النجم

 

An-Najm

 

The Star

1 - An-Najm (The Star) - 001

وَٱلنَّجۡمِ إِذَا هَوَىٰ
क़सम है तारे की जब वह गिरे!

2 - An-Najm (The Star) - 002

مَا ضَلَّ صَاحِبُكُمۡ وَمَا غَوَىٰ
तुम्हारा साथी न तो रास्ते से भटका है और न ही गलत रास्ते पर चला है।

3 - An-Najm (The Star) - 003

وَمَا يَنطِقُ عَنِ ٱلۡهَوَىٰٓ
और न वह अपनी इच्छा से बोलता है।

4 - An-Najm (The Star) - 004

إِنۡ هُوَ إِلَّا وَحۡيٞ يُوحَىٰ
वह तो केवल वह़्य है, जो उतारी जाती है।

5 - An-Najm (The Star) - 005

عَلَّمَهُۥ شَدِيدُ ٱلۡقُوَىٰ
उसे बहुत मज़ूबत शक्तियों वाले (फ़रिश्ते)[1] ने सिखाया है।
1. इससे अभिप्राय जिबरील (अलैहिस्सलाम) हैं, जो वह़्य लाते थे।

6 - An-Najm (The Star) - 006

ذُو مِرَّةٖ فَٱسۡتَوَىٰ
जो बड़ा बलशाली है। फिर वह बुलंद हुआ (अपने असली रूप में प्रकट हुआ)।

7 - An-Najm (The Star) - 007

وَهُوَ بِٱلۡأُفُقِ ٱلۡأَعۡلَىٰ
जबकि वह आकाश के सबसे ऊँचे क्षितिज (पूर्वी किनारे) पर था।

8 - An-Najm (The Star) - 008

ثُمَّ دَنَا فَتَدَلَّىٰ
फिर वह निकट हुआ और उतर आया।

9 - An-Najm (The Star) - 009

فَكَانَ قَابَ قَوۡسَيۡنِ أَوۡ أَدۡنَىٰ
फिर वह दो धनुषों की दूरी पर था, या उससे भी निकट।

10 - An-Najm (The Star) - 010

فَأَوۡحَىٰٓ إِلَىٰ عَبۡدِهِۦ مَآ أَوۡحَىٰ
फिर उसने अल्लाह के बंदे[2] की ओर वह़्य की, जो भी वह़्य की।
2. अर्थात मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की ओर। इन आयतों में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के जिबरील (फरिश्ते) को उनके वास्तविक रूप में दो बार देखने का वर्णन है। आयशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) ने कहा : जो कहे कि मुह़म्मद (सल्लल्लहु अलैहि व सल्लम) ने अल्लाह को देखा है, तो वह झूठा है। और जो कहे कि आप कल (भविष्य) की बात जानते थे, तो वह झूठा है। तथा जो कहे कि आप ने धर्म की कुछ बातें छिपा लीं, तो वह झूठा है। किंतु आपने जिबरील (अलैहिस्सलाम) को उनके रूप में दो बार देखा। (बुख़ारी : 4855) इब्ने मसऊद ने कहा कि आपने जिबरील को देखा जिनके छह सौ पंख थे। (बुख़ारी : 4856)

11 - An-Najm (The Star) - 011

مَا كَذَبَ ٱلۡفُؤَادُ مَا رَأَىٰٓ
दिल ने झूठ नहीं बोला, जो कुछ उसने देखा।

12 - An-Najm (The Star) - 012

أَفَتُمَٰرُونَهُۥ عَلَىٰ مَا يَرَىٰ
फिर क्या तुम उससे उसपर झगड़ते हो, जो वह देखता है?

