النبإ
An-Naba
The Tidings
1 - An-Naba (The Tidings) - 001
عَمَّ يَتَسَآءَلُونَ
वे आपस में किस चीज़ के विषय में प्रश्न कर रहे हैं?
2 - An-Naba (The Tidings) - 002
عَنِ ٱلنَّبَإِ ٱلۡعَظِيمِ
बहुत बड़ी सूचना के विषय में।
3 - An-Naba (The Tidings) - 003
ٱلَّذِي هُمۡ فِيهِ مُخۡتَلِفُونَ
जिसमें वे मतभेद करने वाले हैं।
4 - An-Naba (The Tidings) - 004
كَلَّا سَيَعۡلَمُونَ
हरगिज़ नहीं, शीघ्र ही वे जान लेंगे।
5 - An-Naba (The Tidings) - 005
ثُمَّ كَلَّا سَيَعۡلَمُونَ
फिर हरगिज़ नहीं, शीघ्र ही वे जान लेंगे।[1]
1. (1-5) इन आयतों में उनको धिक्कारा गया है, जो प्रलय की हँसी उड़ाते हैं। जैसे उनके लिए प्रलय की सूचना किसी गंभीर चिंता के योग्य नहीं। परंतु वह दिन दूर नहीं जब प्रलय उनके आगे आ जाएगी और वे विश्व विधाता के सामने उत्तरदायित्व के लिए उपस्थित होंगे।
6 - An-Naba (The Tidings) - 006
أَلَمۡ نَجۡعَلِ ٱلۡأَرۡضَ مِهَٰدٗا
क्या हमने धरती को बिछौना नहीं बनाया?
7 - An-Naba (The Tidings) - 007
وَٱلۡجِبَالَ أَوۡتَادٗا
और पर्वतों को मेखें?
8 - An-Naba (The Tidings) - 008
وَخَلَقۡنَٰكُمۡ أَزۡوَٰجٗا
तथा हमने तुम्हें जोड़े-जोड़े पैदा किया।
9 - An-Naba (The Tidings) - 009
وَجَعَلۡنَا نَوۡمَكُمۡ سُبَاتٗا
तथा हमने तुम्हारी नींद को आराम (का साधन) बनाया।
10 - An-Naba (The Tidings) - 010
وَجَعَلۡنَا ٱلَّيۡلَ لِبَاسٗا
और हमने रात को आवरण बनाया।
11 - An-Naba (The Tidings) - 011
وَجَعَلۡنَا ٱلنَّهَارَ مَعَاشٗا
और हमने दिन को कमाने के लिए बनाया।
12 - An-Naba (The Tidings) - 012
وَبَنَيۡنَا فَوۡقَكُمۡ سَبۡعٗا شِدَادٗا
तथा हमने तुम्हारे ऊपर सात मज़बूत (आकाश) बनाए।
13 - An-Naba (The Tidings) - 013
وَجَعَلۡنَا سِرَاجٗا وَهَّاجٗا
और हमने एक प्रकाशमान् तप्त दीप (सूर्य) बनाया।
14 - An-Naba (The Tidings) - 014
وَأَنزَلۡنَا مِنَ ٱلۡمُعۡصِرَٰتِ مَآءٗ ثَجَّاجٗا
और हमने बदलियों से मूसलाधार पानी उतारा।
15 - An-Naba (The Tidings) - 015
لِّنُخۡرِجَ بِهِۦ حَبّٗا وَنَبَاتٗا
ताकि हम उसके द्वारा अन्न और वनस्पति उगाएँ।
16 - An-Naba (The Tidings) - 016
وَجَنَّـٰتٍ أَلۡفَافًا
और घने-घने बाग़।[2]
2. (6-16) इन आयतों में अल्लाह की शक्ति और प्रतिपालन (रूबूबिय्यत) के लक्षण दर्शाए गए हैं, जो यह साक्ष्य देते हैं कि प्रतिकार (बदले) का दिन आवश्यक है, क्योंकि जिसके लिए इतनी बड़ी व्यवस्था की गई हो और उसे कर्मों के अधिकार भी दिए गए हों, तो उसके कर्मों का पुरस्कार या दंड तो मिलना ही चाहिए।
