الأحقاف

 

Al-Ahqaf

 

The Wind-Curved Sandhills

1 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 001

حمٓ
ह़ा, मीम।

2 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 002

تَنزِيلُ ٱلۡكِتَٰبِ مِنَ ٱللَّهِ ٱلۡعَزِيزِ ٱلۡحَكِيمِ
इस पुस्तक का अवतरण अल्लाह की ओर से है, जो सब पर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।

3 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 003

مَا خَلَقۡنَا ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ وَمَا بَيۡنَهُمَآ إِلَّا بِٱلۡحَقِّ وَأَجَلٖ مُّسَمّٗىۚ وَٱلَّذِينَ كَفَرُواْ عَمَّآ أُنذِرُواْ مُعۡرِضُونَ
हमने आकाशों तथा धरती को और जो कुछ उन दोनों के दरमियान है सत्य के साथ और एक नियत अवधि के लिए पैदा किया है। तथा जिन लोगों ने कुफ़्र किया उस चीज़ से जिससे उन्हें सावधान किया गया, मुँह फेरने वाले हैं।

4 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 004

قُلۡ أَرَءَيۡتُم مَّا تَدۡعُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ أَرُونِي مَاذَا خَلَقُواْ مِنَ ٱلۡأَرۡضِ أَمۡ لَهُمۡ شِرۡكٞ فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِۖ ٱئۡتُونِي بِكِتَٰبٖ مِّن قَبۡلِ هَٰذَآ أَوۡ أَثَٰرَةٖ مِّنۡ عِلۡمٍ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ
(ऐ रसूल!) आप कह दें : क्या तुमने उन चीज़ों को देखा जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो, मुझे दिखाओ कि उन्होंने धरती की कौन-सी चीज़ पैदा की है, या आसमानों में उनका कोई हिस्सा है? मेरे पास इससे पहले की कोई किताब[1], या ज्ञान की कोई अवशेष बात[2] ले आओ, यदि तुम सच्चे हो।
1. अर्थात यदि तुम्हें मेरी शिक्षा का सत्य होना स्वीकार नहीं, तो किसी धर्म की आकाशीय पुस्तक ही से सिद्ध करके दिखा दो कि सत्य की शिक्षा कुछ और है। और यह भी न हो सके, तो किसी ज्ञान पर आधारित कथन और रिवायत ही से सिद्ध कर दो कि यह शिक्षा पूर्व के नबियों ने नहीं दी है। अर्थ यह है कि जब आकाशों और धरती की रचना अल्लाह ही ने की है तो उसके साथ दूसरों को पूज्य क्यों बनाते हो? 2. अर्थात इससे पहले वाली आकाशीय पुस्तकों का।

5 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 005

وَمَنۡ أَضَلُّ مِمَّن يَدۡعُواْ مِن دُونِ ٱللَّهِ مَن لَّا يَسۡتَجِيبُ لَهُۥٓ إِلَىٰ يَوۡمِ ٱلۡقِيَٰمَةِ وَهُمۡ عَن دُعَآئِهِمۡ غَٰفِلُونَ
तथा उससे बढ़कर पथभ्रष्ट कौन है, जो अल्लाह के सिवा उन्हें पुकारता है, जो क़ियामत के दिन तक उसकी दुआ क़बूल नहीं करेंगे, और वे उनके पुकारने से बेखबर हैं?

6 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 006

وَإِذَا حُشِرَ ٱلنَّاسُ كَانُواْ لَهُمۡ أَعۡدَآءٗ وَكَانُواْ بِعِبَادَتِهِمۡ كَٰفِرِينَ
तथा जब लोग एकत्र किए जाएँगे, तो वे उनके शत्रु होंगे और उनकी इबादत का इनकार करने वाले होंगे।[3]
3. इस विषय की चर्चा क़ुरआन की अनेक आयतों में आई है। जैसे सूरत यूनुस, आयत : 290, सूरत मरयम, आयत : 81-82, सूरतुल-अनकबूत, आयत : 25 आदि।

7 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 007

وَإِذَا تُتۡلَىٰ عَلَيۡهِمۡ ءَايَٰتُنَا بَيِّنَٰتٖ قَالَ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ لِلۡحَقِّ لَمَّا جَآءَهُمۡ هَٰذَا سِحۡرٞ مُّبِينٌ
और जब उनके सामने हमारी स्पष्ट आयतें पढ़ी जाती हैं, तो वे लोग जिन्होंने कुफ़्र किया, सत्य के विषय में, जब वह उनके पास आया, कहते हैं कि यह खुला जादू है।