13 - An-Najm (The Star) - 013

وَلَقَدۡ رَءَاهُ نَزۡلَةً أُخۡرَىٰ
हालाँकि, निश्चित रूप से उसने उसे एक और बार उतरते हुए भी देखा है।

14 - An-Najm (The Star) - 014

عِندَ سِدۡرَةِ ٱلۡمُنتَهَىٰ
सिदरतुल-मुनतहा'[3] के पास।
3. 'सिदरतुल मुनतहा', यह छठे या सातवें आकाश पर बैरी का एक वृक्ष है। जिस तक धरती की चीज़ पहुँचती है। तथा ऊपर की चीज़ उतरती है। (सह़ीह़ मुस्लिम : 173)

15 - An-Najm (The Star) - 015

عِندَهَا جَنَّةُ ٱلۡمَأۡوَىٰٓ
उसी के पास 'जन्नतुल मावा' (शाश्वत स्वर्ग) है।

16 - An-Najm (The Star) - 016

إِذۡ يَغۡشَى ٱلسِّدۡرَةَ مَا يَغۡشَىٰ
जब सिदरा पर छा रहा था, जो कुछ छा रहा था।[4]
4. ह़दीस में है कि वह सोने के पतिंगे थे। (सह़ीह़ मुस्लिम : 173)

17 - An-Najm (The Star) - 017

مَا زَاغَ ٱلۡبَصَرُ وَمَا طَغَىٰ
न निगाह इधर-उधर हुई और न सीमा से आगे बढ़ी।

18 - An-Najm (The Star) - 018

لَقَدۡ رَأَىٰ مِنۡ ءَايَٰتِ رَبِّهِ ٱلۡكُبۡرَىٰٓ
निःसंदेह उसने अपने पालनहार की कुछ बहुत बड़ी निशानियाँ[5] देखीं।
5. इसमें मे'राज की रात आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आकाशों में अल्लाह की निशानियाँ देखने का वर्णन है।

19 - An-Najm (The Star) - 019

أَفَرَءَيۡتُمُ ٱللَّـٰتَ وَٱلۡعُزَّىٰ
फिर क्या तुमने लात और उज़्ज़ा को देखा।

20 - An-Najm (The Star) - 020

وَمَنَوٰةَ ٱلثَّالِثَةَ ٱلۡأُخۡرَىٰٓ
तथा तीसरी एक और (मूर्ति) मनात को?[6]
6. लात, उज़्ज़ा और मनात ये तीनों मक्का के मुश्रिकों की देवियों के नाम हैं। और अर्थ यह है कि क्या इनकी भी कोई वास्तविकता है?

21 - An-Najm (The Star) - 021

أَلَكُمُ ٱلذَّكَرُ وَلَهُ ٱلۡأُنثَىٰ
क्या तुम्हारे लिए पुत्र हैं और उस (अल्लाह) के लिए पुत्रियाँ?

22 - An-Najm (The Star) - 022

تِلۡكَ إِذٗا قِسۡمَةٞ ضِيزَىٰٓ
तब तो यह बड़ा अन्यायपूर्ण बँटवारा है।

23 - An-Najm (The Star) - 023

إِنۡ هِيَ إِلَّآ أَسۡمَآءٞ سَمَّيۡتُمُوهَآ أَنتُمۡ وَءَابَآؤُكُم مَّآ أَنزَلَ ٱللَّهُ بِهَا مِن سُلۡطَٰنٍۚ إِن يَتَّبِعُونَ إِلَّا ٱلظَّنَّ وَمَا تَهۡوَى ٱلۡأَنفُسُۖ وَلَقَدۡ جَآءَهُم مِّن رَّبِّهِمُ ٱلۡهُدَىٰٓ
ये (मूर्तियाँ) कुछ नामों के सिवा कुछ भी नहीं हैं, जो तुमने तथा तुम्हारे बाप-दादा ने रख लिए हैं। अल्लाह ने इनका कोई प्रमाण नहीं उतारा है। ये लोग केवल अटकल[7] के और उन चीज़ों के पीछे चल रहे हैं जो उनके दिल चाहते हैं। जबकि निःसंदेह उनके पास उनके पालनहार की ओर से मार्गदर्शन आ चुका है।
7. मुश्रिक अपनी मूर्तियों को अल्लाह की पुत्रियाँ कहकर उनकी पूजा करते थे, जिसका यहाँ खंडन किया जा रहा है।

24 - An-Najm (The Star) - 024

أَمۡ لِلۡإِنسَٰنِ مَا تَمَنَّىٰ
क्या मनुष्य को वह मिल जाएगा, जिसकी वह कामना करे?