17 - An-Naba (The Tidings) - 017
إِنَّ يَوۡمَ ٱلۡفَصۡلِ كَانَ مِيقَٰتٗا
निःसंदेह निर्णय (फ़ैसले) का दिन एक नियत समय है।
18 - An-Naba (The Tidings) - 018
يَوۡمَ يُنفَخُ فِي ٱلصُّورِ فَتَأۡتُونَ أَفۡوَاجٗا
जिस दिन सूर में फूँक मारी जाएगी, तो तुम दल के दल चले आओगे।
19 - An-Naba (The Tidings) - 019
وَفُتِحَتِ ٱلسَّمَآءُ فَكَانَتۡ أَبۡوَٰبٗا
और आकाश खोल दिया जाएगा, तो उसमें द्वार ही द्वार हो जाएँगे।
20 - An-Naba (The Tidings) - 020
وَسُيِّرَتِ ٱلۡجِبَالُ فَكَانَتۡ سَرَابًا
और पर्वत चलाए जाएँगे, तो वे मरीचिका बन जाएँगे।[3]
3. (17-20) इन आयतों में बताया जा रहा है कि निर्णय का दिन अपने निश्चित समय पर आकर रहेगा, उस दिन आकाश तथा धरती में एक बड़ी उथल-पुथल होगी। इसके लिए सूर में एक फूँक मारने की देर है। फिर जिसकी सूचना दी जा रही है तुम्हारे सामने आ जाएगी। तुम्हारे मानने या न मानने का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। और सब अपना ह़िसाब देने के लिए अल्लाह के न्यायालय की ओर चल पड़ेंगे।
21 - An-Naba (The Tidings) - 021
إِنَّ جَهَنَّمَ كَانَتۡ مِرۡصَادٗا
निःसंदेह जहन्नम घात में है।
22 - An-Naba (The Tidings) - 022
لِّلطَّـٰغِينَ مَـَٔابٗا
सरकशों का ठिकाना है।
23 - An-Naba (The Tidings) - 023
لَّـٰبِثِينَ فِيهَآ أَحۡقَابٗا
जिसमें वे अनगिनत वर्षों तक रहेंगे।
24 - An-Naba (The Tidings) - 024
لَّا يَذُوقُونَ فِيهَا بَرۡدٗا وَلَا شَرَابًا
वे उसमें न कोई ठंड चखेंगे और न पीने की चीज़।
25 - An-Naba (The Tidings) - 025
إِلَّا حَمِيمٗا وَغَسَّاقٗا
सिवाय अत्यंत गर्म पानी और बहती पीप के।
26 - An-Naba (The Tidings) - 026
جَزَآءٗ وِفَاقًا
यह पूरा-पूरा बदला है।
27 - An-Naba (The Tidings) - 027
إِنَّهُمۡ كَانُواْ لَا يَرۡجُونَ حِسَابٗا
निःसंदेह वे हिसाब से नहीं डरते थे।
28 - An-Naba (The Tidings) - 028
وَكَذَّبُواْ بِـَٔايَٰتِنَا كِذَّابٗا
तथा उन्होंने हमारी आयतों को बुरी तरह झुठलाया।
29 - An-Naba (The Tidings) - 029
وَكُلَّ شَيۡءٍ أَحۡصَيۡنَٰهُ كِتَٰبٗا
और हमने हर चीज़ को लिखकर संरक्षित कर रखा है।
30 - An-Naba (The Tidings) - 030
فَذُوقُواْ فَلَن نَّزِيدَكُمۡ إِلَّا عَذَابًا
तो चखो, हम तुम्हारे लिए यातना ही अधिक करते रहेंगे।[4]