8 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 008

أَمۡ يَقُولُونَ ٱفۡتَرَىٰهُۖ قُلۡ إِنِ ٱفۡتَرَيۡتُهُۥ فَلَا تَمۡلِكُونَ لِي مِنَ ٱللَّهِ شَيۡـًٔاۖ هُوَ أَعۡلَمُ بِمَا تُفِيضُونَ فِيهِۚ كَفَىٰ بِهِۦ شَهِيدَۢا بَيۡنِي وَبَيۡنَكُمۡۖ وَهُوَ ٱلۡغَفُورُ ٱلرَّحِيمُ
या वे कहते हैं कि उसने इसे[4] स्वयं गढ़ लिया है? आप कह दें : यदि मैंने इसे स्वयं गढ़ लिया है, तो तुम मेरे लिए अल्लाह के विरुद्ध किसी चीज़ का अधिकार नहीं रखते।[4] वह उन बातों को अधिक जानने वाला है जिनमें तुम व्यस्त होते हो। वह मेरे और तुम्हारे बीच गवाह के रूप में काफ़ी है, और वही बड़ा क्षमाशील, अत्यंत दयावान है।
4. अर्थात क़ुरआन को। 4. अर्थात अल्लाह की यातना से मेरी कोई रक्षा नहीं कर सकता। (देखिए : सूरतुल अह़्क़ाफ़, आयत : 44, 47)

9 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 009

قُلۡ مَا كُنتُ بِدۡعٗا مِّنَ ٱلرُّسُلِ وَمَآ أَدۡرِي مَا يُفۡعَلُ بِي وَلَا بِكُمۡۖ إِنۡ أَتَّبِعُ إِلَّا مَا يُوحَىٰٓ إِلَيَّ وَمَآ أَنَا۠ إِلَّا نَذِيرٞ مُّبِينٞ
आप कह दें कि मैं रसूलों में से कोई अनोखा (रसूल) नहीं हूँ और न मैं यह जानता हूँ कि मेरे साथ क्या किया जाएगा[6] और न (यह कि) तुम्हारे साथ क्या (किया जाएगा)। मैं तो केवल उसी का अनुसरण करता हूँ जो मेरी ओर वह़्य (प्रकाशना) की जाती है और मैं तो केवल खुला डराने वाला हूँ।
6. अर्थात संसार में। अन्यथा यह निश्चित है कि परलोक में ईमान वाले के लिए स्वर्ग तथा काफ़िर के लिए नरक है। किंतु किसी निश्चित व्यक्ति के परिणाम का ज्ञान किसी को नहीं।

10 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 010

قُلۡ أَرَءَيۡتُمۡ إِن كَانَ مِنۡ عِندِ ٱللَّهِ وَكَفَرۡتُم بِهِۦ وَشَهِدَ شَاهِدٞ مِّنۢ بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ عَلَىٰ مِثۡلِهِۦ فَـَٔامَنَ وَٱسۡتَكۡبَرۡتُمۡۚ إِنَّ ٱللَّهَ لَا يَهۡدِي ٱلۡقَوۡمَ ٱلظَّـٰلِمِينَ
आप कह दें : क्या तुमने देखा? यदि यह (क़ुरआन) अल्लाह की ओर से हुआ और तुमने उसका इनकार कर दिया, जबकि बनी इसराईल में से एक गवाही देने वाले ने उस जैसे की गवाही दी।[7] फिर वह ईमान ले आया और तुम घमंड करते रहे (तो तुम्हारा क्या परिणाम होगा?)। बेशक अल्लाह ज़ालिमों को हिदायत नहीं देता।[8]
7. जैसे इसराईली विद्वान अब्दुल्लाह बिन सलाम ने इसी क़ुरआन जैसी बात के तौरात में होने की गवाही दी कि तौरात में मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के नबी होने का वर्णन है। और वह आप पर ईमान भी लाए। (सह़ीह़ बुख़ारी : 3813, सह़ीह़ मुस्लिम : 2484) 8. अर्थात अत्याचारियों को उनके अत्याचार के कारण कुपथ ही में रहने देता है, ज़बरदस्ती किसी को सीधी राह पर नहीं चलाता।

