القلم

 

Al-Qalam

 

The Pen

1 - Al-Qalam (The Pen) - 001

نٓۚ وَٱلۡقَلَمِ وَمَا يَسۡطُرُونَ
नून। क़सम है क़लम की तथा उसकी[1] जो वे लिखते हैं।
1. अर्थात क़ुरआन की। जिसे उतरने के साथ ही नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) लेखकों से लिखवाते थे। जैसे ही कोई सूरत या आयत उतरती, लेखक क़लम तथा चमड़ों और झिल्लियों के साथ उपस्थित हो जाते थे, ताकि पूरे संसार के मनुष्यों को क़ुरआन अपने वास्तविक रूप में पहुँच सके। और सदा के लिए सुरक्षित हो जाए। क्योंकि अब आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पश्चात् कोई नबी और कोई पुस्तक नहीं आएगी। और प्रलय तक के लिए अब पूरे संसार के नबी आप ही हैं। और उनके मार्गदर्शन के लिए क़ुरआन ही एकमात्र धर्म पुस्तक है। इसी लिए इसे सुरक्षित कर दिया गया है। और यह विशेषता किसी भी आकाशीय ग्रंथ को प्राप्त नहीं है। इस लिए अब मोक्ष के लिए अंतिम नबी तथा अंतिम धर्म ग्रंथ क़ुरआन पर ईमान लाना अनिवार्य है।

2 - Al-Qalam (The Pen) - 002

مَآ أَنتَ بِنِعۡمَةِ رَبِّكَ بِمَجۡنُونٖ
आप, अपने रब के अनुग्रह से हरगिज़ दीवाना नहीं हैं।

3 - Al-Qalam (The Pen) - 003

وَإِنَّ لَكَ لَأَجۡرًا غَيۡرَ مَمۡنُونٖ
तथा निःसंदेह आपके लिए निश्चय ऐसा प्रतिफल है जो निर्बाध है।

4 - Al-Qalam (The Pen) - 004

وَإِنَّكَ لَعَلَىٰ خُلُقٍ عَظِيمٖ
तथा निःसंदेह निश्चय आप एक महान चरित्र पर हैं।

5 - Al-Qalam (The Pen) - 005

فَسَتُبۡصِرُ وَيُبۡصِرُونَ
अतः शीघ्र ही आप देख लेंगे तथा वे भी देख लेंगे।

6 - Al-Qalam (The Pen) - 006

بِأَييِّكُمُ ٱلۡمَفۡتُونُ
कि तुममें से कौन पागलपन से ग्रसित है।

7 - Al-Qalam (The Pen) - 007

إِنَّ رَبَّكَ هُوَ أَعۡلَمُ بِمَن ضَلَّ عَن سَبِيلِهِۦ وَهُوَ أَعۡلَمُ بِٱلۡمُهۡتَدِينَ
निःसंदेह आपका पालनहार ही उसे अधिक जानता है, जो उसकी राह से भटक गया तथा वही अधिक जानता है उन्हें, जो सीधे मार्ग पर हैं।

8 - Al-Qalam (The Pen) - 008

فَلَا تُطِعِ ٱلۡمُكَذِّبِينَ
अतः आप झुठलाने वालों की बात न मानें।

9 - Al-Qalam (The Pen) - 009

وَدُّواْ لَوۡ تُدۡهِنُ فَيُدۡهِنُونَ
वे चाहते हैं काश! आप नरमी करें, तो वे भी नरमी[2] करें।
2. जब काफ़िर, इस्लाम के प्रभाव को रोकने में असफल हो गए, तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को धमकी और लालच देने के पश्चात्, कुछ लो और कुछ दो की नीति पर आ गए। इस लिए कहा गया कि आप उनकी बातों में न आएँ और परिणाम की प्रतीक्षा करें।

10 - Al-Qalam (The Pen) - 010

وَلَا تُطِعۡ كُلَّ حَلَّافٖ مَّهِينٍ
और आप किसी बहुत क़समें खाने वाले, हीन व्यक्ति की बात न मानें।[3]
3. इन आयतों में किसी विशेष काफ़िर की दशा का वर्णन नहीं, बल्कि काफ़िरों के प्रमुखों के नैतिक पतन तथा कुविचारों और दुराचारों को बताया गया है, जो लोगों को इस्लाम के विरुद्ध उकसा रहे थे। तो फिर क्या इनकी बात मानी जा सकती है?