4. (21-30) इन आयतों में बताया गया है कि जो ह़िसाब की आशा नहीं रखते और हमारी आयतों को नहीं मानते हमने उनकी एक-एक करतूत को गिनकर अपने यहाँ लिख रखा है। और उनकी ख़बर लेने के लिए नरक घात लगाए तैयार है, जहाँ उनके कुकर्मों का भरपूर बदला दिया जाएगा।
31 - An-Naba (The Tidings) - 031
إِنَّ لِلۡمُتَّقِينَ مَفَازًا
निःसंदेह (अल्लाह से) डरने वालों के लिए सफलता है।
32 - An-Naba (The Tidings) - 032
حَدَآئِقَ وَأَعۡنَٰبٗا
बाग़ तथा अंगूर।
33 - An-Naba (The Tidings) - 033
وَكَوَاعِبَ أَتۡرَابٗا
और समान उम्र वाली नवयुवतियाँ।
34 - An-Naba (The Tidings) - 034
وَكَأۡسٗا دِهَاقٗا
और छलकते हुए प्याले।
35 - An-Naba (The Tidings) - 035
لَّا يَسۡمَعُونَ فِيهَا لَغۡوٗا وَلَا كِذَّـٰبٗا
वे उसमें न तो कोई व्यर्थ बात सुनेंगे और न (एक दूसरे को) झुठलाना।
36 - An-Naba (The Tidings) - 036
جَزَآءٗ مِّن رَّبِّكَ عَطَآءً حِسَابٗا
यह तुम्हारे पालनहार की ओर से बदले में ऐसा प्रदान है जो पर्याप्त होगा।
37 - An-Naba (The Tidings) - 037
رَّبِّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَيۡنَهُمَا ٱلرَّحۡمَٰنِۖ لَا يَمۡلِكُونَ مِنۡهُ خِطَابٗا
जो आकाशों और धरती तथा उनके बीच की हर चीज़ का पालनहार है, अत्यंत दयावान् है। उससे बात करने का उन्हें अधिकार नहीं होगा।
38 - An-Naba (The Tidings) - 038
يَوۡمَ يَقُومُ ٱلرُّوحُ وَٱلۡمَلَـٰٓئِكَةُ صَفّٗاۖ لَّا يَتَكَلَّمُونَ إِلَّا مَنۡ أَذِنَ لَهُ ٱلرَّحۡمَٰنُ وَقَالَ صَوَابٗا
जिस दिन रूह़ (जिबरील) तथा फ़रिश्ते पंक्तियों में खड़े होंगे, उससे केवल वही बात कर सकेगा जिसे रहमान (अल्लाह) आज्ञा देगा और वह ठीक बात कहेगा।
39 - An-Naba (The Tidings) - 039
ذَٰلِكَ ٱلۡيَوۡمُ ٱلۡحَقُّۖ فَمَن شَآءَ ٱتَّخَذَ إِلَىٰ رَبِّهِۦ مَـَٔابًا
यही (वह) दिन है जो सत्य है। अतः जो चाहे अपने पालनहार की ओर लौटने की जगह (ठिकाना) बना ले।[5]
5. (37-39) इन आयतों में अल्लाह के न्यायालय में उपस्थिति (ह़ाज़िरी) का चित्र दिखाया गया है। और जो इस भ्रम में पड़े हैं कि उनके देवी-देवता आदि अभिस्ताव करेंगे उनको सावधान किया गया है कि उस दिन कोई बिना उस की आज्ञा के मुँह नहीं खोलेगा और अल्लाह की आज्ञा से अभिस्ताव भी करेगा तो उसी के लिए जो संसार में सत्य वचन "ला इलाहा इल्लल्लाह" को मानता हो। अल्लाह के द्रोही और सत्य के विरोधी किसी अभिस्ताव के योग्य नगीं होंगे।
40 - An-Naba (The Tidings) - 040