11 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 011

وَقَالَ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ لِلَّذِينَ ءَامَنُواْ لَوۡ كَانَ خَيۡرٗا مَّا سَبَقُونَآ إِلَيۡهِۚ وَإِذۡ لَمۡ يَهۡتَدُواْ بِهِۦ فَسَيَقُولُونَ هَٰذَآ إِفۡكٞ قَدِيمٞ
और काफ़िरों ने ईमान लाने वालों के बारे में कहा : यदि यह (धर्म) कुछ भी उत्तम होता, तो ये लोग हमसे पहले उसकी ओर न आते। और जब उन्होंने उससे मार्गदर्शन नहीं पाया, तो अवश्य कहेंगे कि यह पुराना झूठ है।

12 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 012

وَمِن قَبۡلِهِۦ كِتَٰبُ مُوسَىٰٓ إِمَامٗا وَرَحۡمَةٗۚ وَهَٰذَا كِتَٰبٞ مُّصَدِّقٞ لِّسَانًا عَرَبِيّٗا لِّيُنذِرَ ٱلَّذِينَ ظَلَمُواْ وَبُشۡرَىٰ لِلۡمُحۡسِنِينَ
तथा इससे पूर्व मूसा की पुस्तक पेशवा और दया थी। और यह एक पुष्टि करने वाली[9] किताब (क़ुरआन) अरबी[10] भाषा में है, ताकि उन लोगों को डराए जिन्होंने अत्याचार किया और नेकी करने वालों के लिए शुभ-सूचना हो।
9. अपने पूर्व की आकाशीय पुस्तकों की। 10. अर्थात इसकी कोई मूल शिक्षा ऐसी नहीं जो मूसा की पुस्तक में न हो। किंतु यह अरबी भाषा में है। इसलिए कि इससे प्रथम संबोधित अरब लोग थे, फिर सारे लोग। इसलिए क़ुरआन का अनुवाद प्राचीन काल ही से दूसरी भाषाओं में किया जा रहा है। ताकि जो अरबी नहीं समझते, वे भी उससे शिक्षा ग्रहण करें।

13 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 013

إِنَّ ٱلَّذِينَ قَالُواْ رَبُّنَا ٱللَّهُ ثُمَّ ٱسۡتَقَٰمُواْ فَلَا خَوۡفٌ عَلَيۡهِمۡ وَلَا هُمۡ يَحۡزَنُونَ
निःसंदेह जिन लोगों ने कहा कि हमारा पालनहार अल्लाह है। फिर ख़ूब जमे रहे, तो उन्हें न तो कोई भय होगा और न वे शोकाकुल होंगे।[11]
11. (देखिए : सूरत ह़ा, मीम, सजदा, आयत : 31) ह़दीस में है कि एक व्यक्ति ने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मुझे इस्लाम के बारे में ऐसी बात बताएँ कि फिर किसी से कुछ पूछना न पड़े। आपने फरमाया : कहो कि मैं अल्लाह पर ईमान लाया, फिर उसी पर स्थिर हो जाओ। (सह़ीह़ मुस्लिम : 38)

14 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 014

أُوْلَـٰٓئِكَ أَصۡحَٰبُ ٱلۡجَنَّةِ خَٰلِدِينَ فِيهَا جَزَآءَۢ بِمَا كَانُواْ يَعۡمَلُونَ
ये लोग जन्नत वाले हैं, जिसमें वे हमेशा रहने वाले हैं, उसके बदले में जो वे किया करते थे।