11 - Al-Qalam (The Pen) - 011

هَمَّازٖ مَّشَّآءِۭ بِنَمِيمٖ
जो बहुत ग़ीबत करने वाला, चुग़ली में बहुत दौड़-धूप करने वाला है।

12 - Al-Qalam (The Pen) - 012

مَّنَّاعٖ لِّلۡخَيۡرِ مُعۡتَدٍ أَثِيمٍ
भलाई को बहुत रोकने वाला, हद से बढ़ने वाला, घोर पापी है।

13 - Al-Qalam (The Pen) - 013

عُتُلِّۭ بَعۡدَ ذَٰلِكَ زَنِيمٍ
क्रूर है, इसके उपरांत हरामज़ादा (वर्णसंकर) है।

14 - Al-Qalam (The Pen) - 014

أَن كَانَ ذَا مَالٖ وَبَنِينَ
इस कारण कि वह धन और बेटों वाला है।

15 - Al-Qalam (The Pen) - 015

إِذَا تُتۡلَىٰ عَلَيۡهِ ءَايَٰتُنَا قَالَ أَسَٰطِيرُ ٱلۡأَوَّلِينَ
जब उसके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं, तो कहता है : यह पहले लोगों की (कल्पित) कहानियाँ हैं।

16 - Al-Qalam (The Pen) - 016

سَنَسِمُهُۥ عَلَى ٱلۡخُرۡطُومِ
शीघ्र ही हम उसकी थूथन[4] पर दाग़ लगाएँगे।
4. अर्थात नाक पर जिसे वह घमंड से ऊँची रखना चाहता है। और दाग़ लगाने का अर्थ अपमानित करना है।

17 - Al-Qalam (The Pen) - 017

إِنَّا بَلَوۡنَٰهُمۡ كَمَا بَلَوۡنَآ أَصۡحَٰبَ ٱلۡجَنَّةِ إِذۡ أَقۡسَمُواْ لَيَصۡرِمُنَّهَا مُصۡبِحِينَ
निःसंदेह हमने उन्हें परीक्षा में डाला[5] है, जिस प्रकार बाग़ वालों को परीक्षा में डाला था, जब उन्होंने क़सम खाई कि भोर होते ही उसके फल अवश्य तोड़ लेंगे।
5. अर्थात मक्का वालों को। इस लिए यदि वे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर ईमान लाएँगे, तो उनपर सफलता की राह खुलेगी। अन्यथा संसार और परलोक दोनों की यातना के भागी होंगे।

18 - Al-Qalam (The Pen) - 018

وَلَا يَسۡتَثۡنُونَ
और वे 'इन शा अल्लाह' नहीं कह रहे थे।

19 - Al-Qalam (The Pen) - 019

فَطَافَ عَلَيۡهَا طَآئِفٞ مِّن رَّبِّكَ وَهُمۡ نَآئِمُونَ
तो आपके पालनहार की ओर से उस (बाग़) पर एक यातना फिर गई, जबकि वे सोए हुए थे।

20 - Al-Qalam (The Pen) - 020

فَأَصۡبَحَتۡ كَٱلصَّرِيمِ
तो वह अंधेरी रात जैसा (काला) हो गया।

21 - Al-Qalam (The Pen) - 021

فَتَنَادَوۡاْ مُصۡبِحِينَ
फिर उन्होंने भोर होते ही एक-दूसरे को पुकारा :

22 - Al-Qalam (The Pen) - 022

أَنِ ٱغۡدُواْ عَلَىٰ حَرۡثِكُمۡ إِن كُنتُمۡ صَٰرِمِينَ
कि अपने खेत पर सवेरे ही जा पहुँचो, यदि तुम फल तोड़ने वाले हो।

23 - Al-Qalam (The Pen) - 023

فَٱنطَلَقُواْ وَهُمۡ يَتَخَٰفَتُونَ
चुनाँचे वे आपस में चुपके-चुपके बातें करते हुए चल दिए।