25 - An-Najm (The Star) - 025

فَلِلَّهِ ٱلۡأٓخِرَةُ وَٱلۡأُولَىٰ
(नहीं, ऐसा नहीं है) क्योंकि आख़िरत और दुनिया अल्लाह ही के अधिकार में है।

26 - An-Najm (The Star) - 026

۞وَكَم مِّن مَّلَكٖ فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ لَا تُغۡنِي شَفَٰعَتُهُمۡ شَيۡـًٔا إِلَّا مِنۢ بَعۡدِ أَن يَأۡذَنَ ٱللَّهُ لِمَن يَشَآءُ وَيَرۡضَىٰٓ
और आकाशों में कितने ही फ़रिश्ते हैं कि उनकी सिफ़ारिश कुछ लाभ नहीं देती, परंतु इसके पश्चात कि अल्लाह अनुमति दे जिसके लिए चाहे तथा (जिसे) पसंद करे।[8]
8. अरब के मुश्रिक यह समझते थे कि यदि हम फ़रिश्तों की पूजा करेंगे, तो वे अल्लाह से सिफ़ारिश करके हमें यातना से मुक्त करा देंगे। इसी का खंडन यहाँ किया जा रहा है।

27 - An-Najm (The Star) - 027

إِنَّ ٱلَّذِينَ لَا يُؤۡمِنُونَ بِٱلۡأٓخِرَةِ لَيُسَمُّونَ ٱلۡمَلَـٰٓئِكَةَ تَسۡمِيَةَ ٱلۡأُنثَىٰ
निःसंदेह वे लोग जो आख़िरत पर ईमान नहीं रखते, निश्चय वे फ़रिश्तों के नाम औरतों के नामों की तरह रखते हैं।

28 - An-Najm (The Star) - 028

وَمَا لَهُم بِهِۦ مِنۡ عِلۡمٍۖ إِن يَتَّبِعُونَ إِلَّا ٱلظَّنَّۖ وَإِنَّ ٱلظَّنَّ لَا يُغۡنِي مِنَ ٱلۡحَقِّ شَيۡـٔٗا
हालाँकि उन्हें इसके बारे में कोई ज्ञान नहीं। वे केवल अनुमान के पीछे चल रहे हैं। और निःसंदेह अनुमान सच्चाई की तुलना में किसी काम नहीं आता।

29 - An-Najm (The Star) - 029

فَأَعۡرِضۡ عَن مَّن تَوَلَّىٰ عَن ذِكۡرِنَا وَلَمۡ يُرِدۡ إِلَّا ٱلۡحَيَوٰةَ ٱلدُّنۡيَا
अतः आप उससे मुँह फेर लें, जिसने हमारी नसीहत से मुँह मोड़ लिया और जिसने दुनिया के जीवन के सिवा कुछ नहीं चाहा।

30 - An-Najm (The Star) - 030

ذَٰلِكَ مَبۡلَغُهُم مِّنَ ٱلۡعِلۡمِۚ إِنَّ رَبَّكَ هُوَ أَعۡلَمُ بِمَن ضَلَّ عَن سَبِيلِهِۦ وَهُوَ أَعۡلَمُ بِمَنِ ٱهۡتَدَىٰ
यही उनके ज्ञान की सीमा है। निश्चित रूप से आपका पालनहार ही उसे अधिक जानने वाला है, जो उसके मार्ग से भटक गया और वही उसे भी ज़्यादा जानने वाला है, जो सीधे मार्ग पर चला।