15 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 015

وَوَصَّيۡنَا ٱلۡإِنسَٰنَ بِوَٰلِدَيۡهِ إِحۡسَٰنًاۖ حَمَلَتۡهُ أُمُّهُۥ كُرۡهٗا وَوَضَعَتۡهُ كُرۡهٗاۖ وَحَمۡلُهُۥ وَفِصَٰلُهُۥ ثَلَٰثُونَ شَهۡرًاۚ حَتَّىٰٓ إِذَا بَلَغَ أَشُدَّهُۥ وَبَلَغَ أَرۡبَعِينَ سَنَةٗ قَالَ رَبِّ أَوۡزِعۡنِيٓ أَنۡ أَشۡكُرَ نِعۡمَتَكَ ٱلَّتِيٓ أَنۡعَمۡتَ عَلَيَّ وَعَلَىٰ وَٰلِدَيَّ وَأَنۡ أَعۡمَلَ صَٰلِحٗا تَرۡضَىٰهُ وَأَصۡلِحۡ لِي فِي ذُرِّيَّتِيٓۖ إِنِّي تُبۡتُ إِلَيۡكَ وَإِنِّي مِنَ ٱلۡمُسۡلِمِينَ
और हमने मनुष्य को अपने माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार करने की ताकीद दी। उसकी माँ ने उसे दुःख झेलकर गर्भ में रखा तथा दुःख झेलकर जन्म दिया और उसकी गर्भावस्था की अवधि और उसके दूध छोड़ने की अवधि तीस महीने है।[12] यहाँ तक कि जब वह अपनी पूरी शक्ति को पहुँचा और चालीस वर्ष का हो गया, तो उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! मुझे सामर्थ्य प्रदान कर कि मैं तेरी उस अनुकंपा के लिए आभार प्रकट करूँ, जो तूने मुझपर और मेरे माता-पिता पर उपकार किए हैं। तथा यह कि मैं वह सत्कर्म करूँ, जिसे तू पसंद करता है तथा मेरे लिए मेरी संतान को सुधार दे। निःसंदेह मैंने तेरी ओर तौबा की तथा निःसंदेह मैं मुसलमानों (आज्ञाकारियों) में से हूँ।
12. इस आयत तथा क़ुरआन की अन्य आयतों में भी माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार करने पर विशेष बल दिया गया है। तथा उनके लिए प्रार्थना करने का आदेश दिया गया है। देखिए : सूरत बनी इसराईल, आयत : 170। ह़दीसों में भी इस विषय पर अति बल दिया गया है। आदरणीय अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) कहते हैं कि एक व्यक्ति ने आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से पूछा कि मेरे सद्व्यवहार का अधिक योग्य कौन है? आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : तेरी माँ। उसने कहा : फिर कौन? आप ने कहा : तेरी माँ। उसने कहा : फिर कौन? आप ने कहा : तेरी माँ। चौथी बार आपने कहा : तेरे पिता। (सह़ीह़ बुख़ारी : 5971, सह़ीह़ मुस्लिम : 2548)

16 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 016

أُوْلَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ نَتَقَبَّلُ عَنۡهُمۡ أَحۡسَنَ مَا عَمِلُواْ وَنَتَجَاوَزُ عَن سَيِّـَٔاتِهِمۡ فِيٓ أَصۡحَٰبِ ٱلۡجَنَّةِۖ وَعۡدَ ٱلصِّدۡقِ ٱلَّذِي كَانُواْ يُوعَدُونَ
यही वे लोग हैं, जिनके सबसे अच्छे कर्मों को हम स्वीकार करते हैं और उनकी बुराइयों को क्षमा कर देते हैं, इस हाल में कि वे जन्नत वालों में से हैं, सच्चे वादे के अनुरूप, जो उनसे वादा किया जाता है।

17 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 017

وَٱلَّذِي قَالَ لِوَٰلِدَيۡهِ أُفّٖ لَّكُمَآ أَتَعِدَانِنِيٓ أَنۡ أُخۡرَجَ وَقَدۡ خَلَتِ ٱلۡقُرُونُ مِن قَبۡلِي وَهُمَا يَسۡتَغِيثَانِ ٱللَّهَ وَيۡلَكَ ءَامِنۡ إِنَّ وَعۡدَ ٱللَّهِ حَقّٞ فَيَقُولُ مَا هَٰذَآ إِلَّآ أَسَٰطِيرُ ٱلۡأَوَّلِينَ
तथा जिसने अपने माता-पिता से कहा : उफ़ है तुम दोनों के लिए! क्या तुम दोनों मुझे डराते हो कि मैं (क़ब्र से) निकाला[13] जाऊँगा, हालाँकि मुझसे पहले बहुत-सी पीढ़ियाँ बीत चुकी हैं।[14] जबकि वे दोनों अल्लाह की दुहाई देते हुए कहते हैं : तेरा नाश हो! तू ईमान ले आ! निश्चय अल्लाह का वादा सच्चा है। तो वह कहता है : ये पहले लोगों की काल्पनिक कहानियाँ हैं।[15]
13. अर्थात मौत के पश्चात् प्रलय के दिन पुनः जीवित करके समाधि से निकाला जाऊँगा। इस आयत में बुरी संतान का व्यवहार बताया गया है। 14. और कोई फिर से जीवित होकर नहीं आया। 15. इस आयत में मुसलमान माता-पिता का वाद-विवाद एक काफ़िर पुत्र के साथ हो रहा है, जिसका वर्णन उदाहरण के लिए इस आयत में किया गया है। और इस प्रकार का वाद-विवाद किसी भी मुसलमान तथा काफ़िर में हो सकता है। जैसा कि आज अनेक पश्चिमी आदि देशों में हो रहा है।

