विश्वास की आँख से देखोगे।

8 - At-Takathur (The Rivalry in world increase) - 008

ثُمَّ لَتُسۡـَٔلُنَّ يَوۡمَئِذٍ عَنِ ٱلنَّعِيمِ
फिर निश्चय तुम उस दिन नेमतों के बारे में अवश्य पूछे जाओगे।[3]
3. (6-8) इन आयतों में सूचित किया गया है कि तुम नरक के होने का विश्वास करो या न करो, वह दिन आकर रहेगा जब तुम उसको अपनी आँखों से देख लोगे। उस समय तुम्हें इसका पूरा विश्वास हो जाएगा। परंतु वह दिन कर्म का नहीं ह़िसाब देने का दिन होगा। और तुम्हें प्रत्येक अनुकंपा (नेमत) के बारे में अल्लाह के सामने जवाबदेही करनी होगी। (अह़्सनुल बयान)

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