31 - An-Najm (The Star) - 031

وَلِلَّهِ مَا فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَمَا فِي ٱلۡأَرۡضِ لِيَجۡزِيَ ٱلَّذِينَ أَسَـٰٓـُٔواْ بِمَا عَمِلُواْ وَيَجۡزِيَ ٱلَّذِينَ أَحۡسَنُواْ بِٱلۡحُسۡنَى
तथा जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है, सब अल्लाह ही का है, ताकि वह बुराई करने वालों को उनके किए का बदला दे, और भलाई करने वालों को अच्छा बदला दे।

32 - An-Najm (The Star) - 032

ٱلَّذِينَ يَجۡتَنِبُونَ كَبَـٰٓئِرَ ٱلۡإِثۡمِ وَٱلۡفَوَٰحِشَ إِلَّا ٱللَّمَمَۚ إِنَّ رَبَّكَ وَٰسِعُ ٱلۡمَغۡفِرَةِۚ هُوَ أَعۡلَمُ بِكُمۡ إِذۡ أَنشَأَكُم مِّنَ ٱلۡأَرۡضِ وَإِذۡ أَنتُمۡ أَجِنَّةٞ فِي بُطُونِ أُمَّهَٰتِكُمۡۖ فَلَا تُزَكُّوٓاْ أَنفُسَكُمۡۖ هُوَ أَعۡلَمُ بِمَنِ ٱتَّقَىٰٓ
वे लोग जो बड़े गुनाहों तथा अश्लील कार्यों[9] से दूर रहते हैं, सिवाय कुछ छोटे गुनाहों के। निःसंदेह आपका पालनहार बड़ा क्षमा करने वाला है। वह तुम्हें अधिक जानने वाला है जब उसने तुम्हें धरती[10] से पैदा किया और जब तुम अपनी माँओं के पेटों में बच्चे थे। अतः अपनी पवित्रता का दावा मत करो, वह उसे ज़्यादा जानने वाला है जो वास्तव में परहेज़गार है।
9. इससे अभिप्राय अश्लीलता पर आधारित कुकर्म हैं। जैसे बाल-मैथुन, व्यभिचार, नारियों का अपने सौंदर्य का प्रदर्शन और पर्दे का त्याग, मिश्रित शिक्षा, मिश्रित सभाएँ, सौंदर्य की प्रतियोगिता आदि। जिसे आधुनिक युग में सभ्यता का नाम दिया जाता है। और मुस्लिम समाज भी इससे प्रभावित हो रहा है। ह़दीस में है कि सात विनाशकारी कर्मों से बचो : 1- अल्लाह का साझी बनाने से। 2- जादू करना। 3- अकारण जान मारना। 4- मदिरा पीना। 5- अनाथ का धन खाना। 6- युद्ध के दिन भागना। 7- तथा भोली-भाली पवित्र स्त्री को कलंक लगाना। (सह़ीह़ बुख़ारी : 2766, मुस्लिम : 89) 10. अर्थात तुम्हारे मूल आदम (अलैहिस्सलाम) को।

33 - An-Najm (The Star) - 033

أَفَرَءَيۡتَ ٱلَّذِي تَوَلَّىٰ
फिर क्या आपने उसे देखा जिसने मुँह फेर लिया?