18 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 018

أُوْلَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ حَقَّ عَلَيۡهِمُ ٱلۡقَوۡلُ فِيٓ أُمَمٖ قَدۡ خَلَتۡ مِن قَبۡلِهِم مِّنَ ٱلۡجِنِّ وَٱلۡإِنسِۖ إِنَّهُمۡ كَانُواْ خَٰسِرِينَ
यही वे लोग हैं, जिनपर (यातना की) बात सिद्ध हो गई, उन समुदायों के साथ जो जिन्नों और मनुष्यों में से इनसे पहले गुज़र चुके। निश्चय ही वे घाटे में रहने वाले थे।

19 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 019

وَلِكُلّٖ دَرَجَٰتٞ مِّمَّا عَمِلُواْۖ وَلِيُوَفِّيَهُمۡ أَعۡمَٰلَهُمۡ وَهُمۡ لَا يُظۡلَمُونَ
तथा प्रत्येक के लिए अलग-अलग दर्जे हैं, उन कर्मों के कारण जो उन्होंने किए। और ताकि वह (अल्लाह) उन्हें उनके कर्मों का भरपूर बदला दे और उनपर अत्याचार नहीं किया जाएगा।

20 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 020

وَيَوۡمَ يُعۡرَضُ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ عَلَى ٱلنَّارِ أَذۡهَبۡتُمۡ طَيِّبَٰتِكُمۡ فِي حَيَاتِكُمُ ٱلدُّنۡيَا وَٱسۡتَمۡتَعۡتُم بِهَا فَٱلۡيَوۡمَ تُجۡزَوۡنَ عَذَابَ ٱلۡهُونِ بِمَا كُنتُمۡ تَسۡتَكۡبِرُونَ فِي ٱلۡأَرۡضِ بِغَيۡرِ ٱلۡحَقِّ وَبِمَا كُنتُمۡ تَفۡسُقُونَ
और जिस दिन काफ़िरों को आग के सामने लाया जाएगा। (उनसे कहा जाएगा 🙂 तुम अपनी अच्छी चीज़ें अपने सांसारिक जीवन में ले जा चुके और तुम उनका आनंद ले चुके। सो आज तुम्हें अपमान की यातना दी जाएगी, इसलिए कि तुम धरती पर बिना किसी अधिकार के घमंड करते थे और इसलिए कि तुम अवज्ञा किया करते थे।

21 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 021

۞وَٱذۡكُرۡ أَخَا عَادٍ إِذۡ أَنذَرَ قَوۡمَهُۥ بِٱلۡأَحۡقَافِ وَقَدۡ خَلَتِ ٱلنُّذُرُ مِنۢ بَيۡنِ يَدَيۡهِ وَمِنۡ خَلۡفِهِۦٓ أَلَّا تَعۡبُدُوٓاْ إِلَّا ٱللَّهَ إِنِّيٓ أَخَافُ عَلَيۡكُمۡ عَذَابَ يَوۡمٍ عَظِيمٖ
तथा आद के भाई (हूद)[16] को याद करो, जब उसने अपनी जाति को अहक़ाफ़ में डराया, जबकि उससे पहले और उसके बाद कई डराने वाले गुज़र चुके कि अल्लाह के अतिरिक्त किसी की इबादत न करो, निःसंदेह मैं तुमपर एक बड़े दिन की यातना से डरता हूँ।
16. इसमें मक्का के प्रमुखों को जिन्हें अपने धन तथा बल पर बड़ा गर्व था, अरब क्षेत्र की एक प्राचीन जाति की कथा सुनाने को कहा जा रहा है, जो बड़ी संपन्न तथा शक्तिशाली थी।

22 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 022

قَالُوٓاْ أَجِئۡتَنَا لِتَأۡفِكَنَا عَنۡ ءَالِهَتِنَا فَأۡتِنَا بِمَا تَعِدُنَآ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ
उन्होंने कहा : क्या तू हमारे पास इसलिए आया है कि हमको हमारे माबूदों से फेर दे? तो हम पर वह (अज़ाब) ले आ, जिसकी तू हमें धमकी देता है, यदि तू सच्चों में से है।