24 - Al-Qalam (The Pen) - 024

أَن لَّا يَدۡخُلَنَّهَا ٱلۡيَوۡمَ عَلَيۡكُم مِّسۡكِينٞ
कि आज उस (बाग़) में तुम्हारे पास कोई निर्धन[6] हरगिज़ न आने पाए।
6. ताकि उन्हें कुछ दान न करना पड़े।

25 - Al-Qalam (The Pen) - 025

وَغَدَوۡاْ عَلَىٰ حَرۡدٖ قَٰدِرِينَ
और वे सुबह-सुबह (यह सोचकर) निकले कि वे (निर्धनों को) रोकने में सक्षम हैं।

26 - Al-Qalam (The Pen) - 026

فَلَمَّا رَأَوۡهَا قَالُوٓاْ إِنَّا لَضَآلُّونَ
फिर जब उन्होंने उसे देखा, तो कहा : निःसंदेह हम निश्चय रास्ता भूल गए हैं।

27 - Al-Qalam (The Pen) - 027

بَلۡ نَحۡنُ مَحۡرُومُونَ
बल्कि हम वंचित[7] कर दिए गए हैं।
7. पहले तो सोचा कि राह भूल गए हैं। किंतु फिर देखा कि बाग़ तो उन्हीं का है तो कहा कि यह तो ऐसा उजाड़ हो गया है कि अब कुछ तोड़ने के लिए रह ही नहीं गया है। वास्तव में, यह हमारा दुर्भाग्य है।

28 - Al-Qalam (The Pen) - 028

قَالَ أَوۡسَطُهُمۡ أَلَمۡ أَقُل لَّكُمۡ لَوۡلَا تُسَبِّحُونَ
उनमें से बेहतर ने कहा : क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि तुम (अल्लाह की) पवित्रता का वर्णन क्यों नहीं करते?

29 - Al-Qalam (The Pen) - 029

قَالُواْ سُبۡحَٰنَ رَبِّنَآ إِنَّا كُنَّا ظَٰلِمِينَ
उन्होंने कहा : हमारा रब पवित्र है। निःसंदेह हम ही अत्याचारी थे।

30 - Al-Qalam (The Pen) - 030

فَأَقۡبَلَ بَعۡضُهُمۡ عَلَىٰ بَعۡضٖ يَتَلَٰوَمُونَ
फिर वे आपस में एक दूसरे को दोष देने लगे।

31 - Al-Qalam (The Pen) - 031

قَالُواْ يَٰوَيۡلَنَآ إِنَّا كُنَّا طَٰغِينَ
उन्होंने कहा : हाय हमारा विनाश! निश्चय हम ही सीमा का उल्लंघन करने वाले थे।

32 - Al-Qalam (The Pen) - 032

عَسَىٰ رَبُّنَآ أَن يُبۡدِلَنَا خَيۡرٗا مِّنۡهَآ إِنَّآ إِلَىٰ رَبِّنَا رَٰغِبُونَ
आशा है कि हमारा पालनहार हमें बदले में इस (बाग़) से बेहतर प्रदान करेगा। निश्चय हम अपने पालनहार ही की ओर इच्छा रखने वाले हैं।

33 - Al-Qalam (The Pen) - 033

كَذَٰلِكَ ٱلۡعَذَابُۖ وَلَعَذَابُ ٱلۡأٓخِرَةِ أَكۡبَرُۚ لَوۡ كَانُواْ يَعۡلَمُونَ
इसी तरह होती है यातना, और आख़िरत की यातना तो इससे भी बड़ी है। काश वे जानते होते!

34 - Al-Qalam (The Pen) - 034

إِنَّ لِلۡمُتَّقِينَ عِندَ رَبِّهِمۡ جَنَّـٰتِ ٱلنَّعِيمِ
निःसंदेह डरने वालों के लिए उनके पालनहार के पास नेमत के बाग़ हैं।

35 - Al-Qalam (The Pen) - 035

أَفَنَجۡعَلُ ٱلۡمُسۡلِمِينَ كَٱلۡمُجۡرِمِينَ
तो क्या हम आज्ञाकारियों[8] को अपराध करने वालों की तरह कर देंगे?
8. मक्का के प्रमुख कहते थे कि यदि प्रलय हुई, तो वहाँ भी हमें यही सांसारिक सुख-सुविधा प्राप्त होगी। जिसका इस आयत में खंडन किया जा रहा है। अभिप्राय यह है कि अल्लाह के यहाँ देर है, परंतु अँधेर नहीं है।

36 - Al-Qalam (The Pen) - 036

مَا لَكُمۡ كَيۡفَ تَحۡكُمُونَ
तुम्हें क्या हुआ, तुम कैसे फ़ैसले करते हो?