34 - An-Najm (The Star) - 034

وَأَعۡطَىٰ قَلِيلٗا وَأَكۡدَىٰٓ
और थोड़ा-सा दिया फिर रोक लिया।

35 - An-Najm (The Star) - 035

أَعِندَهُۥ عِلۡمُ ٱلۡغَيۡبِ فَهُوَ يَرَىٰٓ
क्या उसके पास परोक्ष का ज्ञान है? अतः वह देख रहा है।[11]
11. इस आयत में जो परंपरागत धर्म को मोक्ष का साधन समझता है उससे कहा जा रहा है कि क्या वह जानता है कि प्रलय के दिन इतने ही से सफल हो जाएगा? जबकि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) वह़्य के आधार पर जो प्रस्तुत कर रहे हैं, वही सत्य है। और अल्लाह की वह़्य ही परोक्ष के ज्ञान का साधन है।

36 - An-Najm (The Star) - 036

أَمۡ لَمۡ يُنَبَّأۡ بِمَا فِي صُحُفِ مُوسَىٰ
या उसे उन बातों की सूचना नहीं दी गई, जो मूसा के ग्रंथों में हैं?

37 - An-Najm (The Star) - 037

وَإِبۡرَٰهِيمَ ٱلَّذِي وَفَّىٰٓ
और इबराहीम के (ग्रंथों में), जिसने (कर्तव्य) पूरा किया।

38 - An-Najm (The Star) - 038

أَلَّا تَزِرُ وَازِرَةٞ وِزۡرَ أُخۡرَىٰ
कि कोई बोझ उठाने वाला किसी दूसरे का बोझ नहीं उठाएगा।

39 - An-Najm (The Star) - 039

وَأَن لَّيۡسَ لِلۡإِنسَٰنِ إِلَّا مَا سَعَىٰ
और यह कि मनुष्य के लिए केवल वही है, जिसके लिए उसने प्रयास किया।

40 - An-Najm (The Star) - 040

وَأَنَّ سَعۡيَهُۥ سَوۡفَ يُرَىٰ
और यह कि निश्चय उसका प्रयास शीघ्र ही देखा जाएगा।

41 - An-Najm (The Star) - 041

ثُمَّ يُجۡزَىٰهُ ٱلۡجَزَآءَ ٱلۡأَوۡفَىٰ
फिर उसे उसका पूरा प्रतिफल दिया जाएगा।

42 - An-Najm (The Star) - 042

وَأَنَّ إِلَىٰ رَبِّكَ ٱلۡمُنتَهَىٰ
और यह कि निःसंदेह आपके पालनहार ही की ओर अंततः पहुँचना है।

43 - An-Najm (The Star) - 043

وَأَنَّهُۥ هُوَ أَضۡحَكَ وَأَبۡكَىٰ
तथा यह कि निःसंदह वही है, जिसने हँसाया तथा रुलाया।

44 - An-Najm (The Star) - 044

وَأَنَّهُۥ هُوَ أَمَاتَ وَأَحۡيَا
तथा यह कि निःसंदेह वही है, जिसने मृत्यु दी और जीवन दिया।

45 - An-Najm (The Star) - 045

وَأَنَّهُۥ خَلَقَ ٱلزَّوۡجَيۡنِ ٱلذَّكَرَ وَٱلۡأُنثَىٰ
और यह कि निःसंदेह उसी ने दो प्रकार : नर और मादा पैदा किए।

46 - An-Najm (The Star) - 046

مِن نُّطۡفَةٍ إِذَا تُمۡنَىٰ
एक बूँद से, जब वह टपकाई जाती है।

47 - An-Najm (The Star) - 047

وَأَنَّ عَلَيۡهِ ٱلنَّشۡأَةَ ٱلۡأُخۡرَىٰ
और यह कि निःसंदेह उसी के ज़िम्मे दूसरी बार[12] पैदा करना है।
12. अर्थात प्रलय के दिन प्रतिफल प्रदान करने के लिए।

48 - An-Najm (The Star) - 048

وَأَنَّهُۥ هُوَ أَغۡنَىٰ وَأَقۡنَىٰ
और यह कि निःसंदेह उसी ने धनी बनाया और कोष प्रदान किया।

49 - An-Najm (The Star) - 049

وَأَنَّهُۥ هُوَ رَبُّ ٱلشِّعۡرَىٰ
और यह कि निःसंदेह वही ''शे'रा'' [13] का रब है।
13. शे'रा एक तारे का नाम है। जिसकी पूजा कुछ अरब के लोग किया करते थे। (इब्ने कसीर) अर्थ यह है कि यह तारा पूज्य नहीं, वास्तविक पूज्य उसका स्वामी अल्लाह है।