23 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 023

قَالَ إِنَّمَا ٱلۡعِلۡمُ عِندَ ٱللَّهِ وَأُبَلِّغُكُم مَّآ أُرۡسِلۡتُ بِهِۦ وَلَٰكِنِّيٓ أَرَىٰكُمۡ قَوۡمٗا تَجۡهَلُونَ
उसने कहा : उसका ज्ञान तो अल्लाह ही के पास है और मैं तुम्हें वही कुछ पहुँचाता हूँ, जिसके साथ मैं भेजा गया हूँ। परंतु मैं तुम्हें देख रहा हूँ कि तुम अज्ञानता का प्रदर्शन कर रहे हो।

24 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 024

فَلَمَّا رَأَوۡهُ عَارِضٗا مُّسۡتَقۡبِلَ أَوۡدِيَتِهِمۡ قَالُواْ هَٰذَا عَارِضٞ مُّمۡطِرُنَاۚ بَلۡ هُوَ مَا ٱسۡتَعۡجَلۡتُم بِهِۦۖ رِيحٞ فِيهَا عَذَابٌ أَلِيمٞ
फिर जब उन्होंने उसे एक बादल के रूप में अपनी घाटियों की ओर बढ़ते हुए देखा, तो उन्होंने कहा : यह बादल है जो हमपर बरसने वाला है। बल्कि यह तो वह (यातना) है जिसके लिए तुमने जल्दी मचा रखी थी। आँधी है, जिसमें दर्दनाक अज़ाब है।[17]
17. ह़दीस मे है कि जब नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) बादल या आँधी देखते, तो व्याकुल हो जाते। आयशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) ने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! लोग बादल देखकर वर्षा की आशा में प्रसन्न होते हैं और आप क्यों व्याकुल हो जाते हैं? आपने कहा : आयशा! मुझे भय रहता है कि इसमें कोई यातना न हो? एक जाति को आँधी से यातना दी गई। और एक जाति ने यातना देखी तो कहा : यह बादल हमपर वर्षा करेगा। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4829, तथा सह़ीह़ मुस्लिम : 899)

25 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 025

تُدَمِّرُ كُلَّ شَيۡءِۭ بِأَمۡرِ رَبِّهَا فَأَصۡبَحُواْ لَا يُرَىٰٓ إِلَّا مَسَٰكِنُهُمۡۚ كَذَٰلِكَ نَجۡزِي ٱلۡقَوۡمَ ٱلۡمُجۡرِمِينَ
वह अपने पालनहार के आदेश से हर चीज़ को विनष्ट कर देगी। अंततः वे ऐसे हो गए कि उनके रहने की जगहों के सिवा कुछ नज़र न आता था। इसी तरह हम अपराधी लोगों को बदला देते हैं।

26 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 026

وَلَقَدۡ مَكَّنَّـٰهُمۡ فِيمَآ إِن مَّكَّنَّـٰكُمۡ فِيهِ وَجَعَلۡنَا لَهُمۡ سَمۡعٗا وَأَبۡصَٰرٗا وَأَفۡـِٔدَةٗ فَمَآ أَغۡنَىٰ عَنۡهُمۡ سَمۡعُهُمۡ وَلَآ أَبۡصَٰرُهُمۡ وَلَآ أَفۡـِٔدَتُهُم مِّن شَيۡءٍ إِذۡ كَانُواْ يَجۡحَدُونَ بِـَٔايَٰتِ ٱللَّهِ وَحَاقَ بِهِم مَّا كَانُواْ بِهِۦ يَسۡتَهۡزِءُونَ
तथा निःसंदेह हमने उन्हें उन चीज़ों में शक्ति दी, जिनमें हमने तुम्हें शक्ति नहीं दी और हमने उनके लिए कान और आँखें और दिल बनाए, तो न उनके कान उनके किसी काम आए और न उनकी आँखें और न उनके दिल; क्योंकि वे अल्लाह की आयतों का इनकार करते थे तथा उन्हें उस चीज़ ने घेर लिया जिसका वे उपहास करते थे।

27 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 027

وَلَقَدۡ أَهۡلَكۡنَا مَا حَوۡلَكُم مِّنَ ٱلۡقُرَىٰ وَصَرَّفۡنَا ٱلۡأٓيَٰتِ لَعَلَّهُمۡ يَرۡجِعُونَ
तथा निःसंदेह हमने तुम्हारे आस-पास की बस्तियों को विनष्ट कर दिया और हमने विविध प्रकार के प्रमाण प्रस्तुत किए, ताकि वे पलट आएँ।