37 - Al-Qalam (The Pen) - 037

أَمۡ لَكُمۡ كِتَٰبٞ فِيهِ تَدۡرُسُونَ
क्या तुम्हारे पास कोई पुस्तक है, जिसमें तुम पढ़ते हो?

38 - Al-Qalam (The Pen) - 038

إِنَّ لَكُمۡ فِيهِ لَمَا تَخَيَّرُونَ
(कि) निश्चय तुम्हारे लिए आख़िरत में वही होगा, जो तुम पसंद करोगे?

39 - Al-Qalam (The Pen) - 039

أَمۡ لَكُمۡ أَيۡمَٰنٌ عَلَيۡنَا بَٰلِغَةٌ إِلَىٰ يَوۡمِ ٱلۡقِيَٰمَةِ إِنَّ لَكُمۡ لَمَا تَحۡكُمُونَ
या तुम्हारे लिए हमारे ऊपर क़समें हैं, जो क़ियामत के दिन तक बाक़ी रहने वाली हैं कि तुम्हारे लिए निश्चय वही होगा, जो तुम निर्णय करोगे?

40 - Al-Qalam (The Pen) - 040

سَلۡهُمۡ أَيُّهُم بِذَٰلِكَ زَعِيمٌ
आप उनसे पूछिए कि उनमें से कौन इसकी ज़मानत लेता है?

41 - Al-Qalam (The Pen) - 041

أَمۡ لَهُمۡ شُرَكَآءُ فَلۡيَأۡتُواْ بِشُرَكَآئِهِمۡ إِن كَانُواْ صَٰدِقِينَ
क्या उनके कोई साझी हैं? फिर तो वे अपने साझियों को ले आएँ[9], यदि वे सच्चे हैं।
9. ताकि वे उन्हें अच्छा स्थान दिला दें।

42 - Al-Qalam (The Pen) - 042

يَوۡمَ يُكۡشَفُ عَن سَاقٖ وَيُدۡعَوۡنَ إِلَى ٱلسُّجُودِ فَلَا يَسۡتَطِيعُونَ
जिस दिन पिंडली खोल दी जाएगी और वे सजदा करने के लिए बुलाए जाएँगे, तो वे सजदा नहीं कर सकेंगे।[10]
10. ह़दीस में है कि प्रलय के दिन अल्लाह अपनी पिंडली खोलेगा, तो प्रत्येक मोमिन पुरुष तथा स्त्री सजदे में गिर जाएँगे। हाँ, वे शेष रह जाएँगे जो दिखावे और नाम के लिये (संसार में) सजदे किया करते थे। वह सजदा करना चाहेंगे, परंतु उनकी रीढ़ की हड्डी तख्त के समान बन जाएगी। जिसके कारण उनके लिए सजदा करना असंभव हो जाएगा। (बुख़ारी : 4919)

43 - Al-Qalam (The Pen) - 043

خَٰشِعَةً أَبۡصَٰرُهُمۡ تَرۡهَقُهُمۡ ذِلَّةٞۖ وَقَدۡ كَانُواْ يُدۡعَوۡنَ إِلَى ٱلسُّجُودِ وَهُمۡ سَٰلِمُونَ
उनकी आँखें झुकी होंगी, उनपर अपमान छाया होगा। हालाँकि उन्हें (संसार में) सजदे की ओर बुलाया जाता था, जबकि वे भले-चंगे थे।

44 - Al-Qalam (The Pen) - 044

فَذَرۡنِي وَمَن يُكَذِّبُ بِهَٰذَا ٱلۡحَدِيثِۖ سَنَسۡتَدۡرِجُهُم مِّنۡ حَيۡثُ لَا يَعۡلَمُونَ
अतः आप मुझे तथा उसको छोड़ दें, जो इस वाणी (क़ुरआन) को झुठलाता है। हम उन्हें धीरे-धीरे (यातना की ओर) इस प्रकार ले जाएँगे[11] कि वे जान भी न सकेंगे।
11. अर्थात उनके बुरे परिणाम की ओर।