50 - An-Najm (The Star) - 050

وَأَنَّهُۥٓ أَهۡلَكَ عَادًا ٱلۡأُولَىٰ
और यह कि निःसंदेह उसी ने प्रथम 'आद' [14] को विनष्ट किया।
14. यह हूद (अलैहिस्सलाम) की जाति थे।

51 - An-Najm (The Star) - 051

وَثَمُودَاْ فَمَآ أَبۡقَىٰ
तथा समूद को, फिर (किसी को) बाक़ी न छोड़ा।

52 - An-Najm (The Star) - 052

وَقَوۡمَ نُوحٖ مِّن قَبۡلُۖ إِنَّهُمۡ كَانُواْ هُمۡ أَظۡلَمَ وَأَطۡغَىٰ
तथा इनसे पहले नूह़ की जाति को। निःसंदेह वे बहुत ही ज़ालिम और बड़े ही सरकश थे।

53 - An-Najm (The Star) - 053

وَٱلۡمُؤۡتَفِكَةَ أَهۡوَىٰ
और उलट जाने वाली बस्ती[15] को उसने उठाकर धरती पर दे मारा।
15. अर्थात लूत अलैहिस्सलमा की जाति कि बस्तियों को।

54 - An-Najm (The Star) - 054

فَغَشَّىٰهَا مَا غَشَّىٰ
तो ढाँप दिया[16] उसे जिस चीज़ से ढाँपा।
16. अर्थात पत्थरों की वर्षा करके उससे उनकी बस्ती को ढाँप दिया।

55 - An-Najm (The Star) - 055

فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكَ تَتَمَارَىٰ
तो (ऐ इनसान!) तू अपने पालनहार की ने'मतों में से किस-किस में संदेह करेगा?

56 - An-Najm (The Star) - 056

هَٰذَا نَذِيرٞ مِّنَ ٱلنُّذُرِ ٱلۡأُولَىٰٓ
यह[17] पहले डराने वालों में से एक डराने वाला है।
17. अर्थात मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) भी एक रसूल हैं प्रथम रसूलों के समान।

57 - An-Najm (The Star) - 057

أَزِفَتِ ٱلۡأٓزِفَةُ
निकट आने वाली निकट आ गई।

58 - An-Najm (The Star) - 058

لَيۡسَ لَهَا مِن دُونِ ٱللَّهِ كَاشِفَةٌ
जिसे अल्लाह के सिवा कोई हटाने वाला नहीं।

59 - An-Najm (The Star) - 059

أَفَمِنۡ هَٰذَا ٱلۡحَدِيثِ تَعۡجَبُونَ
तो क्या तुम इस बात पर आश्चर्य करते हो?

60 - An-Najm (The Star) - 060

وَتَضۡحَكُونَ وَلَا تَبۡكُونَ
तथा हँसते हो और रोते नहीं हो?

61 - An-Najm (The Star) - 061

وَأَنتُمۡ سَٰمِدُونَ
तथा तुम ग़ाफ़िल हो!

62 - An-Najm (The Star) - 062

فَٱسۡجُدُواْۤ لِلَّهِۤ وَٱعۡبُدُواْ۩
अतः अल्लाह को सजदा करो और उसी की इबादत[18] करो।
18. ह़दीस में है कि जब सजदे की प्रथम सूरत "नज्म" उतरी, तो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) और जो आपके पास थे, सब ने सजदा किया, एक व्यक्ति के सिवा। उसने कुछ धूल ली, और उसपर सज्दा किया। तो मैंने इसके पश्चात् देखा कि वह काफ़िर रहते हुए मारा गया। और वह उमय्या बिन ख़लफ़ है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4863)

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