28 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 028

فَلَوۡلَا نَصَرَهُمُ ٱلَّذِينَ ٱتَّخَذُواْ مِن دُونِ ٱللَّهِ قُرۡبَانًا ءَالِهَةَۢۖ بَلۡ ضَلُّواْ عَنۡهُمۡۚ وَذَٰلِكَ إِفۡكُهُمۡ وَمَا كَانُواْ يَفۡتَرُونَ
तो फिर उन लोगों ने उनकी मदद क्यों नहीं की जिन्हें उन्होंने निकटता प्राप्त करने के लिए अल्लाह के सिवा पूज्य बना रखा था? बल्कि वे उनसे गुम हो गए, और यह[18] उनका झूठ था और जो वे मिथ्यारोपण करते थे।
18. अर्थात अल्लाह के अतिरिक्त को पूज्य बनाना।

29 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 029

وَإِذۡ صَرَفۡنَآ إِلَيۡكَ نَفَرٗا مِّنَ ٱلۡجِنِّ يَسۡتَمِعُونَ ٱلۡقُرۡءَانَ فَلَمَّا حَضَرُوهُ قَالُوٓاْ أَنصِتُواْۖ فَلَمَّا قُضِيَ وَلَّوۡاْ إِلَىٰ قَوۡمِهِم مُّنذِرِينَ
तथा जब हमने तुम्हारी ओर जिन्नों के एक गिरोह[19] को फेरा, जो क़ुरआन को ध्यान से सुनते थे। तो जब वे उसके पास पहुँचे, तो उन्होंने कहा : चुप हो जाओ। फिर जब वह पूरा हो गया, तो अपनी क़ौम की ओर सचेतकर्ता बनकर लौटे।
19. आदरणीय इब्ने अब्बास (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) कहते हैं कि एक बार नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपने कुछ अनुयायियों (सह़ाबा) के साथ उकाज़ के बाज़ार की ओर जा रहे थे। इन दिनों शैतानों को आकाश की सूचनाएँ मिलनी बंद हो गई थीं। तथा उनपर आकाश से अंगारे फेंके जा रहे थे। तो वे इस खोज में पूर्व तथा पश्चिम की दिशाओं में निकले कि इस का क्या कारण है? कुछ शैतान तिहामा (ह़िजाज़) की ओर भी आए और आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) तक पहुँच गए। उस समय आप "नखला" में फ़ज्र की नमाज़ पढ़ा रहे थे। जब जिन्नों ने क़ुरआन सुना, तो उसकी ओर कान लगा दिए। फिर कहा कि यही वह चीज़ है जिसके कारण हमको आकाश की सूचनाएँ मिलनी बंद हो गई हैं। और अपनी जाति से जा कर यह बात कही। तथा अल्लाह ने यह आयत अपने नबी पर उतारी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4921) इन आयतों में संकेत है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जैसे मनुष्यों के नबी थे, वैसे ही जिन्नों के भी नबी थे। और सभी नबी मनुष्यों में आए। (देखिए सूरतुन-नह़्ल, आयत : 43, सूरतुल-फ़ुरक़ान, आयत : 20)

30 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 030

قَالُواْ يَٰقَوۡمَنَآ إِنَّا سَمِعۡنَا كِتَٰبًا أُنزِلَ مِنۢ بَعۡدِ مُوسَىٰ مُصَدِّقٗا لِّمَا بَيۡنَ يَدَيۡهِ يَهۡدِيٓ إِلَى ٱلۡحَقِّ وَإِلَىٰ طَرِيقٖ مُّسۡتَقِيمٖ
उन्होंने कहा : ऐ हमारी जाति! निःसंदेह हमने एक ऐसी पुस्तक सुनी है, जो मूसा के पश्चात उतारी गई है, उसकी पुष्टि करने वाली है जो उससे पहले है, वह सत्य की ओर और सीधे मार्ग की ओर मार्गदर्शन करती है।

31 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 031

يَٰقَوۡمَنَآ أَجِيبُواْ دَاعِيَ ٱللَّهِ وَءَامِنُواْ بِهِۦ يَغۡفِرۡ لَكُم مِّن ذُنُوبِكُمۡ وَيُجِرۡكُم مِّنۡ عَذَابٍ أَلِيمٖ
ऐ हमारी जाति के लोगो! अल्लाह की ओर बुलाने वाले का निमंत्रण स्वीकार करो और उसपर ईमान ले आओ, वह तुम्हारे पापों को क्षमा कर देगा और तुम्हें दर्दनाक यातना से पनाह देगा।