45 - Al-Qalam (The Pen) - 045

وَأُمۡلِي لَهُمۡۚ إِنَّ كَيۡدِي مَتِينٌ
और मैं उन्हें मोहलत (अवकाश) दूँगा।[12] निश्चय मेरा उपाय बड़ा मज़बूत है।
12. अर्थात् सांसारिक सुख-सुविधा प्रदान करूँगा ताकि वे और अधिक लापरवाह हो जाएँ। फिर अंततः वे यातना से ग्रस्त हो जाएँगे।

46 - Al-Qalam (The Pen) - 046

أَمۡ تَسۡـَٔلُهُمۡ أَجۡرٗا فَهُم مِّن مَّغۡرَمٖ مُّثۡقَلُونَ
क्या आप उनसे कोई पारिश्रमिक[13] माँगते हैं कि वे तावान के बोझ से दबे जा रहे हैं?
13. अर्थात धर्म के प्रचार पर।

47 - Al-Qalam (The Pen) - 047

أَمۡ عِندَهُمُ ٱلۡغَيۡبُ فَهُمۡ يَكۡتُبُونَ
अथवा उनके पास परोक्ष (का ज्ञान) है, तो वे लिख[14] रहे हैं?
14. या ''लौह़े मह़फ़ूज़'' (सुरक्षित पुस्तक) उनके अधिकार में है इस लिए आपका आज्ञा पालन नहीं करते और उसी से ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं?

48 - Al-Qalam (The Pen) - 048

فَٱصۡبِرۡ لِحُكۡمِ رَبِّكَ وَلَا تَكُن كَصَاحِبِ ٱلۡحُوتِ إِذۡ نَادَىٰ وَهُوَ مَكۡظُومٞ
अतः अपने पालनहार के निर्णय तक धैर्य रखें और मछली वाले के समान[15] न हो जाएँ, जब उसने (अल्लाह को) पुकारा, इस हाल में कि वह शोक से भरा हुआ था।
15. इससे अभिप्राय यूनुस (अलैहिस्सलाम) हैं, जिनको मछली ने निगल लिया था। (देखिए : सूरतुस-साफ़्फ़ात, आयत : 139)

49 - Al-Qalam (The Pen) - 049

لَّوۡلَآ أَن تَدَٰرَكَهُۥ نِعۡمَةٞ مِّن رَّبِّهِۦ لَنُبِذَ بِٱلۡعَرَآءِ وَهُوَ مَذۡمُومٞ
और यदि उसके पालनहार की अनुकंपा ने उसे संभाल न लिया होता, तो निश्चय वह चटियल मैदान में इस दशा में फेंक दिया जाता कि वह निंदित होता।

50 - Al-Qalam (The Pen) - 050

فَٱجۡتَبَٰهُ رَبُّهُۥ فَجَعَلَهُۥ مِنَ ٱلصَّـٰلِحِينَ
फिर उसके पालनहार ने उसे चुन लिया और उसे सदाचारियों में से बना दिया।

51 - Al-Qalam (The Pen) - 051

وَإِن يَكَادُ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ لَيُزۡلِقُونَكَ بِأَبۡصَٰرِهِمۡ لَمَّا سَمِعُواْ ٱلذِّكۡرَ وَيَقُولُونَ إِنَّهُۥ لَمَجۡنُونٞ
और वे लोग जिन्होंने इनकार किया, निश्चय क़रीब हैं कि वे अपनी निगाहों से (घूर घूरकर) आपको अवश्य ही फिसला देंगे, जब वे क़ुरआन को सुनते हैं और कहते हैं कि यह अवश्य ही दीवाना है।

52 - Al-Qalam (The Pen) - 052

وَمَا هُوَ إِلَّا ذِكۡرٞ لِّلۡعَٰلَمِينَ
हालाँकि वह सर्व संसार के लिए मात्र एक उपदेश[16] है।
16. इसमें यह बताया गया है कि क़ुरआन केवल अरबों के लिए नहीं, संसार के सभी देशों और जातियों की शिक्षा के लिए उतरा है।

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