32 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 032

وَمَن لَّا يُجِبۡ دَاعِيَ ٱللَّهِ فَلَيۡسَ بِمُعۡجِزٖ فِي ٱلۡأَرۡضِ وَلَيۡسَ لَهُۥ مِن دُونِهِۦٓ أَوۡلِيَآءُۚ أُوْلَـٰٓئِكَ فِي ضَلَٰلٖ مُّبِينٍ
तथा जो अल्लाह की ओर बुलाने वाले के निमंत्रण को स्वीकार नहीं करेगा, तो न वह धरती में किसी तरह विवश करने वाला है और न ही उसके सिवा उसके कोई सहायक होंगे। ये लोग खुली गुमराही में हैं।

33 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 033

أَوَلَمۡ يَرَوۡاْ أَنَّ ٱللَّهَ ٱلَّذِي خَلَقَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ وَلَمۡ يَعۡيَ بِخَلۡقِهِنَّ بِقَٰدِرٍ عَلَىٰٓ أَن يُحۡـِۧيَ ٱلۡمَوۡتَىٰۚ بَلَىٰٓۚ إِنَّهُۥ عَلَىٰ كُلِّ شَيۡءٖ قَدِيرٞ
तथा क्या उन्होंने नहीं देखा कि निःसंदेह वह अल्लाह, जिसने आकाशों और धरती को बनाया और उन्हें बनाने से नहीं थका, वह मरे हुए लोगों को पुनर्जीवित करने में सक्षम है? क्यों नहीं! निश्चय वह हर चीज में पूर्ण सक्षम है।

34 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 034

وَيَوۡمَ يُعۡرَضُ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ عَلَى ٱلنَّارِ أَلَيۡسَ هَٰذَا بِٱلۡحَقِّۖ قَالُواْ بَلَىٰ وَرَبِّنَاۚ قَالَ فَذُوقُواْ ٱلۡعَذَابَ بِمَا كُنتُمۡ تَكۡفُرُونَ
और जिस दिन वे लोग, जिन्होंने कुफ़्र किया, आग के सामने पेश किए जाएँगे, (कहा जाएगा 🙂 क्या यह सत्य नहीं है? वे कहेंगे : क्यों नहीं, हमारे रब की क़सम! वह कहेगा : फिर यातना का मज़ा चखो, उसके बदले जो तुम कुफ़्र किया करते थे।

35 - Al-Ahqaf (The Wind-Curved Sandhills) - 035

فَٱصۡبِرۡ كَمَا صَبَرَ أُوْلُواْ ٱلۡعَزۡمِ مِنَ ٱلرُّسُلِ وَلَا تَسۡتَعۡجِل لَّهُمۡۚ كَأَنَّهُمۡ يَوۡمَ يَرَوۡنَ مَا يُوعَدُونَ لَمۡ يَلۡبَثُوٓاْ إِلَّا سَاعَةٗ مِّن نَّهَارِۭۚ بَلَٰغٞۚ فَهَلۡ يُهۡلَكُ إِلَّا ٱلۡقَوۡمُ ٱلۡفَٰسِقُونَ
अतः आप सब्र करें, जिस प्रकार पक्के इरादे वाले रसूलों ने सब्र किया और उनके लिए (यातना की) जल्दी न करें। जिस दिन वे उस चीज़ को देखेंगे जिसका उनसे वादा किया जाता है, तो (ऐसा होगा) मानो वे दिन की एक घड़ी[20] के सिवा नहीं रहे। यह (संदेश) पहुँचा देना है। फिर क्या अवज्ञाकारी लोगों के सिवा कोई और विनष्ट किया जाएगा?
20. अर्थात प्रलय की भीषणता के आगे सांसारिक सुख क्षण भर प्रतीत होगा। ह़दीस में है कि नारकियों में से प्रलय के दिन संसार के सबसे सुखी व्यक्ति को लाकर नरक में एक बार डालकर कहा जाएगा : क्या कभी तूने सुख देखा है? वह कहेगा : मेरे पालनहार! (कभी) नहीं (देखा)। (सह़ीह़ मुस्लिम : 2807)

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